शिमला: हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य और यहां 40 हजार किलोमीटर सडक़ें हैं. पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां परिवहन का बड़ा साधन सड़क मार्ग ही है. ऐसे में हिमाचल की सड़कों पर गाड़ियों का बोझ बढ़ रहा है. इस समय प्रदेश में ताजा आंकड़ों के अनुसार 19 लाख 5 हजार से अधिक विभिन्न तरह के (Increase in vehicles ) वाहन हैं. जिस रफ्तार से हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण बढ़ रहा है, जल्दी ही ये आंकड़ा 20 लाख तक हो जाएगा. बड़ी बात ये है कि पर्यटन सीजन में हिमाचल में बाहर से आने वाली गाड़ियों की संख्या भी बढ़ जाती है.
हर साल 1200 लोग हादसों का शिकार: गाड़ियों की संख्या बढ़ने का सीधा असर वाहन दुर्घटनाओं पर भी होता है. हिमाचल में वाहन दुर्घटनाएं एक खतरनाक संकेत है. हिमाचल प्रदेश में हर साल 1200 से अधिक लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं. अगस्त 2015 से दिसंबर 2021 तक की अवधि में हिमाचल प्रदेश में 18327 हादसे सामने आए. इस दौरान 7320 बेशकीमती जीवन हादसों की भेंट चढ़ गए. यही नहीं, इस अवधि में 30,605 लोग घायल भी हुए.यदि बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या जोड़ दी जाए तो हिमाचल में हर माह 2 लाख से अधिक वाहन प्रवेश करते हैं. इस तरह हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले कराह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में हर साल औसतन 3 हजार सड़क हादसे होते हैं.
हिमाचल में सबसे अधिक दोपहिया वाहन: प्रदेश में वाहनों की बढ़ती संख्या पर नजल डालें तो वर्ष 2017 में प्रदेश में रजिस्टर्ड गाड़ियों की संख्या 13.50 लाख थी. 5 साल में यह बढ़कर 19 लाख हो गई. हिमाचल में सबसे अधिक दोपहिया वाहन हैं. इनकी संख्या करीब 10 लाख है. इसके बाद चौपहिया वाहनों में कारों की संख्या 6 लाख के करीब है. जिला शिमला में देखा जाए तो 2 साल में 7 हजार नए वाहन रजिस्टर्ड हुए. हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग के पास मार्च 2020 तक के वाहनों के आंकड़े कंपाइल हो चुके हैं.
21 हजार से ज्यादा बसें चल रही: प्रदेश में 31 मार्च 2020 तक सड़कों पर 17 लाख, 60 हजार, 433 वाहन थे. सबसे अधिक संख्या मोटरसाइकिल और अन्य दुपहिया वाहनों की है. 2020 तक 9 लाख से अधिक टू व्हीलर हिमाचल की सड़कों पर थे. प्रदेश में 21 हजार 676 बसें चल रही हैं. इसके अलावा कारों की संख्या 5 लाख 35 हजार 812 के करीब है. वर्ष 2016 में हिमाचल में देश और विदेश से 1.79 करोड़ सैलानी आए. 2017 में 1 करोड़ 96 लाख 9 हजार सैलानी, वर्ष 2018 में 1 करोड़ 64 लाख 50 हजार, 2019 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार सैलानी आए.
हर साल पौने 2 करोड़ सैलानी: मार्च 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगता रहा लिहाजा दिसंबर 2020 तक हिमाचल में कुल 32 लाख 13 हजार सैलानी आए. इस तरह देखें तो साल भर में औसतन पौने दो करोड़ सैलानी हिमाचल आते हैं. इस कारण भी हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ तले दबती हैं. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में 19 नेशनल हाईवे हैं. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से 5 नेशनल हाईवे और बीआरओ की तरफ से तीन नेशनल हाईवे रखरखाव के लिए तय हैं. हिमाचल में 250 किमी से कम रेल लाइनें हैं. इनमें सबसे बड़ी रेल लाइन जोगिंद्रनगर-पठानकोट 113 किमी है.
90 के दशक से बढ़ रही वाहनों की संख्या: इससे पहले 90 के दशक से ही हिमाचल में सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने लगी थी. प्रदेश में 1990-91 में कुल 67 हजार 103 वाहन ही रजिस्टर्ड थे. इस तरह 3 दशक में ही संख्या बढ़कर 19 लाख तक पहुंच गई. 2016-17 में वाहनों की संख्या 12,93,755 थी. वाहनों की बढ़ती संख्या से सड़क हादसे होने की आशंका अधिक रहती है. शिमला जिले में पौने 5 लाख के करीब वाहन हैं. अकेले शिमला शहर में सवा लाख गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं.
जिला | पंजीकृत वाहनों की संख्या |
बिलासपुर | 100121 |
चंबा | 74440 |
हमीरपुर | 139040 |
कांगड़ा | 472743 |
किन्नौर | 12887 |
कुल्लू | 94822 |
लाहौल स्पीति | 7384 |
मंडी | 216279 |
शिमला | 188957 |
सिरमौर | 127925 |
सोलन | 262673 |
ऊना | 207802 |
कुल | 1905073 |
करोड़ों का टैक्स भी मिलता: वहीं, मार्च 2017 तक हिमाचल की सडक़ों 14 लाख, 94 हजार, 857 वाहन रजिस्टर्ड थी. इसके बाद के आठ महीने में करीब 60 हजार और नए वाहन जुड़े. तब प्रदेश में खेती-बाड़ी के काम में 6624 ट्रैक्टर लगे थे.4 साल पहले के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में 1157 एंबुलेंस सेवाएं दे रही हैं. निजी व सरकारी बसों का आंकड़ा 22,976 बसों का है. निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले वाहनों की संख्या 441 है. हिमाचल में 413 क्रेन रजिस्टर्ड हैं, सबसे अधिक वाहनों में सामान ढोने वाले वाहनों की संख्या है. ऐसे वाहनों की संख्या 1,77,913 है. मैक्सी कैब- 16013, दो पहिया 7,62,275 हैं. ऐसा नहीं है कि ये वाहन सड़कों पर बोझ ही बढ़ा रहे हैं, इनसे करोड़ों रुपए का टैक्स भी हासिल होता. इसके अलावा जुर्माना भी वसूल किया जाता है. वर्ष 2016-17 में सरकार को वाहनों से 279 करोड़ का राजस्व मिला है .
वाहनों की संख्या के हिसाब से बजट: इसी तरह वर्ष 2017-18 में परिवहन विभाग ने 367 करोड़ रुपए राजस्व जुटाया. वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 408 करोड़, 2019-20 में 465 करोड़ व 2020-21 में 382 करोड़ रहा. डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट अनुपम कश्यप के अनुसार हिमाचल प्रदेश में निश्चित तौर पर वाहनों की संख्या बढ़ रही है. राज्य सरकार परिस्थितियों के अनुसार सड़कों के मरम्मत व रखरखाव करती है. हिमाचल प्रदेश में इस समय 40 हजार किमी के करीब सड़कें हैं. ग्रामीण इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछा है. खेती-बाड़ी में जुटे किसान अपनी उपज को मंडियों तक ले जाने के लिए खुद ही वाहन खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों के कारण भी ट्रकों की संख्या अधिक है. फिर सेब सीजन के दौरान भी सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है. उन्होंने कहा कि वाहनों की बढ़ती संख्या के अनुरूप सड़कों के रखरखाव को पर्याप्त बजट का इंतजाम किया जाता है.