शिमला: कुल्लू जिले के मनाली घूमने आए एक पर्यटक में मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि होने से हिमाचल में हड़कंप मच गया है. जिसके बाद हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. बता दें कि दिल्ली से मनाली घूमने आया पर्यटक मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया है. जिसके बाद अब प्रदेश सरकार ने पर्यटक की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी है. स्वास्थ्य सचिव सुभाशीष पांडा ने कहा कि विभाग ने इसके लिए टीमें गठित कर दी हैं. उन्होंने कहा कि किसी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता.
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इस विषय पर केंद्र सरकार से बातचीत की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पीड़ित व्यक्ति हिमाचल में किन-किन स्थानों पर घूमा है. उन्होंने कहा कि स्थानों की लिस्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग कांटेक्ट सर्च शुरू करेगी. हालांकि अभी भी कुछ चिन्हित स्थानों पर ट्रेसिंग शुरू कर दी गई है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि लोगों की घबराने की जरूरत नहीं है. यह कोरोना संक्रमण की तरह हवा में नहीं फैलता, लेकिन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. जैसे ही संभावित लक्षण दिखे जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में सम्पर्क करें.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?): मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतर मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए (Monkeypox symptoms in Hindi) है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
मंकीपॉक्स के लक्षण: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.
अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का मामला (Monkeypox New Case) अमेरिका में दर्ज किया गया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.
4 जुलाई को मिला था केरल में पहला केस: केरल में 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि खुद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने की थी. वह यूएई से लौटा था. मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.
WHO ने घोषित की इमरजेंसी: इस केस के महज (Monkeypox Cases In India) चार दिन बाद यानी 18 जुलाई को केरल में दूसरे मामले की पुष्टि हुई थी. ये शख्स भी दुबई से लौटा था. इसके बाद 22 जुलाई को तीसरे मामले की पुष्टि हुई. इन तीनों की मामलों में यूएई कनेक्शन सामने आया था. इन मरीजों के संपर्क में आए लोगों पर निगरानी की जा रही है.
दुनियाभर में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता करने वाला है.
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