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निजी शिक्षण संस्थानों के प्रति सख्त हुआ नियामक आयोग, फर्जी दाखिलों की जांच शुरू

प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग निजी संस्थानों को लेकर सख्त रवैया अपना रहा है. पहले जहां निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता जांची गई तो उसके बाद निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर जांच आयोग ने बैठा दी है और अब निजी कॉलेजों में फर्जी दाखिलों की जांच भी आयोग ने शुरू कर दी है.

Investigation of fake degree
फर्जी डिग्री की जांच
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Published : Jan 21, 2021, 6:30 PM IST

शिमला: प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग निजी संस्थानों को लेकर सख्त रवैया अपना रहा है. लगातार जांच का दवाब निजी संस्थानों पर बनाया जा रहा है. पहले जहां निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता जांची गई तो उसके बाद निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर जांच आयोग ने बैठा दी है और अब निजी कॉलेजों में फर्जी दाखिलों की जांच भी आयोग ने शुरू कर दी है.

आयोग निजी संस्थानों पर सख्त

आयोग की ओर से लगातार जांच की जा रही है. आयोग यह सख्ती निजी शिक्षण संस्थानों में होने वाले फर्जीवाड़ों को देखते हुए कर रहा है जिससे कि इन संस्थानों पर नकेल कसी जा सके. साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सकें.

कॉलेजों में 3 वर्षों में हुए दाखिलों का रिकॉर्ड तलब

आयोग की ओर से प्रदेश के सभी निजी कॉलेजों से पिछले तीन वर्षों में हुए दाखिलों का रिकॉर्ड तलब किया है. यह रिकॉर्ड मिलने के बाद आयोग की ओर से जांच की जाएगी कि इन संस्थानों से फर्जी डिग्रियां तो नहीं बांटी गई है. यह जांचने के लिए आयोग दाखिलों का डिग्री आवंटन की संख्या से मिलान करेगा.

फर्जी डिग्री को लेकर आयोग कर रहा जांच

कॉलेजों को आयोग के समक्ष बीते तीन सालों में जितने दाखिले हुए है, उन सभी छात्रों का पूरा रिकॉर्ड नाम और आधार नंबर सहित देना होगा. इससे आयोग को यह जानने में आसानी होगी कि संस्थानों की ओर से कोई फर्जी डिग्री तो नहीं आवंटित की गई है.

निजी संस्थानों में सामने आए फर्जी डिग्री के मामले

प्रदेश के कॉलेजों से जब यह रिकॉर्ड आयोग को प्राप्त होगा तो आयोग इस दिशा में काम शुरू कर देगा. बता दें कि इससे पहले भी प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों को फर्जी डिग्रियां बांटने के मामले सामने आ चुके है. इसमें से कुछ विश्वविद्यालयों पर जांच भी चल रही है.

निजी संस्थानों की हो रही जांच

वहीं, निजी कॉलेजों में भी छात्रों के फर्जी दाखिलों के नाम पर छात्रवृत्ति हड़पने के मामले में सबसे ज्यादा निजी संस्थानों के नाम ही सामने आए है. ऐसे में अब आयोग ने इन फर्जीवाड़ों को रोकने और इस तरह के निजी संस्थानों पर कार्रवाई करने के लिए यह जांच शुरू की है.

ये भी पढ़ें- 'बीजेपी कर रही छोटे स्तर की राजनीति, सरबजीत बॉबी को IGMC से हटाने की साजिश'

शिमला: प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग निजी संस्थानों को लेकर सख्त रवैया अपना रहा है. लगातार जांच का दवाब निजी संस्थानों पर बनाया जा रहा है. पहले जहां निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता जांची गई तो उसके बाद निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर जांच आयोग ने बैठा दी है और अब निजी कॉलेजों में फर्जी दाखिलों की जांच भी आयोग ने शुरू कर दी है.

आयोग निजी संस्थानों पर सख्त

आयोग की ओर से लगातार जांच की जा रही है. आयोग यह सख्ती निजी शिक्षण संस्थानों में होने वाले फर्जीवाड़ों को देखते हुए कर रहा है जिससे कि इन संस्थानों पर नकेल कसी जा सके. साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सकें.

कॉलेजों में 3 वर्षों में हुए दाखिलों का रिकॉर्ड तलब

आयोग की ओर से प्रदेश के सभी निजी कॉलेजों से पिछले तीन वर्षों में हुए दाखिलों का रिकॉर्ड तलब किया है. यह रिकॉर्ड मिलने के बाद आयोग की ओर से जांच की जाएगी कि इन संस्थानों से फर्जी डिग्रियां तो नहीं बांटी गई है. यह जांचने के लिए आयोग दाखिलों का डिग्री आवंटन की संख्या से मिलान करेगा.

फर्जी डिग्री को लेकर आयोग कर रहा जांच

कॉलेजों को आयोग के समक्ष बीते तीन सालों में जितने दाखिले हुए है, उन सभी छात्रों का पूरा रिकॉर्ड नाम और आधार नंबर सहित देना होगा. इससे आयोग को यह जानने में आसानी होगी कि संस्थानों की ओर से कोई फर्जी डिग्री तो नहीं आवंटित की गई है.

निजी संस्थानों में सामने आए फर्जी डिग्री के मामले

प्रदेश के कॉलेजों से जब यह रिकॉर्ड आयोग को प्राप्त होगा तो आयोग इस दिशा में काम शुरू कर देगा. बता दें कि इससे पहले भी प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों को फर्जी डिग्रियां बांटने के मामले सामने आ चुके है. इसमें से कुछ विश्वविद्यालयों पर जांच भी चल रही है.

निजी संस्थानों की हो रही जांच

वहीं, निजी कॉलेजों में भी छात्रों के फर्जी दाखिलों के नाम पर छात्रवृत्ति हड़पने के मामले में सबसे ज्यादा निजी संस्थानों के नाम ही सामने आए है. ऐसे में अब आयोग ने इन फर्जीवाड़ों को रोकने और इस तरह के निजी संस्थानों पर कार्रवाई करने के लिए यह जांच शुरू की है.

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