शिमला: प्रदेश में सरकारी स्कूल के मेधावी बच्चों के लिए लैपटॉप खरीदने के मामले को लेकर सवाल उठने लगे हैं और अब ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. लैपटॉप खरीद मामले को लेकर कांग्रेस सरकार में पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे विनय शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिसपर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से 21 नवंबर को जवाब तलब किया है.
प्रदेश सरकार ने 10वीं और 12वीं कक्षा के 9700 मेधावी छात्रों को मुफ्त लैपटॉप बांटने के लिए खरीद प्रक्रिया शुरू की थी. पिछले 2 सालों की अपेक्षा इस साल 5 करोड़ रुपये महंगे लैपटॉप खरीदने से सरकार सवालों के घेरे में हैं. प्रदेश सरकार को 23 करोड़ 50 लाख रुपये में लैपटॉप खरीद करनी है.
एस्सर कंपनी ने उत्तर प्रदेश सरकार को इसी तरह के लैपटॉप 16-17 हजार रुपये में दिए, जबकि हिमाचल सरकार को 23 हजार रुपये में दे रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता कि 5 हजार रुपये महंगा लैपटॉप सरकार क्यों खरीद रही है. लेनोवो कंपनी ने कर्नाटक सरकार को ऐसे ही फीचर के लैपटॉप 12 से 15 हजार प्रति लैपटॉप दिया, लेकिन हिमाचल सरकार को 5 हजार महंगा दे रही है.
विनय शर्मा ने कहा कि 2016 में सरकार ने दस हजार लैपटॉप 17 करोड़ में खरीदे थे, लेकिन इस बार 300 लैपटॉप दस हजार कम है, लेकिन 23 करोड़ से भी ज्यादा में टेंडर दिया गया. जिससे कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मंशा सरकार की साफ नजर आ रही है.
विनय शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के 18 करोड़ से ज्यादा खरीद करने के इनकार के बावजूद प्रदेश सरकार शिक्षा मंत्री की आपत्ति की अनदेखी कर रही है और टेंडर से बाहर जाकर 23 करोड़ 50 लाख में लैपटॉप खरीदने जा रही है. आखिर सरकार की महंगा लैपटॉप खरीदने के पीछे मंशा क्या है.
विनय शर्मा ने लैपटॉप खरीद में 5 करोड़ 50 लाख रुपये की घपले का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की गई है. साथ ही कहा कि एक तरफ जहां प्रदेश सरकार 50 हजार करोड़ के कर्जे में डूबी है, तो वहीं सरकार कंपनियों के दबाव में आकर अपना खजाना लुटा रही है.