शिमलाः हिमाचल को बागवानी राज्य बनाने और बागवानी से प्रदेश के लोगों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार ने एशियन विकास बैंक की ओर से वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना तैयार की है. सरकार की इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए बागवानी विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है.
पहले चार जिलों में चलेगी पायलट परियोजना
प्रदेश सरकार द्वारा तैयार किए गए इस पायलट प्रोजेक्ट को पहले निचले हिमाचल के चार जिलों में लागू किया जा रहा है, जिनमें बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर शामिल हैं. चयनित जिलों में परियोजना को लागू करने के लिए 17 समूह गठित किए गए हैं.
इनके तहत बिलासपुर में चार, मंडी में छह, कांगड़ा में पांच व हमीरपुर जिला में दो समूह गठित किए गए हैं. एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है. चिन्हित जिलों में परियोजना के अंतर्गत लगभग 170 हैक्टेयर क्षेत्र में फलदार पौधे रोपित किए जाने हैं.
100 करोड़ रुपये होंगे खर्च
एचपी शिवा परियोजना के अन्तर्गत चिन्हित क्षेत्रों में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. दो साल चलने वाले इस पायलट प्रोजेक्ट से लगभग 500 परिवारों को बागवानी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा.
परियोजना में 2.50 लाख फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इनमें संतरा, लीची, अमरूद, अनार के फलदार पौधे शामिल हैं. लाॅकडाउन के दौरान बागवानी विभाग ने फल पौधरोपण स्थलों को तैयार कर लिया है. जुलाई व अगस्त माह में इन विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधों को प्रस्तावित स्थलों पर रोपित किया जाएगा.
फल उत्पादन के लिए नए क्षेत्रों को प्राथमिकता
इस पायलट प्रोजेक्ट में उन क्षेत्रों को विकसित करने को प्राथमिकता दी गई है, जहां अभी तक फल उत्पादन नहीं होता. इसके अतिरिक्त ऐसे स्थानों को भी परियोजना में शामिल किया गया है, जहां जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों ने खेती-बाड़ी करना छोड़ दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को बागवानी से जोड़कर आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके.
साल 2021-22 में शुरू होगा मुख्य प्रोजेक्ट
एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना के पायलट प्रोजेक्ट के सफल कार्यान्वयन के बाद परियोजना का मुख्य प्रोजेक्ट वर्ष 2021-22 में आरम्भ किया जाएगा, जिस पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने प्रस्तावित हैं. परियोजना के पहले चरण में प्रदेश के लगभग 25 हजार परिवारों को बागवानी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा.
बागवानों के हित में उठाए गए विभिन्न कदम
प्रदेश सरकार का कहना है कि बागवानों के हित में अनेक कदम उठाए हैं. फल और फसलों को ओलों से बचाव के लिए लगभग 12.50 लाख वर्ग मीटर ओला अवरोधक जालियां उपलब्ध करवाई गई हैं. सेब के बागीचों में परागण के लिए 46,265 मधुमक्खी के बक्से उपलब्ध करवाए गए हैं.
फल-फसलों को बीमारियों व कीट-पतंगों से बचाने के लिए 225 मीट्रिक टन कीटनाशक अनुदान दरों पर फल उत्पादकों को उपलब्ध करवाए गए हैं. सेब, चेरी व गुठलीदार फलों की पैकिंग का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. फलों की पैकिंग के लिए लगभग 3.5 करोड़ बक्सों की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा फल विधायन के लिए बागवानों से 8.3 मीट्रिक टन स्ट्राॅबेरी खरीदी गई है.
यह है परियोजना का उद्देश्य
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को फल राज्य के रूप में विकसित करना है, ताकि प्रदेश के साथ-साथ लोगों की आर्थिकी को मजबूत किया जा सके. उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेश के लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र में ही बागवानी की जाती है. उन्होंने कहा कि परियोजना में ऐसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, जहां पर लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है.
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