शिमला : हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) की हॉट सीट खाली होने वाली (CIC seat in Himachal)है. वीवीआईपी सुविधाओं वाली इस हॉट चेयर के लिए राज्य सरकार के पास चालीस से अधिक आवेदन आए हैं. मौजूदा सीआईसी नरेंद्र चौहान 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इस पद के लिए आवेदन को लेकर सोमवार 6 जून आखिरी तारीख थी. देर शाम की सूचना के अनुसार प्रशासनिक सुधार विभाग के पास पचास से अधिक आवेदन आ चुके हैं. इनमें प्रमुख रूप से सीनियर आईएएस अफसर आरडी धीमान, पूर्व आईएएस अफसर एसएस गुलेरिया, जेसी शर्मा, गोपाल शर्मा, प्रोफेसर कमलजीत सिंह का नाम शामिल है.
गुपचुप मिले सीएम जयराम से: बताया जा रहा है कि पूर्व आईएएस अफसर मनीषा नंदा ने भी इस पद के लिए आवेदन किया है.हालांकि ,इसकी पुष्टि नहीं है. सचिव प्रशासनिक सुधार कार्यालय से इच्छुक दावेदारों के नाम डिस्क्लोज नहीं किए , लेकिन ये जरूर है कि कुछ सीनियर आईएएस अफसरों ने गुपचुप सीएम जयराम ठाकुर से मिलकर इस पद के लिए अपनी इच्छा जताई है. पूर्व में भी ऐसा हो चुका है.
रेस में आईएएस अफसर आरडी धीमान आगे: वीरभद्र सिंह सरकार के समय एसीएस रैंक के अफसर नरेंद्र चौहान ने आवेदन किया था. तब चयन होने पर उन्होंने एसीएस की कुर्सी छोड़ दी थी. मौजूदा जयराम सरकार के समय में भी इन सर्विस आईएएस अफसर इस कुर्सी पर बैठना चाहते हैं. रिटायर आईएएस अफसरों सहित इन सर्विस आईएएस अफसरों ने भी सीएम जयराम ठाकुर से मिलकर सीआईसी के पद के लिए इच्छा जताई है. रेस में सीनियर आईएएस अफसर आरडी धीमान आगे हैं. इसके अलावा सूचना आयुक्त कार्यालय में सदस्य का पद भी खाली है. उसके लिए भी सरकार के पास करीब अठारह आवेदन आए हैं. अब सरकार के पास प्रक्रिया पूरी करने के लिए 20 दिन से अधिक का समय है. ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार समय पर सीआईसी का चयन कर लेती है या फिर वीरभद्र सिंह सरकार की तरह मामले को टालती है. सरकार की मंशा फिलहाल ये है कि इस प्रक्रिया में विपक्ष के साथ सहमति हो जाए तथा आम राय से किसी एक का नाम फाइनल कर दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर सुविधाओं वाला पद: उल्लेखनीय है कि सीआईसी का चयन एक कमेटी करती है. इस कमेटी में नेता प्रतिपक्ष भी शामिल होते हैं. पूर्व आईएएस अफसर व अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अफसर नरेंद्र चौहान ने जून 2017 में ये पद संभाला था. सीआईसी का कार्यकाल तीन साल होता है. ये पद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर सुविधाओं वाला होता है. चूंकि इस पद पर तीन साल का कार्यकाल होता है, लिहाजा सभी अफसर इस कुर्सी के लिए इच्छा रखते हैं. नरेंद्र चौहान से पहले आईएएस अफसर भीमसेन सीआईसी थे. वे मार्च 2016 को रिटायर हुए थे. उनके रिटायर होने के सवा साल तक ये पद खाली रहा. बाद में सरकार व विपक्ष के बीच खींचतान के कारण सवा साल तक ये कुर्सी नहीं भरी जा सकी.
पॉवरफुल होती है कुर्सी : तब प्रेम कुमार धूमल नेता प्रतिपक्ष थे. वीरभद्र सिंह सरकार के समय हालांकि प्रेम कुमार धूमल चयन कमेटी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन उन्होंने नरेंद्र चौहान के नाम पर सहमति दी थी. चयन कमेटी में सीएम, नेता प्रतिपक्ष और कैबिनेट में सीनियर मोस्ट मंत्री शामिल होते हैं. हालांकि नरेंद्र चौहान ने 2018 में रिटायर होना था, लेकिन वो एक साल पहले ही अपना एसीएस का पद छोडक़र सीआईसी बने थे. उस दौरान सीआईसी के लिए 193 आवेदन आए थे, लेकिन इस बार सीआईसी के लिए चालीस से अधिक आवेदन ही आए हैं. पूर्व में 193 आवेदन इसलिए आए थे, क्योंकि तब समय पर चयन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई और आवेदन की तिथि बढ़ती रही. मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी बेहद पॉवरफुल होती है. साथ ही इस कुर्सी के ठाठ भी निराले हैं. मुख्य सूचना आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष सुविधाएं हासिल होती हैं. लंबा-चौड़ा स्टाफ और लाल बत्ती वाली गाड़ी उपलब्ध करवाई जाती है. सीआईसी का स्टाफ 30 से अधिक लोगों का होता है.
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