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अविश्वास प्रस्ताव से विपक्ष ने क्या खोया क्या पाया, संसदीय कार्यमंत्री बोले, नियम 278 का हुआ मिसयूज

भाजपा सरकार के आखिरी विधानसभा सत्र में विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. राजीव बिंदल ने भी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को गैर (no confidence motion in hp) जरूरी कदम बताया. पढ़ें पूरी खबर...

No confidence motion against HP Govt
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Published : Aug 11, 2022, 8:24 PM IST

शिमला: भाजपा सरकार के आखिरी विधानसभा सत्र में विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है. कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था, फिर भी उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया. सदन में इस पर चर्चा हुई, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर की तरफ से जब चर्चा का जवाब देने की बारी आई तो विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. राजीव बिंदल ने भी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को गैर जरूरी कदम बताया. सीएम ने कहा कि जब विपक्ष प्रस्ताव लाया तो उसे जवाब भी सुनना चाहिए था. वहीं, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष ने नियम-278 का मिसयूज किया है. सुरेश भारद्वाज ने तो यहां तक कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष ने सदन का समय बर्बाद किया है.

दरअसल, किसी भी सरकार के कार्यकाल में विपक्ष (no confidence motion in hp) पांच साल में एक बार अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. इसके लिए नियम-278 में व्यवस्था है. कांग्रेस ने इसी नियम का सहारा लिया और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. माकपा विधायक राकेश सिंघा का साथ मिलने पर विपक्ष के पास इस प्रस्ताव को लाने के लिए पर्याप्त 23 सदस्य हो गए थे, लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष को इस नोटिस को स्वीकार करना पड़ा. अध्यक्ष ने चर्चा के लिए गुरूवार तीन बजे तक का समय निर्धारित किया और प्रश्नकाल भी स्थगित किया. विपक्ष इस बात पर अड़ा था कि चर्चा में सारे सदस्य भाग लेंगे और सदन रात के 12 बजे तक भी चलना चाहिए, लेकिन अध्यक्ष ने दोपहर तीन बजे चर्चा के जवाब का समय तय किया था. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चर्चा का जवाब देने के लिए तैयार हुए तो विपक्ष ने हंगामा करते हुए वॉकआउट कर दिया.

वहीं, माकपा नेता राकेश सिंघा ने सदन में स्वीकार किया कि इस प्रस्ताव को लाने के लिए संख्याबल तो था, लेकिन पास करवाने के लिए न्यूमेरिकल स्ट्रैंथ विपक्ष के पास नहीं थी. उन्होंने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष सदन में उन मुद्दों पर बोल सका, जो चार दिन के सत्र में शायद नहीं आ पाते. कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने भी कहा कि ये प्रस्ताव जनता के आक्रोश को सरकार के समक्ष लाने का जरिया है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी यही कहा कि जनता की आवाज के रूप में कांग्रेस ने ये अविश्वास प्रस्ताव लाया है. विपक्ष के पास संख्या बल कम होते हुए भी ये प्रस्ताव सदन में लाया गया है.

वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने चर्चा के जवाब में कहा कि इस प्रस्ताव को लाने में जिस तरह की गंभीरता होनी चाहिए, वो विपक्ष के पास नहीं थी. विपक्ष को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन ये प्रस्ताव महज खबरों में बने रहने के लिए लाया गया. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता पक्ष ने विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब दिया है. वहीं, इससे पहले चर्चा में शामिल हुए भाजपा के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राजीव बिंदल ने भी कहा कि इस प्रस्ताव का औचित्य नहीं बनता था. यदि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया तो फिर मंत्रिमंडल का इस्तीफा क्यों मांग रहे थे. चर्चा के बाद ये प्रस्ताव गिर जाएगा, लिहाजा ये महत्वहीन है. बिंदल ने कहा कि कांग्रेस को ये मान लेना चाहिए कि अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर उससे टैक्नीकल एरर हो गई है.

वहीं, विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चुटकी लेते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने अपने जवाब के दौरान कहा कि लंच टाइम में विपक्ष के कुछ सदस्य परोक्ष रूप से कह रहे थे कि इस कदम से उनकी फजीहत हो गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के सदस्य दबी जुबां में ये भी कह रहे थे एक-दो के दबाव में ये प्रस्ताव लाया गया. सीएम ने कहा कि विपक्ष ने सोचा प्रस्ताव लाने से खबर बनेगी, लेकिन ये विचार नहीं किया कि जब सत्ता पक्ष जवाब देगा तो वो भी खबर बनेगी. खैर, विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज की ये टिप्पणी सदन के रिकार्ड में आ गई कि चर्चा के बाद वोट के लिए हैड काउंट होता है. अगर विपक्ष को काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स में अविश्वास था तो उसे सदन में रहना चाहिए था. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वे विपक्ष के इस कदम की निंदा करते हैं.

