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स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा, परियोजना के लिए 353.57 करोड़ रुपए स्वीकृत

हिमाचल के सूखे को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट (snow harvesting project) पर काम करने जा रही है. हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ (snow on the mountains of himachal) के रूप में अनमोल दौलत है, इस दौलत की एक-एक बूंद को सहेजने के लिए ही इस परियोजना पर काम किया जाएगा. जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार प्रदेश के कुछ इलाकों में सूखे से निपटने के लिए यह परियोजना कारगर साबित होगी. इसके लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) ने 353.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है.

snow harvesting in himachal
स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा.
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Published : May 2, 2022, 8:14 PM IST

शिमला: हिम के आंचल से ढके हिमालयी राज्य हिमाचल के सूखे को दूर करने के लिए स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट (snow harvesting project) पर काम होगा. हिमाचल में जनजातीय जिलों की चोटियां करीब-करीब साल भर बर्फ से ढकी रहती हैं. कोल्ड डेजर्ट कहे जाने वाले हिमाचल के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति सहित किन्नौर व अन्य ट्राइबल बेल्ट में स्नो हार्वेस्टिंग के कॉन्सेप्ट को जमीन पर उतारा जाएगा. इसके लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) ने 353.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है.

शुरुआत में पायलट आधार पर योजना के तहत मण्डी जिले के 9 खण्डों की 147 योजनाओं व कुल्लू जिले के 5 खण्डों की 110 योजनाओं में बफर स्टोरेज बनाया जाएगा. मंडी व कुल्लू जिला में योजना की सफलता के बाद राज्य के अन्य जिलों में भी इस योजना को कार्यान्वित किया जाएगा. हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ (snow on the mountains of himachal) के रूप में अनमोल दौलत है इस दौलत की एक-एक बूंद को सहेजने के लिए ही इस परियोजना पर काम किया जाएगा.

snow harvesting in himachal
हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ.

सूखा से निपटने के लिए स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट कारगर: जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह (Jal Shakti minister on snow harvesting project) ने कहा कि हिमाचल में स्नो हार्वेस्टिंग के प्रोजेक्ट (snow harvesting project in himachal) को लेकर पूर्वजों का ज्ञान भी शामिल किया जाएगा. हिमाचल में कुछ दशक पहले तक बर्फ के पानी को अपनी जरूरतों के हिसाब से उपयोग में लाया जाता रहा है. राज्य सरकार के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार प्रदेश के कुछ इलाकों में सूखे से निपटने के लिए यह परियोजना कारगर (drought in Himachal) साबित होगी. इसके लिए ग्लेशियर के पिघलने की प्रक्रिया को धीमा करने पर जोर रहेगा.

हिमाचल में स्नो हार्वेस्टिंग की बहुत संभावनाएं अधिक: लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में कृत्रिम ग्लेशियर बनाकर जरूरत के अनुसार पानी से बर्फ और बर्फ से पानी तैयार किया जाता है. हिमाचल में पर्यावरण विज्ञान और तकनीकी विभाग इसमें सहयोग करेगा. प्रदेश में स्नो हार्वेस्टिंग की बहुत संभावनाएं हैं और प्रदेश की ऊंची चोटियों से इसे शुरू किया जाएगा. इसके लिए प्रारंभिक तौर पर एक करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है. केंद्र की मंजूरी और अन्य औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद ऐसा विचार है कि इसे किन्नौर के पूह से आरंभ किया जाएगा. इसमें स्नो एंड एवलांच स्टडी एस्टेबलिशमेंट चंडीगढ़ का तकनीकी सहयोग लिया जाएगा.

