शिमला: भारतीय जनता पार्टी इस समय दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (All India Vidyarthi Parishad) में सक्रिय युवा बाद में भारतीय जनता पार्टी में आकर चुनावी राजनीति की पारी खेलते हैं. इस समय शिमला में एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक की हलचल है. इस बैठक में शामिल होने के लिए देश भर से एबीवीपी के युवा आए हैं. परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान हिमाचल प्रदेश से हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से इस बड़े छात्र संगठन में महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने वाले आशीष चौहान पहले युवा हैं.
हिमाचल में कई कैबिनेट मंत्री छात्र राजनीति की देन: छात्र जीवन में राजनीति की भूमिका बहस का विषय हो सकती है, लेकिन यह तथ्य है कि छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में छात्र राजनीति की पौध ने चुनावी राजनीति में भी कमाल किया है. मौजूदा दौर में हिमाचल सरकार का नेतृत्व संभाल रहे जयराम ठाकुर खुद छात्र राजनीति की देन हैं. एबीवीपी के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने याद किया कि कैसे कैंपस जीवन के दौरान वे रात भर परिषद के नारों को दीवारों पर लिखते थे. यह जानना रोचक है कि हिमाचल में इस समय कई कैबिनेट मंत्री छात्र राजनीति की देन हैं. यही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा का मुखिया भी हिमाचल से है और छात्र राजनीति की देन है. जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय में छात्र संघ के मुखिया रहे हैं. फिलहाल बात करते हैं हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों की.
एबीवीपी चुनावी राजनीति की नर्सरी!: हिमाचल सरकार के बारे में एक चर्चित बात यह है कि जयराम सरकार को एबीवीपी की सरकार कहा जाता है. वो इसलिए कि जयराम सरकार में खुद मुख्यमंत्री और पांच मंत्री अपने छात्र जीवन में एबीवीपी में रहे हैं. भाजपा के लिहाज से तो ये कहा जा सकता है कि पार्टी के लिए एबीवीपी चुनावी राजनीति की नर्सरी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने सियासी सफर की बुनियाद छात्र राजनेता के तौर पर रखी थी. भाजपा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता से शुरू हुआ उनका सफर हिमाचल प्रदेश के सीएम के रूप में अचरज भरी ऊंचाई पर पहुंचा है. छात्र राजनीति की वकालत करने वालों के पास ये जोरदार तर्क है कि जयराम ठाकुर की कैबिनेट में कई मंत्री भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स की देन है. मौजूदा सरकार के मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज, राजीव सहजल, गोविंद ठाकुर, वीरेंद्र कंवर और बिक्रम ठाकुर का नाम शामिल है. अपने अध्ययन काल में ये सभी जुझारू छात्र नेता रहे हैं.
विपिन सिंह परमार भी छात्र राजनीति की देन: इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार भी छात्र राजनीति की देन हैं. परमार पहले सरकार में कैबिनेट मंत्री थे इस तरह शुरुआत में जयराम सरकार में छह मंत्री छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं. किसी भी सरकार में इतनी बड़ी संख्या में राजनेता शायद ही छात्र राजनीति से हों. बाद में विपिन सिंह परमार विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए. कैबिनेट मंत्रियों में वरिष्ठ मंत्री के रूप में विख्यात सुरेश भारद्वाज एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. इसके अलावा विपिन सिंह परमार भी एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. वे कॉलेज व यूनिवर्सिटी समय में बहुत सक्रिय थे. गोविंद ठाकुर व बिक्रम सिंह सहित राजीव सहजल भी छात्र राजनीति से ही निकलकर कैबिनेट मिनिस्टर तक पहुंचे हैं.
धर्मेंद्र प्रधान के राजनीतिक जीवन की सफलता में हिमाचल की बेटी का अहम योगदान: इस समय भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर अहम भूमिका निभा रहे जेपी नड्डा को जुझारूपन छात्र राजनीति ने ही दिया है. प्रखर वक्ता की उनकी छवि छात्र राजनीति की ही देन है. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में धर्मेंद्र प्रधान भी एबीवीपी से जुड़े थे उनकी पत्नी मृदुला ठाकुर भी छात्र राजनीति में थीं. वहीं, उनकी मुलाकात हुई और वे वैवाहिक बंधन में बंधे. धर्मेंद्र प्रधान के राजनीतिक जीवन की सफलताओं में हिमाचल की बेटी मृदुला ठाकुर का अहम योगदान है. हिमाचल भाजपा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे सतपाल सिंह सत्ती भी छात्र राजनीति की पौध हैं. राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी के अलावा पूर्व विधायक और भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के ओएसडी महेंद्र धर्माणी, सीएम के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल, मौजूदा विधानसभा में विधायक विनोद कुमार, सुरेंद्र शौरी, विशाल नैहरिया, राकेश जम्वाल, सुभाष ठाकुर भी छात्र राजनीति की देन हैं.
कांग्रेस और माकपा में बड़े चेहरे छात्र राजनीति की देन: एबीवीपी से अलग देखें तो कांग्रेस और माकपा में भी बड़े चेहरे छात्र राजनीति की देन हैं. कांग्रेस के कद्दावर नेता आनंद शर्मा, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने छात्र राजनीति से चुनावी राजनीति तक सफर तय किया है. इसके अलावा माकपा के तेजतर्रार नेता राकेश सिंघा भी छात्र राजनीति के प्रमुख हस्ताक्षर रहे हैं. शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर और मंडी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके कुशाल भारद्वाज छात्र राजनीति में चर्चित रहे हैं.
छात्र राजनीति से निकले नेताओं को मिला भाजपा और कांग्रेस का मुखिया बनने का गौरव: कुल मिलाकर देखा जाए तो मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री सहित पांच कैबिनेट मंत्री और पांच विधायक एबीवीपी से निकले हैं. इसके अलावा भाजपा और कांग्रेस का मुखिया बनने का गौरव भी छात्र राजनीति से निकले नेताओं को मिला है. सतपाल सिंह सत्ती भाजपा और सुखविंद्र सिंह सुक्खू के अलावा कुलपीद राठौर पार्टी अध्यक्ष रहे हैं. पूर्व में जेपी नड्डा भी हिमाचल की प्रेम कुमार धूमल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी प्रकाश ठाकुर के अनुसार हिमाचल में राजनीतिक चेतना का खूब प्रसार है. यहां छात्र जीवन में छात्र संगठनों ने सरकार के खिलाफ भी कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ी हैं. राजनीतिक चेतना का विस्तार भी कैंपस राजनीति से शुरू हो जाता है. इस समय एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि एबीवीपी युवाओं के सर्वांगीण विकास का लक्ष्य लेकर चलती है.
यह सही है कि छात्र राजनीति से चुनावी राजनीति में भी युवाओं ने नाम कमाया है, लेकिन विद्यार्थी परिषद से जुड़े युवा सामाजिक सांस्कृतिक और सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. भाजपा से अतिरिक्त यदि अन्य नेताओं पर नजर डालें तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और मौजूदा समय में नादौन से विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी एनएसयूआई नेता रहे हैं. हिमाचल भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व विधायक रणधीर शर्मा एबीवीपी की देन हैं. हिमाचल प्रदेश में माकपा की टिकट पर जीते राकेश सिंघा भी सक्रिय छात्र नेता रहे हैं. वे दूसरी बार विधायक बने हैं.