शिमला: मशहूर कहावत है कि इंसान अपनी इज्जत बनाने में वर्षों लगा देता है, लेकिन उसे गंवाने में एक पल ही काफी होता है. इस संसार में हर इंसान के लिए इज्जत, मान और प्रतिष्ठा बहुत ही मायने रखती है. देश के संविधान के अंतर्गत सभी को कुछ मौलिक अधिकार और दायित्व दिए गए हैं. उन्हीं अधिकारों में से एक मान और प्रतिष्ठा के साथ जीने का भी है, लेकिन अगर कोई इंसान दूसरे के इस मौलिक अधिकार का हनन करने या उसे किसी भी माध्यम से छीनने की कोशिश करता है तो इस स्थिति में मानहानि करने वाले से निपटने के लिए कानून में व्यवस्था की गई है.
जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण किया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह 'अपवचन' कहलाता है. किसी व्यक्ति विशेष की आलोचना का विषय यदि सार्वजनिक हित में न हो और स्पष्टरूप से कहे गए तथ्यों का बुद्धिवादी मूल्यांकन होने के साथ-साथ यह पूर्वाग्रह से भी परे न हो तो ऐसी आधारहीन आलोचना को कानूनन मानहानि माना गया है.
प्रदेश सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर राजेंद्र गर्ग ने इन्ही कथनों के साथ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शिमला की अदालत में मानहानि की अपराधिक शिकायत दर्ज की है. प्रार्थी राजेंद्र गर्ग ने घुमारवीं के अधिवक्ता दीनानाथ के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा 499 और 500 के तहत अपराधिक मामला दायर किया है. अपराधिक शिकायत में दिए तथ्यों के अनुसार प्रतिवादी दीनानाथ ने प्रार्थी के सम्मान को को ठेस पहुंचाई है.
शिकायत के माध्यम से अदालत को बताया गया कि प्रतिवादी दीनानाथ ने प्रार्थी के विधानसभा क्षेत्र घुमारवीं के अंतर्गत भराडी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए स्पष्ट रूप से ऐसे शब्दों और तथ्यों का प्रयोग किया जो सार्वजनिक हित में न होकर बुद्धिवादी मूल्यांक से परे थे, जिसे सुनकर लोगों के मन में प्रार्थी के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो गया. प्रार्थी ने अपनी शिकायत में दर्ज की गई आपति और तथ्यों के पक्ष में एक पेन ड्राइव भी सलंगन की है जिसमे प्रतिवादी द्वारा दिए गए सार्वजानिक भाषण को रिकॉर्ड किया गया है.
प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि प्रतिवादी ने अपने भाषण में प्रार्थी के खिलाफ स्पष्ट रूप से ऐसे शब्दों और तथ्यों का प्रयोग किया है जिसे अभद्र कहा जाना उचित है. आरोप है कि प्रतिवादी ने प्रार्थी के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग कर उसकी सम्मान को ठेस पहुंचाई है.
इसके साथ प्रतिवादी ने स्पष्ट रूप से ऐसे तथ्यों का उपयोग किया जो निराधार और बुद्धिवादी मूल्यांक से परे है जिसे सुनकर लोगों के मन में प्रार्थी के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो गया. प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाईं है कि प्रतिवादी को प्रार्थी के मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने के जुर्म के लिए कड़ी सजा दी जाए.
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