शिमला: हिमाचल प्रदेश में चिकित्सकों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. बात अगर प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी की करें तो यहां भी चिकित्सक पेन डाउन हड़ताल पर हैं. जिस कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित (Health Services Affected in Himachal) हो रही हैं. मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉ सुरेंद्र सोढ़ी का भी कहना है कि चिकित्सकों की हड़ताल को वह नहीं रोक सकते. अपने हक की लड़ाई लड़ रहे चिकित्सकों को रोकना गलत होगा. हालांकि मरीज परेशान हो रहे हैं, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं है.
इसके अलावा शहर के अन्य बड़े अस्पतालों की बात करें तो यहां भी यही हाल है. करीब 2 घंटे तक डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे हैं. जिस कारण मरीजों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है. जिला अस्पताल डीडीयू (रिपन) मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉक्टर अर्जुन ने कहा कि कोरोना काल में चिकित्सकों ने फ्रंट लाइन पर खड़े होकर अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की है. कोविड-19 अलाउंस तो दूर, चिकित्सकों की सैलरी भी काटी जा रही है. जो सरासर गलत है. चिकित्सकों के साथ ऐसा व्यवहार बेहद निराशाजनक है और यही कारण है कि मजबूरन अपने हक की लड़ाई के लिए आज डॉक्टर्स को हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है.
यह है मुख्य मांगें: हिमाचल प्रदेश के डॉक्टरों की मुख्य (Demands of doctors in HP) मांग है कि सरकार ने चिकित्सकों का नॉन प्रैक्टिस भत्ता जो 25 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया है, उस कटौती को समाप्त किया जाए. इसके अलावा छठे वेतन आयोग में वेतन विसंगतियों को दूर कर वेतन को पंजाब के आधार पर तय करना, पंजाब के वेतनमान के आधार पर 2.37 लाख रुपये पर ही तय करना, प्रमोशन में 4-9-14 को लागू करना, पीजी व अन्य डॉक्टरों को विशेषज्ञ भत्ता देना और इसके साथ कॉन्ट्रैक्ट आधार पर भर्ती डॉक्टरों के 40 फीसदी कटौती को समाप्त कर पूर्ण 57100 रुपये के वेतनमान के आधार पर वेतन देना है.
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