शिमला: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) को लेकर सरगर्मियां शुरू हो गई हैं. सभी विधानसभा क्षेत्रों में नेता घर द्वार दस्तक देने लगे हैं. कांग्रेस भाजपा के साथ इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है. विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के सभी विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण बता रहे हैं. हिमाचल सीट स्कैन ((Himachal Seat Scan) ) में आज हम शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की बात (Shimla Rural Assembly Constituency Seat Ground Report ) करने जा रहे हैं.
शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा: इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2008 में परिसीमन के बाद पहली बार ये सीट अस्तित्व में आई थी, अभी तक इस सीट पर केवल 2 विधानसभा चुनाव ही हुए हैं, पहली बार चुनाव 2012 में हुआ था, जिसपर कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व वीरभद्र सिंह चुनाव मैदान में उतरे थे. उन्होंने इस सीट से जीत भी दर्ज की और राज्य के फिर मुख्यमंत्री भी बने. लेकिन 2017 में इस सीट पर वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया था.
विक्रमादित्य सिंह पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे. इसलिए उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही थी, ऐसे में शिमला ग्रामीण से बेहतर उनके लिए कोई सीट नहीं हो सकती थी. इस सीट पर वीरभद्र सिंह का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है, जिसका फायदा भी उनकी बेटे विक्रमादित्य को मिला. 2017 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की अब 2022 के चुनाव में इस सीट पर जीत के लिए भाजपा ने मतदाताओं को लुभाना शुरू कर दिया है. इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा में ही सीधा मुकाबला है.
कांग्रेस की ओर से विक्रमादित्य सिंह ही इस बार भी चुनावी मैदान में रहेंगे. जबकि भाजपा इस बार यहां से उम्मीदवार बदल सकती है. 2017 में भाजपा की ओर से डॉक्टर प्रमोद शर्मा चुनाव लड़े थे जोकि 4,800 मतों से हारे थे. इस बार भाजपा से प्रमोद शर्मा के अलावा शिमला जिला अध्यक्ष रवि मेहता भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. विक्रमादित्य सिंह के लिए इस सीट पर पार्टी में कोई बड़ा नेता चुनौती नहीं है. वहीं, अभी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Himachal) की ओर से भी विक्रमादित्य सिंह के सामने कई बड़ी चुनौती नजर नहीं आ रही है.
शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मतदाता: हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा क्षेत्रों में शिमला ग्रामीण 64वीं विधानसभा सीट है. शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 71,617 मतदाता हैं. इनमें 36,978 पुरुष हैं, जबकि 34,639 महिला मतदाता (Voters in Shimla Rural Assembly Constituency) हैं. इस बार अभी और नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है.
शिमला ग्रामीण विधानसभा में जातिगत आधार: शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. वहीं, इस सीट पर सबसे ज्यादा राजपूत और ब्राह्मण मतदाताओं का प्रभाव है. जोकि हार जीत का फैसला करते हैं. हालांकि इस सीट पर छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. अभी तक दोनों चुनाव में वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को ही जीत मिली है. आगामी चुनाव में इस सीट से बीजेपी जीतना चाहती है, क्योंकि 2012 के चुनाव में जहां बीजेपी प्रत्याशी (BJP candidate from Shimla Rural Constituency) और वीरभद्र सिंह के बीच में बड़ा अंतर था, लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने यह सीट सिर्फ 4,800 मतों के अंतर से गंवाई थी, ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि इस सीट पर अगर जातिगत समीकरण को साध लिया जाए तो जीत सुनिश्चित की जा सकती है. इस बार विपक्षी दलों द्वारा विक्रमादित्य के बाहरी उम्मीदवार होने का भी प्रचार किया जा रहा है. ऐसे में इस बार विक्रमादित्य सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: हिमाचल प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता एवं छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह (Himachal Former CM Virbhadra Singh) ने अपने राजनीतिक जीवन में कई सीटें बदली हैं. शुरुआती दौर में 1983 और 1985 में जुब्बल और कोटखाई से उन्होंने चुनाव लड़ा था. इससे पहले 1990, 1993, 1998 और 2007 में उन्होंने रोहड़ू से चुनाव लड़ा था. इसके बाद यह सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो जाने के बाद उन्होंने 2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इस सीट पर वीरभद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में वीरभद्र सिंह को 28,892 मत मिले थे, जबकि भाजपा के ईश्वर रोहल केवल 8,892 मत पा सके थे. वीरभद्र सिंह 20 हजार मतों से जीते थे. इस सीट पर वीरभद्र सिंह का किस कदर प्रभाव था. मुख्यमंत्री रहते वीरभद्र सिंह ने काफी विकास करवाया.
