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हिमाचल कैबिनेट मीटिंग: हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों और मंत्रियों को खुद भरना होगा अपने वेतन पर टैक्स

अब हिमाचल प्रदेश के मंत्री, विधायक, स्पीकर (Himachal cabinet meeting) को अपना आयकर खुद ही देना होगा. इस फैसले को तुरंत लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी और संबंधित कानून में संशोधन के लिए आगामी मानसून सत्र में विधेयक लाएगी.

MLAs and ministers in Himachal
हिमाचल कैबिनेट मीटिंग
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Published : Apr 7, 2022, 9:16 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 9:33 PM IST

शिमला: इससे पहले की हाईकोर्ट में राज्य सरकार की किरकिरी होती और अदालत कोई सख्त फैसला पारित करती, हिमाचल सरकार ने माननीयों के वेतन पर टैक्स न भरने का खुद ही ऐलान कर दिया. गुरूवार को शिमला में देर रात खत्म हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार टैक्स नहीं भरेगी. माननीयों को अब खुद टैक्स भरना होगा.

उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. मार्च महीने की 28 तारीख को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. इससे पहले की मामले की अगली सुनवाई होती, राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला ले लिया कि अब वेतन पर टैक्स खुद माननीयों को भरना होगा. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रफीक मोहम्मद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है.

यशपाल राणा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में कहा (Himachal cabinet meeting) गया है कि विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार की तरफ से टैक्स भरना असंवैधानिक है. याचिका में दिए गए तथ्यों में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश में 2018-19 में माननीयों के वेतन पर सरकार ने 1.79 करोड़ रुपए टैक्स भरा था. वर्ष 2019-20 में ये राशि 1.78 करोड़ रुपए से अधिक थी. इस तरह पांच साल में सरकार नौ करोड़ रुपए से अधिक की रकम माननीयों के वेतन पर टैक्स के रूप में अदा करती है. यूपी, पंजाब, हरियाणा व मध्य प्रदेश में सरकार ही विधायकों, मंत्रियों के वेतन पर टैक्स भरती है.

संभावना थी कि 42 दिन के भीतर हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करता. उस सुनवाई में सरकार को नोटिस का जवाब देना था. साथ ही याचिकाकर्ता ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा, भाजपा नेता महेंद्र सिंह ठाकुर व निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को पार्टी बनाया था. मामले की अगली सुनवाई से पहले ही सरकार ने कैबिनेट में उक्त फैसला ले लिया.

कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया गया कि सरकार इस मामले में (HP Cabinet Decision) अध्यादेश के जरिए इस प्रावधान को हटाएगी. गौरतलब है कि देश भर में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए हिमाचल में जोरदार आंदोलन हुआ था. आंदोलन के दौरान ये मांग की गई कि यदि कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ नहीं मिल सकता तो विधायकों को भी पेंशन छोड़नी चाहिए.

इसी बीच, ये मुद्दा भी उठा कि विधायकों के वेतन पर तो (Today Cabinet Decisions) सरकार टैक्स भरती है. एक कार्यकाल के बाद विधायकों की पेंशन बढ़ती रहती है. फिर इसी मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई कि विधायकों, मंत्रियों आदि को मिलने वाले वेतन पर सरकार क्यों टैक्स भरे? अब सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला ले लिया कि विधायकों, मंत्रियों को अपने वेतन का टैक्स खुद भरना होगा. इस फैसले से सरकार के खजाने पर हर साल पड़ने वाला पौने दो करोड़ रुपए से अधिक का बोझ कम हो जाएगा.

ये भी पढे़ं- हिमाचल प्रदेश में माननीयों के वेतन पर टैक्स भरने के मामले में हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस

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शिमला: इससे पहले की हाईकोर्ट में राज्य सरकार की किरकिरी होती और अदालत कोई सख्त फैसला पारित करती, हिमाचल सरकार ने माननीयों के वेतन पर टैक्स न भरने का खुद ही ऐलान कर दिया. गुरूवार को शिमला में देर रात खत्म हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार टैक्स नहीं भरेगी. माननीयों को अब खुद टैक्स भरना होगा.

उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. मार्च महीने की 28 तारीख को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. इससे पहले की मामले की अगली सुनवाई होती, राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला ले लिया कि अब वेतन पर टैक्स खुद माननीयों को भरना होगा. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रफीक मोहम्मद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है.

यशपाल राणा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में कहा (Himachal cabinet meeting) गया है कि विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार की तरफ से टैक्स भरना असंवैधानिक है. याचिका में दिए गए तथ्यों में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश में 2018-19 में माननीयों के वेतन पर सरकार ने 1.79 करोड़ रुपए टैक्स भरा था. वर्ष 2019-20 में ये राशि 1.78 करोड़ रुपए से अधिक थी. इस तरह पांच साल में सरकार नौ करोड़ रुपए से अधिक की रकम माननीयों के वेतन पर टैक्स के रूप में अदा करती है. यूपी, पंजाब, हरियाणा व मध्य प्रदेश में सरकार ही विधायकों, मंत्रियों के वेतन पर टैक्स भरती है.

संभावना थी कि 42 दिन के भीतर हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करता. उस सुनवाई में सरकार को नोटिस का जवाब देना था. साथ ही याचिकाकर्ता ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा, भाजपा नेता महेंद्र सिंह ठाकुर व निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को पार्टी बनाया था. मामले की अगली सुनवाई से पहले ही सरकार ने कैबिनेट में उक्त फैसला ले लिया.

कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया गया कि सरकार इस मामले में (HP Cabinet Decision) अध्यादेश के जरिए इस प्रावधान को हटाएगी. गौरतलब है कि देश भर में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए हिमाचल में जोरदार आंदोलन हुआ था. आंदोलन के दौरान ये मांग की गई कि यदि कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ नहीं मिल सकता तो विधायकों को भी पेंशन छोड़नी चाहिए.

इसी बीच, ये मुद्दा भी उठा कि विधायकों के वेतन पर तो (Today Cabinet Decisions) सरकार टैक्स भरती है. एक कार्यकाल के बाद विधायकों की पेंशन बढ़ती रहती है. फिर इसी मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई कि विधायकों, मंत्रियों आदि को मिलने वाले वेतन पर सरकार क्यों टैक्स भरे? अब सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला ले लिया कि विधायकों, मंत्रियों को अपने वेतन का टैक्स खुद भरना होगा. इस फैसले से सरकार के खजाने पर हर साल पड़ने वाला पौने दो करोड़ रुपए से अधिक का बोझ कम हो जाएगा.

ये भी पढे़ं- हिमाचल प्रदेश में माननीयों के वेतन पर टैक्स भरने के मामले में हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस

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Last Updated : Apr 7, 2022, 9:33 PM IST
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