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कूड़ा, पानी के बिल माफ करवाने को लेकर नागरिक सभा ने एमसी ऑफिस के बाहर बोला हल्ला

शिमला में नागरिक सभा ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिमला नागरिक सभा ने मंगलवार को नगर निगम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और छह महीने के कूड़ा, पानी बिल और प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की मांग की.

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Published : Sep 22, 2020, 2:12 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में कोरोनाकाल के दौरान कूड़ा और पानी बिलों की वसूली के खिलाफ नागरिक सभा ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिमला नागरिक सभा ने मंगलवार को नगर निगम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और छह महीने के कूड़ा, पानी बिल और प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की मांग की.

शिमला नागरिक सभा का आरोप है कि कोरोना काल मे कारोबार ठप था और लोग भी शहर से गांव चले गए थे. बावजूद इसके नगर निगम ने कूड़ा और पानी के भारी भरकम बिल थमा दिए हैं. जबकि घरों से कूड़ा उठाया नहीं गया तो बिल किस बात का नगर निगम जारी कर रहा है.

नागरिक सभा ने नगर निगम से मार्च से अगस्त तक के बिल पूरी तरह से माफ करने की मांग की. नागरिक सभा के अध्यक्ष अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने शहर की जनता से कोरोनाकाल के दौरान कूड़ा पानी के बिलों का भुगतान न करने और इसका बहिष्कार करने की अपील की है.

वीडियो रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि मार्च से अगस्त तक कोरोना के चलते सत्तर प्रतिशत तक लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है. सरकार या नगर निगम द्वारा लोगों को कोई राहत नहीं दी गई बल्कि लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है. शहर में होटल-रेस्तरां पूरी तरह से बंद रहे. जिससे 5000 लोगों की नौकरी चली गई. इसके साथ ही हजारों टैक्सी, गाइड ट्रेवल संचालकों का कारोबार प्रभावित हुआ है.

नगर निगम ने शहर के बड़े होटलों के कूड़ा बिल तो माफ कर दिए लेकिन आम लोगों को कोई राहत नहीं दी है. शहर के शिक्षण संस्थान के बंद होने के चलते अभिभावक अपने घरों को निकल गए थे लेकिन नगर निगम ने उन्हें भी कूड़ा के छह महीने के बिल जारी कर दिए हैं.

उन्होंने नगर निगम को कूड़ा पानी के बिल पूरी तरह माफ करने के साथ ही दुकानदारों से ही पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के फैसले को वापस लेने की मांग की और चेतावनी भी की यदि नगर निगम ने बिल माफ नहीं किया तो नागरिक सभा सड़कों पर उतर कर उग्र प्रदर्शन करेगा.

शिमला: राजधानी शिमला में कोरोनाकाल के दौरान कूड़ा और पानी बिलों की वसूली के खिलाफ नागरिक सभा ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिमला नागरिक सभा ने मंगलवार को नगर निगम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और छह महीने के कूड़ा, पानी बिल और प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की मांग की.

शिमला नागरिक सभा का आरोप है कि कोरोना काल मे कारोबार ठप था और लोग भी शहर से गांव चले गए थे. बावजूद इसके नगर निगम ने कूड़ा और पानी के भारी भरकम बिल थमा दिए हैं. जबकि घरों से कूड़ा उठाया नहीं गया तो बिल किस बात का नगर निगम जारी कर रहा है.

नागरिक सभा ने नगर निगम से मार्च से अगस्त तक के बिल पूरी तरह से माफ करने की मांग की. नागरिक सभा के अध्यक्ष अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने शहर की जनता से कोरोनाकाल के दौरान कूड़ा पानी के बिलों का भुगतान न करने और इसका बहिष्कार करने की अपील की है.

वीडियो रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि मार्च से अगस्त तक कोरोना के चलते सत्तर प्रतिशत तक लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है. सरकार या नगर निगम द्वारा लोगों को कोई राहत नहीं दी गई बल्कि लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है. शहर में होटल-रेस्तरां पूरी तरह से बंद रहे. जिससे 5000 लोगों की नौकरी चली गई. इसके साथ ही हजारों टैक्सी, गाइड ट्रेवल संचालकों का कारोबार प्रभावित हुआ है.

नगर निगम ने शहर के बड़े होटलों के कूड़ा बिल तो माफ कर दिए लेकिन आम लोगों को कोई राहत नहीं दी है. शहर के शिक्षण संस्थान के बंद होने के चलते अभिभावक अपने घरों को निकल गए थे लेकिन नगर निगम ने उन्हें भी कूड़ा के छह महीने के बिल जारी कर दिए हैं.

उन्होंने नगर निगम को कूड़ा पानी के बिल पूरी तरह माफ करने के साथ ही दुकानदारों से ही पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के फैसले को वापस लेने की मांग की और चेतावनी भी की यदि नगर निगम ने बिल माफ नहीं किया तो नागरिक सभा सड़कों पर उतर कर उग्र प्रदर्शन करेगा.

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