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IGMC मेस मामले पर कंपनी का दावा, नियमों के तहत मिला टेंडर नहीं हुई कोई गड़बड़ी

आईजीएमसी शिमला में रसोई सेवा आउटसोर्स करने के मामले में नया मोड़ आया है. कंपनी के संस्थापक ज्ञान चौहान का कहना है कि युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदोपति ठाकुर ने पिछले दिनों जो कंपनी पर आरोप लगाए हैं व निराधार हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आईजएमसी का टेंडर उन्हें टेंडरिंग प्रक्रिया के सभी नियमों के तहत मिला है.

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Published : Feb 16, 2021, 2:06 PM IST

IGMC Mess company press conference held in Shimla regarding mess tender
शिमला प्रेस क्लब पत्रकार वार्ता

शिमलाः प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी शिमला में रसोई सेवा आउटसोर्स करने के मामले में नया मोड़ आया है. अस्पताल में दाखिल मरीजों को खाना उपलब्ध करवाने के लिए जिस कंपनी को प्रशासन ने टेंडर दिया है, उस कंपनी ने सोमवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपना पक्ष रखा.

नियमों के तहत मिला टेंडर

कंपनी के संस्थापक ज्ञान चौहान का कहना है कि युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदोपति ठाकुर ने पिछले दिनों जो कंपनी पर आरोप लगाए हैं व निराधार हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आईजएमसी का टेंडर उन्हें टेंडरिंग प्रक्रिया के सभी नियमों के तहत मिला है.

वीडियो रिपोर्ट.

कम दर पर भोजन देने की शर्त पर मिला टेंडर

उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने ऑनलाइन टेंडर निकाले थे, जिसमें उनकी कंपनी ने भाग लिया. बाकी कंपनियों की अपेक्षा कम दर पर मरीजों को भोजन उपलब्ध करवाने की शर्त पर टेंडर मिला था.

बिना सूचना दिए टेंडरिंग प्रक्रिया से ब्लैकलिस्ट

दूसरी ओर टेंडर विजिलेंस के नियमों में रिश्तेदार या किसी करीबी को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर लेना या दिलवाना वर्जित है. इसी शर्त के साथ प्रशासन ने टेंडर दिया है. कंपनी का सालाना टर्नओवर 50 करोड़ है. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी ने साल 2017 में बिना सूचना दिए उन्हें टेंडरिंग प्रक्रिया से ब्लैकलिस्ट कर दिया था.

माफी ने मांगने पर मानहानि का दर्ज करवाया केस

इसके बाद कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट ने देश भर में टेंडरिंग प्रक्रिया में भाग ले सकने का फैसला दिया था. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कार्यकारी अध्यक्ष आगामी 15 दिन में निराधार आरोपों के लिए माफी नहीं मांगते हैं, तो उनके खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज करवाया जाएगा. इस मौके पर कंपनी के सीईओ राजीव नंदा भी मौजूद रहे.

क्या था पूरा मामला

आईजीएमसी में पिछले दिनों प्रशासन ने रसोई आउटसोर्स करने के लिए निजी कंपनी को टेंडर दिया. इसमें करीब 4.56 करोड़ रुपये के हिसाब से मरीजों को सालाना भोजन उपलब्ध करवाने की बात सामने आई.

मामले को लेकर युवा कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि नियमों को ताक पर रखते हुए अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने इस कंपनी को टेंडर दिया है. इसके बाद आईजीएमसी प्रशासन कुछ दिन पहले और कंपनी ने सोमवार को अपना पक्ष रखकर आरोप का खंडन किया.

ये भी पढ़ें: सरकारी स्कूलों में छुट्टियों के कैलेंडर में बदलाव की मांग, शिक्षा विभाग ने शिक्षक संघों से मांगे सुझाव

शिमलाः प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी शिमला में रसोई सेवा आउटसोर्स करने के मामले में नया मोड़ आया है. अस्पताल में दाखिल मरीजों को खाना उपलब्ध करवाने के लिए जिस कंपनी को प्रशासन ने टेंडर दिया है, उस कंपनी ने सोमवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपना पक्ष रखा.

नियमों के तहत मिला टेंडर

कंपनी के संस्थापक ज्ञान चौहान का कहना है कि युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदोपति ठाकुर ने पिछले दिनों जो कंपनी पर आरोप लगाए हैं व निराधार हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आईजएमसी का टेंडर उन्हें टेंडरिंग प्रक्रिया के सभी नियमों के तहत मिला है.

वीडियो रिपोर्ट.

कम दर पर भोजन देने की शर्त पर मिला टेंडर

उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने ऑनलाइन टेंडर निकाले थे, जिसमें उनकी कंपनी ने भाग लिया. बाकी कंपनियों की अपेक्षा कम दर पर मरीजों को भोजन उपलब्ध करवाने की शर्त पर टेंडर मिला था.

बिना सूचना दिए टेंडरिंग प्रक्रिया से ब्लैकलिस्ट

दूसरी ओर टेंडर विजिलेंस के नियमों में रिश्तेदार या किसी करीबी को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर लेना या दिलवाना वर्जित है. इसी शर्त के साथ प्रशासन ने टेंडर दिया है. कंपनी का सालाना टर्नओवर 50 करोड़ है. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी ने साल 2017 में बिना सूचना दिए उन्हें टेंडरिंग प्रक्रिया से ब्लैकलिस्ट कर दिया था.

माफी ने मांगने पर मानहानि का दर्ज करवाया केस

इसके बाद कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट ने देश भर में टेंडरिंग प्रक्रिया में भाग ले सकने का फैसला दिया था. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कार्यकारी अध्यक्ष आगामी 15 दिन में निराधार आरोपों के लिए माफी नहीं मांगते हैं, तो उनके खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज करवाया जाएगा. इस मौके पर कंपनी के सीईओ राजीव नंदा भी मौजूद रहे.

क्या था पूरा मामला

आईजीएमसी में पिछले दिनों प्रशासन ने रसोई आउटसोर्स करने के लिए निजी कंपनी को टेंडर दिया. इसमें करीब 4.56 करोड़ रुपये के हिसाब से मरीजों को सालाना भोजन उपलब्ध करवाने की बात सामने आई.

मामले को लेकर युवा कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि नियमों को ताक पर रखते हुए अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने इस कंपनी को टेंडर दिया है. इसके बाद आईजीएमसी प्रशासन कुछ दिन पहले और कंपनी ने सोमवार को अपना पक्ष रखकर आरोप का खंडन किया.

ये भी पढ़ें: सरकारी स्कूलों में छुट्टियों के कैलेंडर में बदलाव की मांग, शिक्षा विभाग ने शिक्षक संघों से मांगे सुझाव

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