snow harvesting in himachal
हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ.
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत मार्च, 2022 तक भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल 2990.10 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है और मिशन के तहत राज्य में 8.42 लाख घरों को नल सेे जल उपलब्ध करवाया गया है. जबकि स्वतंत्रता के बाद पिछले 72 वर्षों में कुल 7.63 लाख घरों को नल प्रदान किए गए. राज्य में कुल 17.28 लाख घरों या परिवारों को नल उपलब्ध करवाए जा चुके है. जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में कुल कवरेज और कार्यक्षमता के संबंध में भारत सरकार द्वारा राज्य के प्रदर्शन की सराहना की गई है. पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जल शक्ति विभाग प्रयासरत: वर्ष 2019-20 में प्रदेश को 57.15 करोड़ रुपये और वर्ष 2020-21 में 221.28 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई. योजना के कार्यान्वयन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर भारत सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है. पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी जल शक्ति विभाग प्रयासरत है, जिसके लिए राज्य में 60 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं.
snow harvesting in himachal
स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा.

जिला स्तर पर स्थापित सभी 14 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से (एनएबीएल) मान्यता मिल चुकी है. इसके अलावा 36 उप-मण्डल स्तरीय प्रयोगशालाओं को भी एनएबीएल से मान्यता मिल गई है. प्रदेश की 83 प्रतिशत प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो चुकी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है. प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं का चयन करके उनको फील्ड टैस्ट किट से पेयजल जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

40 हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण: अभी तक 40,090 महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है. पिछले दो वर्षों के दौरान 61,901 लोगों को जल गुणवत्ता के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश की सभी 3,615 पंचायतों को एक-एक फील्ड टैस्ट किट प्रदान की गई. वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश के सभी 18,150 गांव को यह फील्ड टेस्ट किट दी गई. इसके अतिरिक्त जल गुणवत्ता में पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश की सभी प्रयोगशालाओं को आम जनमानस के लिए खोल दिया गया है, जिनमें न्यूनतम दरों पर जल नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है.

snow harvesting in himachal
स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा

प्रदेश में पिछले दो वर्षों के दौरान कुल 4,47,820 जल नमूनों की जांच की गई जबकि गत वर्ष 2,93,245 पेयजल नमूने प्रयोगशालाओं और 1,37,865 जल सैंपलों का फील्ड टेस्ट किट द्वारा परीक्षण किया गया है. विभाग द्वारा चालू वित्त वर्ष में भी 3,00,606 जल सैंपलों की जांच प्रयोगशाला और 1,42,734 जल सैंपलों का परीक्षण फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा गया है.

ये भी पढ़ें: 600 बार जंगलों में लगी आग, जयराम ठाकुर ने जताई चिंता

शिमला: हिम के आंचल से ढके हिमालयी राज्य हिमाचल के सूखे को दूर करने के लिए स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट (snow harvesting project) पर काम होगा. हिमाचल में जनजातीय जिलों की चोटियां करीब-करीब साल भर बर्फ से ढकी रहती हैं. कोल्ड डेजर्ट कहे जाने वाले हिमाचल के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति सहित किन्नौर व अन्य ट्राइबल बेल्ट में स्नो हार्वेस्टिंग के कॉन्सेप्ट को जमीन पर उतारा जाएगा. इसके लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) ने 353.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है.

शुरुआत में पायलट आधार पर योजना के तहत मण्डी जिले के 9 खण्डों की 147 योजनाओं व कुल्लू जिले के 5 खण्डों की 110 योजनाओं में बफर स्टोरेज बनाया जाएगा. मंडी व कुल्लू जिला में योजना की सफलता के बाद राज्य के अन्य जिलों में भी इस योजना को कार्यान्वित किया जाएगा. हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ (snow on the mountains of himachal) के रूप में अनमोल दौलत है इस दौलत की एक-एक बूंद को सहेजने के लिए ही इस परियोजना पर काम किया जाएगा.

snow harvesting in himachal
हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ.

