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प्रदेश भर में मिड-डे मील वर्कर्स ने किया प्रदर्शन, ये मांगें की उजागर

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Published : Oct 15, 2020, 10:56 PM IST

शिमला में मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन के बैनर तले मिड-डे मील वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और उनका शोषण किया जा रहा है.

workers union protest in shimla
workers union protest in shimla

शिमलाः ऑल इंडिया मिड-डे मील वर्कर्स फेडरेशन सम्बन्धित सीटू के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों में मिड-डे मील वर्कर्स की ओर से अपनी मांगों को लेकर धरने प्रदर्शन किए गए. इसी क्रम में शिमला के प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय पर वर्कर्स ने जोरदार प्रदर्शन किया.

हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और उनका शोषण किया जा रहा है. उन्हें केवल दो हजार तीन सौ रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है और न ही कोई भी छुट्टी दी जाती है.

यूनियन महासचिव ने कहा कि मिड-डे मील वर्करज के लिए ईपीएफ व मेडिकल सुविधा भी नहीं है. उनसे खाना बनाने के अलावा डाक, चपरासी, सफाई, झाड़ू, राशन ढुलाई, बैंक, जलवाहक आदि सभी प्रकार के कार्य करवा लिए जाते हैं. ये सभी प्रकार के कार्य मल्टी टास्क हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें मल्टी टास्क वर्कर्स की भर्तियों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.

उन्हें साल 2013 के 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है. पच्चीस बच्चों से कम संख्या होने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों में छह हजार सात सौ चालीस वर्कर्स की छंटनी हो चुकी है और उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

इसके चलते उनकी संख्या सत्ताइस हजार सात सौ चालीस से गिरकर इक्कीस हजार रह गई है. इस योजना में नब्बे प्रतिशत महिलाएं ही कार्य करती हैं, लेकिन उन्हें प्रसूति अवकाश की सुविधा नहीं है. उन्होंने मांग की है कि 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड-डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए व उन्हें नियमित किया जाए.

मिड-डे मील वर्करज को प्रदेश के न्यूनतम वेतन के आधार पर 8250 रुपये वेतन दिया जाए. उन्हें ईपीएफ, मेडिकल, छुट्टियों आदि सुविधा दी जाए. उन्हें रिटायरमेंट पर पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा दी जाए. उन्हें छह महीने के वेतन सहित प्रसूति अवकाश की सुविधा दी जाए.

ये भी पढ़ें- छात्रों के लिए उज्ज्वल भविष्य पोर्टल व ई-संवाद ऐप लॉन्च, शिक्षा मंत्री ने किया शुभारंभ

ये भी पढ़ें- 16 अक्टूबर से 90 और इंटर स्टेट रूटों पर दौड़ेगीं बसें, कोरोना नियमों का होगा पालन

शिमलाः ऑल इंडिया मिड-डे मील वर्कर्स फेडरेशन सम्बन्धित सीटू के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों में मिड-डे मील वर्कर्स की ओर से अपनी मांगों को लेकर धरने प्रदर्शन किए गए. इसी क्रम में शिमला के प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय पर वर्कर्स ने जोरदार प्रदर्शन किया.

हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और उनका शोषण किया जा रहा है. उन्हें केवल दो हजार तीन सौ रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है और न ही कोई भी छुट्टी दी जाती है.

यूनियन महासचिव ने कहा कि मिड-डे मील वर्करज के लिए ईपीएफ व मेडिकल सुविधा भी नहीं है. उनसे खाना बनाने के अलावा डाक, चपरासी, सफाई, झाड़ू, राशन ढुलाई, बैंक, जलवाहक आदि सभी प्रकार के कार्य करवा लिए जाते हैं. ये सभी प्रकार के कार्य मल्टी टास्क हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें मल्टी टास्क वर्कर्स की भर्तियों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.

उन्हें साल 2013 के 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है. पच्चीस बच्चों से कम संख्या होने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों में छह हजार सात सौ चालीस वर्कर्स की छंटनी हो चुकी है और उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

इसके चलते उनकी संख्या सत्ताइस हजार सात सौ चालीस से गिरकर इक्कीस हजार रह गई है. इस योजना में नब्बे प्रतिशत महिलाएं ही कार्य करती हैं, लेकिन उन्हें प्रसूति अवकाश की सुविधा नहीं है. उन्होंने मांग की है कि 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड-डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए व उन्हें नियमित किया जाए.

मिड-डे मील वर्करज को प्रदेश के न्यूनतम वेतन के आधार पर 8250 रुपये वेतन दिया जाए. उन्हें ईपीएफ, मेडिकल, छुट्टियों आदि सुविधा दी जाए. उन्हें रिटायरमेंट पर पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा दी जाए. उन्हें छह महीने के वेतन सहित प्रसूति अवकाश की सुविधा दी जाए.

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