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आपकी जान आफत में डाल सकती कुफरी की सैर, एक क्लिक पर पढ़ें पूरी जानकारी - कुफरी हिंदी न्यूज

शिमला से महज बीस किलोमीटर दूर विख्यात पर्यटन स्थल कुफरी की सैर आपकी जान जोखिम में डाल सकती है. दरअसल घोड़ों की लीद में स्पोर नामक एक जानलेवा बैक्टीरिया होता है. जिस जगह लीद गिरती है, वहां यह मिट्टी में मिल जाता है. यदि ऐसी जमीन पर जहां की मिट्टी में स्पोर हो, वहां कोई व्यक्ति गिर कर चोटिल हो जाए तो स्पोर घाव के जरिए चोटिल व्यक्ति के शरीर में पहुंच सकता है.

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Published : Sep 6, 2021, 6:38 PM IST

शिमला: पर्वतों की रानी शिमला से महज बीस किलोमीटर दूर विख्यात पर्यटन स्थल कुफरी की सैर आपकी जान जोखिम में डाल सकती है. यहां सैलानियों को घुड़सवारी का आनंद प्रदान करने के लिए सैंकड़ों घोड़े मौजूद हैं. लाखों सैलानी हर साल यहां घुड़सवारी का लुत्फ उठाते हैं, लेकिन यह शायद ही किसी को पता हो कि कुफरी की सैर आफत की सैर भी साबित हो सकती है.

दरअसल घोड़ों की लीद में स्पोर नामक एक जानलेवा बैक्टीरिया होता है. जिस जगह लीद गिरती है, वहां यह मिट्टी में मिल जाता है. यदि ऐसी जमीन पर जहां की मिट्टी में स्पोर हो, वहां कोई व्यक्ति गिर कर चोटिल हो जाए तो स्पोर घाव के जरिए चोटिल व्यक्ति के शरीर में पहुंच सकता है.

शरीर में पहुंचते ही स्पोर अपना प्रभाव छोड़ता है. जबड़ों पर अटैक कर स्पोर जबड़ों के टेढ़ा करता है और उसके जहरीले प्रभाव से इंसान की जान भी जा सकती है. कुफरी में घुड़सवारी करवाने के लिए नौ सौ से अधिक घोड़े मौजूद हैं. उनकी लीद से आसपास के सारे रास्ते भरे रहते हैं और वहां असहनीय दुर्गंध निकलती है.

हालत यह है कि घोड़ों की लीद वहां की मिट्टी में रच-बस गई है. ऐसे में किसी के भी यहां गिर कर चोटिल होने की आशंका रहती है. मेडिसिन विशेषज्ञ और आईजीएमसी अस्पताल शिमला के पूर्व प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ.एलएस पाल के अनुसार घोड़ों की लीद में जानलेवा बैक्टिरियास्पोर पाया जाता है. यदि यह इंसान के शरीर में पहुंच जाए, तो घातक होता है. इसका पहला अटैक जबड़ों पर होता है.

स्पोर इस कदर घातक है कि इससे जान भी जा सकती है. पशु चिकित्सक डॉ. अमित भी इसकी पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार घोड़ों की लीद में पाया जाने वाला स्पोर इंसान के लिए घातक है. साल 2016 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय भी इस मामले पर सख्त रवैया दिखा चुका है.

एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले पर मुख्य सचिव के साथ गृह सचिव, डीसी शिमला, साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के निदेशक को व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय में पेश होने के लिए कहा गया था. इस पर न्यायालय ने कुफरी में व्यवस्था को दुरुस्त करने के आदेश जारी किए थे.

वहीं, इस मामले पर शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी का कहना है कि घोड़े की लीद के व्यवस्था के लिए संयंत्र स्थापित करने की योजना है. कुफरी में संयंत्र स्थापित कर घोड़े की लीद से मीथेन गैस और एलपीजी बनाई जाएगी. जिसे शिमला के विभिन्न होटल में सप्लाई किया जाएगा. इसके अलावा कुफरी में घोड़ों के लिए शेड बनाया जाएगा. जिससे कुफरी में घोड़ों की संख्या नियंत्रित हो सकेगी.

पर्वतों की रानी शिमला की सैर को आए सैलानियों की यात्रा नजदीकी पर्यटन स्थल कुफरी पहुंचे बिना अधूरी मानी जाती है. शिमला पहुंचते ही गाइड सैलानियों को तुरंत कह देते हैं कि यदि कुफरी नहीं गए, तो शिमला की सैर अधूरी है. यूं तो कुफरी छोटा सा कस्बा है, लेकिन यहां की हरी-भरी वादियां और बर्फ से ढंकी चोटियां बहुत आकर्षक हैं. महासू पीक तक घुड़सवारी का अलग ही आनंद है.

