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विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी चिंता का विषय: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला

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Published : Nov 18, 2021, 7:52 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 8:00 PM IST

शिमला में आयोजित 82वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (82th Presiding officers conference in shimla) का आज समापन हो गया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (lok sabha speaker om birla) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी हमारे लिए चिंता का विषय है. राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण (President and Governor's Address) में एवं प्रश्नकाल (Question hours) के दौरान सदन की कार्यवाही में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिये.

lok-sabha-speaker-om-birla-expressed-concern-over-the-lack-of-discipline-and-decency-in-the-legislatures
फोटो.

शिमला: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (lok sabha speaker om birla) ने शिमला में आयोजित 82वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (82th Presiding officers conference in shimla) के निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी हमारे लिए चिंता का विषय है. पूर्व में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) में लिए गए निर्णयों के अनुसरण के लिए सभी दलों से चर्चा कर नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी पीठासीन अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण (President and Governor's Address) में एवं प्रश्नकाल (Question hours) के दौरान सदन की कार्यवाही में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिये.

उन्होंने कहा कि विधान मंडलों में गुणवत्तापूर्ण और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित किया जाएगा. इन चर्चा के माध्यम से माननीय सदस्य अपने क्षेत्रों में किए जा रहे नवाचारों को सदन के माध्यम से सबके सामने ला सकें. यह नवाचार अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए भी प्रेरणा बनें. इसके अलावा बदले परिवेश में हमें समितियों की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार की आवश्यकता है ताकि उन्हें और प्रभावी बनाया जा सके. विधायिकाओं में चर्चा-संवाद और नवाचार के माध्यम से जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरी करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो इस उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ विधायिका सम्मान प्रारंभ किए जाएंगे.

वीडियो.

शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) के इस वर्ष के दो विषय थे. पहला शताब्दी यात्रा जिसमें मूल्यांकन और भविष्य के लिए कार्य योजनाएं शामिल हैं और दूसरा संविधान, सभा और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी. उन्होंने कहा कि सम्मेलन में लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोकतांत्रिक संस्थाओं (democratic institutions) को एक प्लेटफार्म पर लाने, माननीय सदस्यों की कैपेसिटी बिल्डिंग (Capacity Building of Honorable Members), सदनों में अनुशासन और शालीनता में अभिवृद्धि, सदन में चर्चा के स्तर में सुधार, लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनभागीदारी बढ़ाने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया.

लोकसभा अध्यक्ष (lok sabha speaker) ने कहा कि यह शताब्दी वर्ष (centenary year) है. 1921 में इस सम्मेलन का शुभारंभ शिमला में ही हुआ था और इस सम्मेलन के 100वें वर्ष में एक बार फिर शिमला में ही मिलना हम सब पीठासीन अधिकारियों के लिए सौभाग्य की बात है. अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों (All India Presiding Officers) की स्थायी समिति ने 1921 से सन् 2021 तक सौ वर्षों के दौरान पारित किये प्रस्तावों एवं संकल्पों और सम्मेलनों में लिए गये निर्णयों की समीक्षा की.

इन 100 वर्षों के दौरान 277 प्रस्ताव/संकल्प/निर्णय हुए. इनमें से 70 कार्यान्वित हो चुके हैं और 111 हमारी कार्यप्रणाली में समाहित किए जा चुके हैं. 22 स्वतंत्रता पूर्व की परिवेश में महत्व नहीं रखते हैं. 15 किसी विशेष परिस्थिति जनित होने के कारण कार्यान्वित नहीं किये जा सकते हैं. अभी 59 प्रस्ताव,संकल्प, निर्णय लम्बित है. लम्बित विषयों में बहुत समसामयिक नहीं रह गये हैं, जो प्रासंगिक हैं उन पर प्राथमिकता से ध्यान देने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें: हॉली लॉज पहुंच कर भावुक हुए कांग्रेस नेता, बोले- वीरभद्र सिंह होते तो जश्न की मिलती दोगुनी खुशी

शिमला: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (lok sabha speaker om birla) ने शिमला में आयोजित 82वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (82th Presiding officers conference in shimla) के निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी हमारे लिए चिंता का विषय है. पूर्व में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) में लिए गए निर्णयों के अनुसरण के लिए सभी दलों से चर्चा कर नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी पीठासीन अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण (President and Governor's Address) में एवं प्रश्नकाल (Question hours) के दौरान सदन की कार्यवाही में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिये.

उन्होंने कहा कि विधान मंडलों में गुणवत्तापूर्ण और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित किया जाएगा. इन चर्चा के माध्यम से माननीय सदस्य अपने क्षेत्रों में किए जा रहे नवाचारों को सदन के माध्यम से सबके सामने ला सकें. यह नवाचार अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए भी प्रेरणा बनें. इसके अलावा बदले परिवेश में हमें समितियों की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार की आवश्यकता है ताकि उन्हें और प्रभावी बनाया जा सके. विधायिकाओं में चर्चा-संवाद और नवाचार के माध्यम से जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरी करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो इस उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ विधायिका सम्मान प्रारंभ किए जाएंगे.

वीडियो.

शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) के इस वर्ष के दो विषय थे. पहला शताब्दी यात्रा जिसमें मूल्यांकन और भविष्य के लिए कार्य योजनाएं शामिल हैं और दूसरा संविधान, सभा और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी. उन्होंने कहा कि सम्मेलन में लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोकतांत्रिक संस्थाओं (democratic institutions) को एक प्लेटफार्म पर लाने, माननीय सदस्यों की कैपेसिटी बिल्डिंग (Capacity Building of Honorable Members), सदनों में अनुशासन और शालीनता में अभिवृद्धि, सदन में चर्चा के स्तर में सुधार, लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनभागीदारी बढ़ाने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया.

लोकसभा अध्यक्ष (lok sabha speaker) ने कहा कि यह शताब्दी वर्ष (centenary year) है. 1921 में इस सम्मेलन का शुभारंभ शिमला में ही हुआ था और इस सम्मेलन के 100वें वर्ष में एक बार फिर शिमला में ही मिलना हम सब पीठासीन अधिकारियों के लिए सौभाग्य की बात है. अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों (All India Presiding Officers) की स्थायी समिति ने 1921 से सन् 2021 तक सौ वर्षों के दौरान पारित किये प्रस्तावों एवं संकल्पों और सम्मेलनों में लिए गये निर्णयों की समीक्षा की.

इन 100 वर्षों के दौरान 277 प्रस्ताव/संकल्प/निर्णय हुए. इनमें से 70 कार्यान्वित हो चुके हैं और 111 हमारी कार्यप्रणाली में समाहित किए जा चुके हैं. 22 स्वतंत्रता पूर्व की परिवेश में महत्व नहीं रखते हैं. 15 किसी विशेष परिस्थिति जनित होने के कारण कार्यान्वित नहीं किये जा सकते हैं. अभी 59 प्रस्ताव,संकल्प, निर्णय लम्बित है. लम्बित विषयों में बहुत समसामयिक नहीं रह गये हैं, जो प्रासंगिक हैं उन पर प्राथमिकता से ध्यान देने की आवश्यकता है.

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Last Updated : Nov 18, 2021, 8:00 PM IST
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