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Lampy Virus in Himachal हिमाचल प्रदेश में 4544 पशु लंपी वायरस की चपेट में, 134 गोवंश की मौत

Lampy Virus in Himachal, हिमाचल प्रदेश के आठ जिलों में कुल 4,544 पशु लंपी चमड़ी रोग से ग्रसित पाए गए हैं और 134 गोवंश की मौत हुई है.

lampy Virus in Himachal
सांकेतिक तस्वीर.
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Published : Aug 18, 2022, 5:30 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के आठ जिलों में कुल 4,544 पशु लंपी चमड़ी रोग से ग्रसित पाए गए हैं और 134 गोवंश की मौत हुई है. वीरेंद्र कंवर ने सभी पशु पालकों से आग्रह किया है कि पशुओं में लंपी चमड़ी रोग के लक्षण दिखते ही वे तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा संस्थान में संपर्क करें और बीमार पशुओं को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखें. पशुशाला और उसके आस-पास की जगह को कीटाणु और मक्खी-मच्छर मुक्त करने के लिए दवाईयों का छिड़काव करें और पशुओं को रोग प्रतिरोधी टीके लगवाएं.

ग्रामीण विकास, पंचायतीराज, पशु पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गोवंश में लंपी चमड़ी रोग फैलने की आशंका को कम करने और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने पशु पालन विभाग के माध्यम से त्वरित कदम उठाए हैं. पशु पालन मंत्री ने बताया कि सभी प्रभावित जिलों में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं. प्रभावित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है और अभी तक 27,831 गायों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है और पशुपालकों को जागरुक भी किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध हैं. वैक्सीन खरीदने के लिए 12 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी जारी की गई है. विभाग के रोगव्यापिकी विंग के उपनिदेशक डॉ. अरुण सरकैक (मोबाइल नंबर 94180-44545) को राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

क्या है लंपी वायरस what is lumpy skin disease: लंपी वायरस, पशुओं (what is lampy virus) में फैलने वाला एक चर्म रोग (Lampy Skin Desease) है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका संक्रमण बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक, इस वायरस की देश में एंट्री पाकिस्तान के रास्ते हुई है. इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर पर सैकड़ों की संख्या में गांठे उभर आती हैं. साथ ही तेज बुखार, मुंह से पानी टपकना शुरू हो जाता है. इससे पशुओं को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. उसे चारा खाने और पानी पीने में भी परेशानी होती है. यह एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छर, मक्खी और जूं आदि के काटने या सीधा संपर्क में आने से फैलती है. कम प्रतिरोधक क्षमता वाली गायें शीघ्र ही इस वायरस की शिकार हो जाती है. बाद में यह वायरस एक से दूसरे पशुओं में फैल जाता है.

लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: खास तौर से गायों (Lampy Virus In Cow) में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं. राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.

बचाव ही इलाज है-

1. इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें. इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.

2. बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.

3. रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.

4. जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.

5. पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.

6. जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.

7. मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.

8. संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.

ये भी पढ़ें- Lumpy Skin Disease Vaccine: लंपी वायरस से निपटने के जल्द प्रदेश में लाई जाएगी वैक्सीन- पशुपालन मंत्री

शिमला: हिमाचल प्रदेश के आठ जिलों में कुल 4,544 पशु लंपी चमड़ी रोग से ग्रसित पाए गए हैं और 134 गोवंश की मौत हुई है. वीरेंद्र कंवर ने सभी पशु पालकों से आग्रह किया है कि पशुओं में लंपी चमड़ी रोग के लक्षण दिखते ही वे तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा संस्थान में संपर्क करें और बीमार पशुओं को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखें. पशुशाला और उसके आस-पास की जगह को कीटाणु और मक्खी-मच्छर मुक्त करने के लिए दवाईयों का छिड़काव करें और पशुओं को रोग प्रतिरोधी टीके लगवाएं.

ग्रामीण विकास, पंचायतीराज, पशु पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गोवंश में लंपी चमड़ी रोग फैलने की आशंका को कम करने और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने पशु पालन विभाग के माध्यम से त्वरित कदम उठाए हैं. पशु पालन मंत्री ने बताया कि सभी प्रभावित जिलों में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं. प्रभावित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है और अभी तक 27,831 गायों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है और पशुपालकों को जागरुक भी किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध हैं. वैक्सीन खरीदने के लिए 12 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी जारी की गई है. विभाग के रोगव्यापिकी विंग के उपनिदेशक डॉ. अरुण सरकैक (मोबाइल नंबर 94180-44545) को राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

क्या है लंपी वायरस what is lumpy skin disease: लंपी वायरस, पशुओं (what is lampy virus) में फैलने वाला एक चर्म रोग (Lampy Skin Desease) है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका संक्रमण बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक, इस वायरस की देश में एंट्री पाकिस्तान के रास्ते हुई है. इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर पर सैकड़ों की संख्या में गांठे उभर आती हैं. साथ ही तेज बुखार, मुंह से पानी टपकना शुरू हो जाता है. इससे पशुओं को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. उसे चारा खाने और पानी पीने में भी परेशानी होती है. यह एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छर, मक्खी और जूं आदि के काटने या सीधा संपर्क में आने से फैलती है. कम प्रतिरोधक क्षमता वाली गायें शीघ्र ही इस वायरस की शिकार हो जाती है. बाद में यह वायरस एक से दूसरे पशुओं में फैल जाता है.

लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: खास तौर से गायों (Lampy Virus In Cow) में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं. राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.

बचाव ही इलाज है-

1. इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें. इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.

2. बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.

3. रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.

4. जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.

5. पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.

6. जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.

7. मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.

8. संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.

ये भी पढ़ें- Lumpy Skin Disease Vaccine: लंपी वायरस से निपटने के जल्द प्रदेश में लाई जाएगी वैक्सीन- पशुपालन मंत्री

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