साल 2017 में शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह ने बेटे विक्रमादित्य सिंह को इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे. उन्होंने इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के डॉ. प्रमोद शर्मा को 4880 वोटों से हराया था. जिसमें 28,275 मत कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को मिले, जबकि भाजपा के डॉ. प्रमोद शर्मा को 23,395 मत पड़े. हालांकि इस बार विक्रमादित्य सिंह की राह आसान नहीं है. भाजपा इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगाएगी.
ये हैं शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दे: शिमला ग्रामीण विधानसभा की बात करें तो यह क्षेत्र कृषि बहुल क्षेत्र है और ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं. शिमला ग्रामीण क्षेत्र के कई क्षेत्रों में पानी की समस्या है. खास कर सिंचाई के लिए पानी की परियोजनाओं की कमी है. इसके अलावा कई गांव सड़क सुविधा से भी महरूम (Shimla Rural Constituency Issues) है. हालांकि वीरभद्र के मुख्यमंत्री रहते इस विधानसभा क्षेत्र में काफी ज्यादा विकास हुआ है. डिग्री कॉलेज के अलावा नए स्कूल खुले हैं और वर्तमान सरकार द्वारा भी उठाऊ जल परियोजनाओं को शुरू किया गया है. इसके साथ ही महंगाई सहित ओल्ड पेंशन बहाली भी बड़ा मुद्दा रहेगा. शिमला ग्रामीण क्षेत्र के काफी लोग सरकारी नौकरी में हैं और कर्मचारी ओल्ड पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
क्या कहते हैं शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह: शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह (Shimla Rural Constituency MLA Vikramaditya Singh) ने इस बार भी जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने काफी विकास कार्य किए हैं और 2012 में स्व. वीरभद्र सिंह द्वारा शिमला ग्रामीण विधानसभा से चुनाव जीते थे और मुख्यमंत्री रहते उन्होंने उन्होंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र में 1400 करोड़ के विकास कार्य करवाये थे. जिसमें शिक्षण संस्थान सड़कों के निर्माण करने के अलावा अनेकों कार्य किए हैं और अब वे शिमला ग्रामीण विधानसभा से विधायक हैं और विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने अपने इस कार्यकाल में 90 करोड़ के कार्य करवाये हैं. इसके अलावा उन्होंने विधायक निधि से 8,50 करोड़ के कार्यों को करवाया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र का विकास ही उनकी प्रमुख प्रथमिकता रही है और विपक्ष में रहते हुए क्षेत्र के विकास कार्य को करवाने में काफी हद तक सफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि ये सीट कांग्रेस की सीट रही है और 2022 में भी जीत हासिल करेंगे ओर सरकार बनने के बाद एक हजार करोड़ के विकास कार्य और 5000 युवाओं को रोजगार दिया जाएगा.
क्या कहते हैं भाजपा के पूर्व उम्मीदवार डॉ. प्रमोद शर्मा: वहीं, दूसरी ओर शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व उम्मीदवार डॉ. प्रमोद शर्मा ने कहा कि शिमला ग्रामीण में विकास कार्य करने में सरकार द्वारा कोई कमी नहीं रखी गई है. मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र में करोड़ों की सौगातें दी है और कॉलेज स्कूल खोलने के साथ पानी की परियोजनाओं ओर सड़कों का निर्माण किया है. उन्होंने कहा कि इस बार क्षेत्र की जनता भाजपा का साथ देगी और यहां से भाजपा का कब्जा होगा.