हिमाचल प्रदेश: शरद नवरात्रों का आगाज धूमधाम से हो गया है. जिला कांगड़ा के तीनों शक्तिपीठों श्री चामुंडा नंदीकेश्वर धाम, श्री ब्रजेश्वरी देवी, मां ज्वालामुखी मंदिर को शरद नवरात्रों के चलते फूलों से सजाया गया है. शरद नवरात्रि के (Navratri celebration in Himachal Temples) पहले दिन माता के दर्शनों के लिए भारी भीड़ उमड़ी. श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों के कपाट सुबह पूजा अर्चना के बाद 4 बजे से ही खोल दिए गए थे. शरद नवरात्रों में भारी भीड़ उमड़ने के मद्देनजर कांगड़ा के शक्तिपीठों में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस जवानों की तैनाती की गई है. साथ ही सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए भी सुरक्षा पर नजर रखी जा रही है.
ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़: श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से वाहनों की पार्किंग, लंगर की व्यवस्था पानी व बिजली के भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं. श्री ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा में एसडीएम कांगड़ा एवं सहायक मंदिर आयुक्त नवीन तंवर ने विधिवत रूप से हवन यज्ञ कर शरद नवरात्रों की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि बाहरी राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों (Brajeshwari Temple Kangra) के लिए पहुंच रहे हैं. साथ ही स्थानीय लोगों की भी भारी भीड़ उमड़ रही है. नवरात्रि उत्सव के दौरान इस मंदिर में लगभग दस लाख लोगों के आने की उम्मीद है और सभी आवश्यक व्यवस्था की गई है. ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा के मुख्य पुजारी रामप्रसाद शर्मा ने कहा कि मंदिर में एसडीएम कांगड़ा नवीन तंवर द्वारा शतचंडी पाठ किया गया. उन्होंने कहा कि मंदिर में 51 पंडित 9 दिनों तक देवी के विशेष पूजन और अनुष्ठान करेंगे.
माता चिंतपूर्णी के दरबार में नवरात्र मेले का आगाज: उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता चिंतपूर्णी के दरबार में शारदीय नवरात्र मेले का शुभारंभ किया गया. पहले नवरात्र पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां चिंतपूर्णी के दरबार में नतमस्तक होकर (Navratri celebration in Chintpurni Mandir) पवित्र पिंडी के दर्शन किए. मेले के चलते चिंतपूर्णी मंदिर को देश विदेश से मंगवाए गए रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है, जिससे मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है. वहीं, प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को मूलभुत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सभी पुख्ता प्रबंध किए हुए हैं. इसके साथ ही समूचे मेला क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है. वहीं, श्रद्धालुओं को दर्शन पर्ची के साथ ही मंदिर में मां के दर्शन करने की अनुमति दी जा रही है.
प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम: प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर प्रबंधों का दावा किया है. मेले के दौरान मंदिर परिसर क्षेत्र में नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों से जिला प्रशासन पूरी निगरानी रख रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से पूरे मेला क्षेत्र को छावनी में तबदील किया गया है और मुख्य जगहों पर पुलिस बैरियर स्थापित कर दिए गए हैं. नवरात्र मेले के दौरान श्रद्धालुओं को मां के दर्शन पर्ची सिस्टम से ही होंगे. मां के मंदिर में नारियल चढ़ाने पर रोक रहेगी. प्रशासन ने यह निर्णय भी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है. वहीं, मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में बांटा गया है और प्रत्येक सेक्टर में मेला मेजिस्ट्रेट और मेला पुलिस अधिकारी तैनात किये गए हैं. वहीं, चिंतपूर्णी मंदिर के पुजारी संदीप कालिया ने कहा कि नवरात्रों में नौ देवियों की पूजा की जाती है. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु नवरात्रों में आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के लिए उपवास भी रखते हैं.
शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में भी लगा श्रद्धालुओं का तांता: राजधानी शिमला में शरद नवरात्रि शुरू होते ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. राजधानी के ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी रही और श्रद्धालु कतारों (Navratri celebration in Kalibari Temple) में लगकर पूजा अर्चना करते रहे. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई. मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. मंदिर के पुजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि मां के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है. कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्रि के समय विशेष पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालु दूर- दूर से मंदिर में आकर पूजा करते हैं.
हिन्दुओं का विशेष पर्व है नवरात्रि: इस अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की (Navratri celebration in Himachal Temples) आराधना की जाती है. इसलिए यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है. वेद-पुराणों में मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना गया है. जो असुरों से इस संसार की रक्षा करती है. नवरात्र के समय मां के भक्त उनसे अपने सुखी जीवन और समृद्धि की कामना करते हैं. इस बार नवरात्रि का महापर्व 26 सितंबर से 5 अक्टूबर, बुधवार तक मनाया जाएगा. फिर दसवें दिन दुर्गा मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. इस अवसर पर मां के भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए नौ दिनों का उपवास रखते हैं. इस दौरान शराब, मांस, प्याज, लहसुन आदि चीजों का परहेज किया जाता है. नौ दिनों के बाद दसवें दिन व्रत पारण किया जाता है. नवरात्र के दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है.
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