शिमला: बरसात शुरू होती ही जलजनित रोगों का खतरा भी बढ़ (water borne diseases) गया है. जलजनित बीमारियों में पीलिया, डायरिया, स्क्रब टाइफस, वायरल फीवर मुख्य रूप से शामिल है, जो बरसात में होती है. इसके कारण कई लोगों की मौत तक हो जाती है. इन्ही जलजनित रोगों को लेकर आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. शोमिन धीमान ने लोगों को बरसात में होने वाली बीमारियों से अलर्ट किया (IGMC administration alerts people) है. उनका कहना है कि यदि बरसात में सावधानी नहीं बरती गई तो आपको भी ये बीमारियां हो सकते है.
डायरिया और वायरल के लक्षण व उपचार: जलजनित रोगों को सबसे खतरनाक माना (Symptoms of Diarrhea) जाता है. जलजनित रोगों में सबसे ज्यादा मामले दूषित पानी के इस्तेमाल करने से सामने आते हैं. जल के दूषित होने से फैलाने वाले रोगों का आंकड़ा सभी रोगों में सबसे ज्यादा रहता है. इन दिनों करीब 4-5 दिनों से इस तरह के कुछ ज्यादा ही मामले देखने को मिल रहे हैं. चिकित्सकोंं की माने तो डायरिया के होने का मुख्य कारण पीने के पानी का दूषित होना है. जिसमें बासी खाना खाना भी शामिल है. इसके मुख्य लक्ष्णों में उल्टी और दस्त का होना, कभी-कभी बुखार भी देखने को मिलता है. शरीर कमजोर, चलने व कार्य करने में कठिनाई भी होती है. कुछ भी खाने पर तुरंत ही खाया पिया सब बाहर आ जाता है.
इसके कारण शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है. डायरिया के गंभीर होने पर खूनी दस्त शुरु हो जाते हैं, जो घातक होते हैं. इसके साथ ही मुंह सूखने लगता है और कई बार तो नाड़ी भी नहीं मिलती, बीपी कम हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति का समय रहते उपचार न करने पर ये घातक हो सकता है और उसकी मौत तक हो सकती है. डायरिया से बचाव के लिए हमेश पानी को उबाल कर ही इस्तेमाल करना चाहिए. डायरिया हो जाने पर जीवन रक्षक घोल का कुछ-कुछ अंतराल के बाद इस्तेमाल करें. स्थिति के खराब होने पर तुंरत चिकित्सक को दिखाएं.
पीलिया रोग के लक्षण व उपाय: हेपेटाइटिस ए को पीलिया कहा जाता है और यह बरसात के दौरान बहुत ज्यादा देखने को मिलता (Symptoms and remedies of jaundice) है. हेपेटाइटिस-ए से हेपेटाइटिस-ई ज्यादा खतरानाक है और इससे जान तक चली जाती है. हेपेटाइटिस-ए का कारण भी दूषित पानी ही है. इसके लक्षणों में पेशाब पीले रंग का आता है. हल्का बुखार महसूस होता है. व्यक्ति को कमजोरी और चलने में कठिनाई महसूस होती है. पीलिया रोग से ज्यादा प्रभावित होने पर आंखों में उतर आता है और आंखों का रंग पीला हो जाता है. यह व्यक्ति के लीवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. जबकि हेपेटाइटिस-ई रोग ज्यादातर गर्भवति महिलाओं में देखने को मिलता है. इसके लिए हेपेटाइटिस के टीके लगवाना जरुरी है.
इसके लक्षण भी मिलते जुलते हैं. ज्यादा प्रभावित होने पर लीवर कार्य करना बंद कर देता और व्यक्ति की मौत तक हो सकती है. पीलिया रोग आगे से आगे फैलता है. इसके लिए जरुरी है कि पीलिया प्रभावित व्यक्ति के लिए साफ सफाई का विशेष इंतजाम किया जाए. यहां तक उसका साबुन व अन्य इस्तेमाल में लाया जाने वाला सामान अलग होना चाहिए, जिससे यह बीमारी अन्यों में न फैले. इससे बचाव के लिए पानी को उबाल कर इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें गर्म चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही तली हुई और घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसमें गन्ने का रस और मूली का रस ज्यादा लाभदायक होता है. पीलिया के बिगड़ने पर लीवर प्रभावित हो जाता है, जिससे उसकी मौत भी हो सकती है.
स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को 104 से 105 तक तेज बुखार (Symptoms of scrub typhus) आचा है. जोड़ों में दर्द और कंपकंपी, ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ सा लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू और कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण हैं. स्क्रब टाइफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें और कीटनाशक दवा का समय-समय पर छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि कई बार मरीजों की मौत तक हो जाती है.