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शिमला में आयोजित जूट मेला पर्यटकों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का बना केंद्र - IG COMPLEX SHIMLA

नेशनल जूट बोर्ड द्वारा जूट (National Jute Board) निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में जूट मेले का आयोजन किया जा रहा है. सात दिवसीय इस (JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA) मेले में 25 स्टॉल लगाए गए हैं. मेले में जूट के बने बैग, ज्वेलरी और जूट वॉल हैंगिंग आकर्षण का केंद्र है.

JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA
शिमला में जूट मेला
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Published : Mar 25, 2022, 4:02 PM IST

शिमला: शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में नेशनल जूट बोर्ड (National Jute Board) द्वारा आयोजित सात दिवसीय जूट मेला इन दिनों पर्यटकों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस मेले में उत्तरी भारत के विभिन्न क्षेत्रों से जूट का सामान बनाने वाले कारीगरों ने हिस्सा लिया है. जिसमें उत्तर प्रदेश, कोलकाता, हरियाणा, दिल्ली, पटना, गाजियाबाद से कारीगर जूट से बना सामान बेचने लाए हैं.

इस मेले में कुल 25 स्टॉल लगाए गए हैं. मेले में (JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA) जूट के बने बैग, ज्वेलरी और जूट वॉल हैंगिंग आकर्षण का केंद्र है. स्टॉल में लगी जूट ज्वेलरी और जूट वॉल हैंगिंग खरीदारों को लुभा रही है. इन स्टॉलों पर जूट ज्वेलरी 150-200 रुपये में और जूट वॉल हैंगिंग 400-1600 रुपये में बिक रहा है.

शिमला में जूट मेला.

इसके अलावा छोटे आभूषण 25-100 रुपये में, जूट से बने बैग 150-500 रुपये, जूट से बनी गुड़ियां 100-500 रुपये में और दरियां 1000-5000 रुपये में बिक रही हैं. वहीं, मेले में दुकानदारों ने बताया कि जूट फेयर का आयोजन दुसरी बार हो रहा है. पहली बार यह मेला कार्ट रोड पर लिफ्ट के समीप बनी कार पार्किंग में आयोजित किया गया था. उन्होंने बताया कि यह मेला नेशनल जूट बोर्ड द्वारा जूट निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है.

उन्होंने बताया कि पहले की अपेक्षा इस बार कारोबार कम है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से पहले से लोग आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. यहीं वजह से भी लोग कम ही खरीदारी कर रहे हैं. श्रीकांत त्रिपाठी ने बताया कि इस मेले का उदेश्य कारीगरों के द्वारा निर्मित जूट उत्पादों की प्रमोशन करना है. उन्होंने बताया कि इन सभी कारीगरों को पहले नेशनल जूट बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. रजिस्ट्रेशन के बाद इनमें से कुछ कारीगरों का चयन किया जाता है. चयनीत होने के बाद ही यह कारीगर जूट फेयर में हिस्सा ले सकते हैं.


प्रदर्शनी में आए दुकानदारों का कहना था कि हिमाचल सरकार (JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA) उनके लिए अच्छा काम कर रही है. उन्हें स्टॉल निशुल्क दिया गया है. उनकी मांग है कि सरकार उन्हें साल में 2 से 3 बार प्रदर्शनी का मौका दे. उनका कहना था कि शिमला में उनके जूट के उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाते है क्योंकि यहां पर प्लास्टिक बैन है, लोग जूट के बैग व अन्य सामान ज्यादा खरीदते हैं.

ये भी पढ़ें : नलवाड़ मेला सुंदरनगर: पंजाबी गानों पर गायक शिवजोत ने नचाए दर्शक, देखें वीडियो

शिमला: शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में नेशनल जूट बोर्ड (National Jute Board) द्वारा आयोजित सात दिवसीय जूट मेला इन दिनों पर्यटकों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस मेले में उत्तरी भारत के विभिन्न क्षेत्रों से जूट का सामान बनाने वाले कारीगरों ने हिस्सा लिया है. जिसमें उत्तर प्रदेश, कोलकाता, हरियाणा, दिल्ली, पटना, गाजियाबाद से कारीगर जूट से बना सामान बेचने लाए हैं.

इस मेले में कुल 25 स्टॉल लगाए गए हैं. मेले में (JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA) जूट के बने बैग, ज्वेलरी और जूट वॉल हैंगिंग आकर्षण का केंद्र है. स्टॉल में लगी जूट ज्वेलरी और जूट वॉल हैंगिंग खरीदारों को लुभा रही है. इन स्टॉलों पर जूट ज्वेलरी 150-200 रुपये में और जूट वॉल हैंगिंग 400-1600 रुपये में बिक रहा है.

शिमला में जूट मेला.

इसके अलावा छोटे आभूषण 25-100 रुपये में, जूट से बने बैग 150-500 रुपये, जूट से बनी गुड़ियां 100-500 रुपये में और दरियां 1000-5000 रुपये में बिक रही हैं. वहीं, मेले में दुकानदारों ने बताया कि जूट फेयर का आयोजन दुसरी बार हो रहा है. पहली बार यह मेला कार्ट रोड पर लिफ्ट के समीप बनी कार पार्किंग में आयोजित किया गया था. उन्होंने बताया कि यह मेला नेशनल जूट बोर्ड द्वारा जूट निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है.

उन्होंने बताया कि पहले की अपेक्षा इस बार कारोबार कम है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से पहले से लोग आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. यहीं वजह से भी लोग कम ही खरीदारी कर रहे हैं. श्रीकांत त्रिपाठी ने बताया कि इस मेले का उदेश्य कारीगरों के द्वारा निर्मित जूट उत्पादों की प्रमोशन करना है. उन्होंने बताया कि इन सभी कारीगरों को पहले नेशनल जूट बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. रजिस्ट्रेशन के बाद इनमें से कुछ कारीगरों का चयन किया जाता है. चयनीत होने के बाद ही यह कारीगर जूट फेयर में हिस्सा ले सकते हैं.


प्रदर्शनी में आए दुकानदारों का कहना था कि हिमाचल सरकार (JUTE MELA IN IG COMPLEX SHIMLA) उनके लिए अच्छा काम कर रही है. उन्हें स्टॉल निशुल्क दिया गया है. उनकी मांग है कि सरकार उन्हें साल में 2 से 3 बार प्रदर्शनी का मौका दे. उनका कहना था कि शिमला में उनके जूट के उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाते है क्योंकि यहां पर प्लास्टिक बैन है, लोग जूट के बैग व अन्य सामान ज्यादा खरीदते हैं.

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