सूखा से निपटने के लिए स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट कारगर: जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह (Jal Shakti minister on snow harvesting project) ने कहा कि हिमाचल में स्नो हार्वेस्टिंग के प्रोजेक्ट (snow harvesting project in himachal) को लेकर पूर्वजों का ज्ञान भी शामिल किया जाएगा. हिमाचल में कुछ दशक पहले तक बर्फ के पानी को अपनी जरूरतों के हिसाब से उपयोग में लाया जाता रहा है. राज्य सरकार के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार प्रदेश के कुछ इलाकों में सूखे से निपटने के लिए यह परियोजना कारगर (drought in Himachal) साबित होगी. इसके लिए ग्लेशियर के पिघलने की प्रक्रिया को धीमा करने पर जोर रहेगा.

हिमाचल में स्नो हार्वेस्टिंग की बहुत संभावनाएं अधिक: लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में कृत्रिम ग्लेशियर बनाकर जरूरत के अनुसार पानी से बर्फ और बर्फ से पानी तैयार किया जाता है. हिमाचल में पर्यावरण विज्ञान और तकनीकी विभाग इसमें सहयोग करेगा. प्रदेश में स्नो हार्वेस्टिंग की बहुत संभावनाएं हैं और प्रदेश की ऊंची चोटियों से इसे शुरू किया जाएगा. इसके लिए प्रारंभिक तौर पर एक करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है. केंद्र की मंजूरी और अन्य औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद ऐसा विचार है कि इसे किन्नौर के पूह से आरंभ किया जाएगा. इसमें स्नो एंड एवलांच स्टडी एस्टेबलिशमेंट चंडीगढ़ का तकनीकी सहयोग लिया जाएगा.

snow harvesting in himachal
हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फ.
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत मार्च, 2022 तक भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल 2990.10 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है और मिशन के तहत राज्य में 8.42 लाख घरों को नल सेे जल उपलब्ध करवाया गया है. जबकि स्वतंत्रता के बाद पिछले 72 वर्षों में कुल 7.63 लाख घरों को नल प्रदान किए गए. राज्य में कुल 17.28 लाख घरों या परिवारों को नल उपलब्ध करवाए जा चुके है. जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में कुल कवरेज और कार्यक्षमता के संबंध में भारत सरकार द्वारा राज्य के प्रदर्शन की सराहना की गई है. पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जल शक्ति विभाग प्रयासरत: वर्ष 2019-20 में प्रदेश को 57.15 करोड़ रुपये और वर्ष 2020-21 में 221.28 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई. योजना के कार्यान्वयन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर भारत सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है. पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी जल शक्ति विभाग प्रयासरत है, जिसके लिए राज्य में 60 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं.
snow harvesting in himachal
स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा.

जिला स्तर पर स्थापित सभी 14 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से (एनएबीएल) मान्यता मिल चुकी है. इसके अलावा 36 उप-मण्डल स्तरीय प्रयोगशालाओं को भी एनएबीएल से मान्यता मिल गई है. प्रदेश की 83 प्रतिशत प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो चुकी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है. प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं का चयन करके उनको फील्ड टैस्ट किट से पेयजल जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

40 हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण: अभी तक 40,090 महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है. पिछले दो वर्षों के दौरान 61,901 लोगों को जल गुणवत्ता के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश की सभी 3,615 पंचायतों को एक-एक फील्ड टैस्ट किट प्रदान की गई. वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश के सभी 18,150 गांव को यह फील्ड टेस्ट किट दी गई. इसके अतिरिक्त जल गुणवत्ता में पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश की सभी प्रयोगशालाओं को आम जनमानस के लिए खोल दिया गया है, जिनमें न्यूनतम दरों पर जल नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है.

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स्नो हार्वेस्टिंग से दूर होगा हिमाचल का सूखा

प्रदेश में पिछले दो वर्षों के दौरान कुल 4,47,820 जल नमूनों की जांच की गई जबकि गत वर्ष 2,93,245 पेयजल नमूने प्रयोगशालाओं और 1,37,865 जल सैंपलों का फील्ड टेस्ट किट द्वारा परीक्षण किया गया है. विभाग द्वारा चालू वित्त वर्ष में भी 3,00,606 जल सैंपलों की जांच प्रयोगशाला और 1,42,734 जल सैंपलों का परीक्षण फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा गया है.

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