किन्नौर: भाषा एवं संस्कृति विभाग किन्नौर द्वारा आज आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत जिला मुख्यालय रिकांग पिओ में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में जिले के विभिन्न भागों से आए कवियों सहित स्थानीय काॅलेज के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया. इस दौरान कवि साहित्यकारों ने जहां कविताओं के माध्यम से समाज में घट रही विभिन्न घटनाओं का जिक्र किया. वहीं, जिले की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का सरंक्षण करने पर भी बल दिया.
जिला लोक सम्पर्क अधिकारी एवं जिला भाषा अधिकारी नरेंद्र शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि किन्नौर जिला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों, रीति-रिवाजों, पहनावा व अलग खान-पान के लिए देश भर में जाना जाता है. यहां समय-समय पर मनाए जाने वाले त्योहारों में जिले की समृद्ध संस्कृति झलकती है, जिसे भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ जिले की पारम्परिक किन्नौरी बोली के संरक्षण पर भी बल दिया जा रहा है. इस उद्देश्य के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
इस अवसर पर साहित्यकार एवं कवि भगत सिंह किन्नर ने सतलुज नदी को जिले की जीवनदायिनी बताते हुए सतलुज नदी का जिले की सांस्कृतिक व आर्थिक क्षेत्र में क्या महत्व है इस पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने सतलुज के पौराणिक वैभव को भी कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया. वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि टाशी छेरिंग नेगी ने 'मैं कागज पर अपने अल्फाज लिखता हूं' और कोरोना महामारी के समय किस प्रकार मनुष्य अलग-थलग पड़ गए थे. इसके साथ ही जिंदगी क्या है, इसे कविताओं के माध्यम से बयान किया.
कवि जय पाल नेगी ने अपने गांव लिप्पा का कविता के माध्यम से सुंदर विवरण किया. कवि राम भगत नेगी ने भी विभिन्न कविताओं के माध्यम से उपस्थित युवाओं को संदेश दिया. वहीं, प्रकाश चंद ने 'मां की ममता' और देश ने किस प्रकार आजादी पाई इसे कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए स्वतंत्रता सैनानियों को श्रृद्धांजलि दी. कवयित्री किरण कुमारी ने किन्नौर जिले के बारे में कविता के माध्यम से बताया. साथ ही उन्होंने किस प्रकार परिवार से घर व समाज का निर्माण होता है, इसे भी बाखूबी प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम में कवि राजेश पाल ने 'शिक्षित बनना है, समाज को शिक्षित बनाना है' इस पर कविता पाठ किया. कवि मुकेश चंद ने जल के महत्व, विलुप्त हो रही गौरैया कविता व गजल प्रस्तुत की. प्रभुकांत ने भी इस अवसर पर विभिन्न विषयों पर कविताओं के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए.
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