इसके अलावा कुफरी से पहले हसन वैली नामक घने वन को निहारने के लिए भी हर साल लाखों सैलानी आते हैं. यही कारण है कि कुफरी की सैर के लिए सैलानियों के मन में आकर्षण रहता है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में दो दशक से देखा जा रहा FILM CITY का सपना अब होगा पूरा, 15 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

शिमला: पर्वतों की रानी शिमला से महज बीस किलोमीटर दूर विख्यात पर्यटन स्थल कुफरी की सैर आपकी जान जोखिम में डाल सकती है. यहां सैलानियों को घुड़सवारी का आनंद प्रदान करने के लिए सैंकड़ों घोड़े मौजूद हैं. लाखों सैलानी हर साल यहां घुड़सवारी का लुत्फ उठाते हैं, लेकिन यह शायद ही किसी को पता हो कि कुफरी की सैर आफत की सैर भी साबित हो सकती है.

दरअसल घोड़ों की लीद में स्पोर नामक एक जानलेवा बैक्टीरिया होता है. जिस जगह लीद गिरती है, वहां यह मिट्टी में मिल जाता है. यदि ऐसी जमीन पर जहां की मिट्टी में स्पोर हो, वहां कोई व्यक्ति गिर कर चोटिल हो जाए तो स्पोर घाव के जरिए चोटिल व्यक्ति के शरीर में पहुंच सकता है.

शरीर में पहुंचते ही स्पोर अपना प्रभाव छोड़ता है. जबड़ों पर अटैक कर स्पोर जबड़ों के टेढ़ा करता है और उसके जहरीले प्रभाव से इंसान की जान भी जा सकती है. कुफरी में घुड़सवारी करवाने के लिए नौ सौ से अधिक घोड़े मौजूद हैं. उनकी लीद से आसपास के सारे रास्ते भरे रहते हैं और वहां असहनीय दुर्गंध निकलती है.

हालत यह है कि घोड़ों की लीद वहां की मिट्टी में रच-बस गई है. ऐसे में किसी के भी यहां गिर कर चोटिल होने की आशंका रहती है. मेडिसिन विशेषज्ञ और आईजीएमसी अस्पताल शिमला के पूर्व प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ.एलएस पाल के अनुसार घोड़ों की लीद में जानलेवा बैक्टिरियास्पोर पाया जाता है. यदि यह इंसान के शरीर में पहुंच जाए, तो घातक होता है. इसका पहला अटैक जबड़ों पर होता है.

स्पोर इस कदर घातक है कि इससे जान भी जा सकती है. पशु चिकित्सक डॉ. अमित भी इसकी पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार घोड़ों की लीद में पाया जाने वाला स्पोर इंसान के लिए घातक है. साल 2016 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय भी इस मामले पर सख्त रवैया दिखा चुका है.

एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले पर मुख्य सचिव के साथ गृह सचिव, डीसी शिमला, साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के निदेशक को व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय में पेश होने के लिए कहा गया था. इस पर न्यायालय ने कुफरी में व्यवस्था को दुरुस्त करने के आदेश जारी किए थे.

वहीं, इस मामले पर शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी का कहना है कि घोड़े की लीद के व्यवस्था के लिए संयंत्र स्थापित करने की योजना है. कुफरी में संयंत्र स्थापित कर घोड़े की लीद से मीथेन गैस और एलपीजी बनाई जाएगी. जिसे शिमला के विभिन्न होटल में सप्लाई किया जाएगा. इसके अलावा कुफरी में घोड़ों के लिए शेड बनाया जाएगा. जिससे कुफरी में घोड़ों की संख्या नियंत्रित हो सकेगी.

पर्वतों की रानी शिमला की सैर को आए सैलानियों की यात्रा नजदीकी पर्यटन स्थल कुफरी पहुंचे बिना अधूरी मानी जाती है. शिमला पहुंचते ही गाइड सैलानियों को तुरंत कह देते हैं कि यदि कुफरी नहीं गए, तो शिमला की सैर अधूरी है. यूं तो कुफरी छोटा सा कस्बा है, लेकिन यहां की हरी-भरी वादियां और बर्फ से ढंकी चोटियां बहुत आकर्षक हैं. महासू पीक तक घुड़सवारी का अलग ही आनंद है.

इसके अलावा कुफरी से पहले हसन वैली नामक घने वन को निहारने के लिए भी हर साल लाखों सैलानी आते हैं. यही कारण है कि कुफरी की सैर के लिए सैलानियों के मन में आकर्षण रहता है.

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