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शिमला: भाजपा सरकार के आखिरी विधानसभा सत्र में विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है. कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था, फिर भी उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया. सदन में इस पर चर्चा हुई, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर की तरफ से जब चर्चा का जवाब देने की बारी आई तो विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. राजीव बिंदल ने भी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को गैर जरूरी कदम बताया. सीएम ने कहा कि जब विपक्ष प्रस्ताव लाया तो उसे जवाब भी सुनना चाहिए था. वहीं, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष ने नियम-278 का मिसयूज किया है. सुरेश भारद्वाज ने तो यहां तक कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष ने सदन का समय बर्बाद किया है.

दरअसल, किसी भी सरकार के कार्यकाल में विपक्ष (no confidence motion in hp) पांच साल में एक बार अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. इसके लिए नियम-278 में व्यवस्था है. कांग्रेस ने इसी नियम का सहारा लिया और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. माकपा विधायक राकेश सिंघा का साथ मिलने पर विपक्ष के पास इस प्रस्ताव को लाने के लिए पर्याप्त 23 सदस्य हो गए थे, लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष को इस नोटिस को स्वीकार करना पड़ा. अध्यक्ष ने चर्चा के लिए गुरूवार तीन बजे तक का समय निर्धारित किया और प्रश्नकाल भी स्थगित किया. विपक्ष इस बात पर अड़ा था कि चर्चा में सारे सदस्य भाग लेंगे और सदन रात के 12 बजे तक भी चलना चाहिए, लेकिन अध्यक्ष ने दोपहर तीन बजे चर्चा के जवाब का समय तय किया था. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चर्चा का जवाब देने के लिए तैयार हुए तो विपक्ष ने हंगामा करते हुए वॉकआउट कर दिया.

वहीं, माकपा नेता राकेश सिंघा ने सदन में स्वीकार किया कि इस प्रस्ताव को लाने के लिए संख्याबल तो था, लेकिन पास करवाने के लिए न्यूमेरिकल स्ट्रैंथ विपक्ष के पास नहीं थी. उन्होंने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष सदन में उन मुद्दों पर बोल सका, जो चार दिन के सत्र में शायद नहीं आ पाते. कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने भी कहा कि ये प्रस्ताव जनता के आक्रोश को सरकार के समक्ष लाने का जरिया है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी यही कहा कि जनता की आवाज के रूप में कांग्रेस ने ये अविश्वास प्रस्ताव लाया है. विपक्ष के पास संख्या बल कम होते हुए भी ये प्रस्ताव सदन में लाया गया है.

वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने चर्चा के जवाब में कहा कि इस प्रस्ताव को लाने में जिस तरह की गंभीरता होनी चाहिए, वो विपक्ष के पास नहीं थी. विपक्ष को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन ये प्रस्ताव महज खबरों में बने रहने के लिए लाया गया. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता पक्ष ने विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब दिया है. वहीं, इससे पहले चर्चा में शामिल हुए भाजपा के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राजीव बिंदल ने भी कहा कि इस प्रस्ताव का औचित्य नहीं बनता था. यदि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया तो फिर मंत्रिमंडल का इस्तीफा क्यों मांग रहे थे. चर्चा के बाद ये प्रस्ताव गिर जाएगा, लिहाजा ये महत्वहीन है. बिंदल ने कहा कि कांग्रेस को ये मान लेना चाहिए कि अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर उससे टैक्नीकल एरर हो गई है.

वहीं, विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चुटकी लेते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने अपने जवाब के दौरान कहा कि लंच टाइम में विपक्ष के कुछ सदस्य परोक्ष रूप से कह रहे थे कि इस कदम से उनकी फजीहत हो गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के सदस्य दबी जुबां में ये भी कह रहे थे एक-दो के दबाव में ये प्रस्ताव लाया गया. सीएम ने कहा कि विपक्ष ने सोचा प्रस्ताव लाने से खबर बनेगी, लेकिन ये विचार नहीं किया कि जब सत्ता पक्ष जवाब देगा तो वो भी खबर बनेगी. खैर, विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज की ये टिप्पणी सदन के रिकार्ड में आ गई कि चर्चा के बाद वोट के लिए हैड काउंट होता है. अगर विपक्ष को काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स में अविश्वास था तो उसे सदन में रहना चाहिए था. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वे विपक्ष के इस कदम की निंदा करते हैं.

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