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हिमाचल में मिशन रिपीट को फूंक फूंक कर कदम रख रही BJP, मंत्रियों और सिटिंग एमएलए की सीट भी कन्फर्म नहीं

Himachal Pradesh Assembly Elections, राष्ट्रीय स्तर पर सियासी विश्लेषक हिमाचल को छोटा राज्य मानकर तर्क देते हैं कि मात्र चार सांसदों वाला प्रदेश हाईकमान के लिए इतनी अहमियत नहीं रखता, लेकिन ये याद रखना जरूरी है कि हिमाचल प्रदेश से भाजपा के बड़े नेताओं के सेंटीमेंट्स जुड़े हैं. पढ़ें पूरी खबर..

BJP Mission Repeat in Himachal
हिमाचल में मिशन रिपीट
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Published : Aug 29, 2022, 10:05 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लंबे अरसे से हिमाचल प्रदेश में सियासी रिवाज बदलने का दावा कर रहे हैं. हिमाचल में करीब चार दशक से कोई भी दल सत्ता में वापसी नहीं कर पाया है. हिमाचल भाजपा ये दावा कर (Himachal Pradesh Assembly Elections) रही है कि इस बार रिवाज बदलेगा. उधर, हाईकमान भी मिशन रिपीट के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. अमूमन राष्ट्रीय स्तर पर सियासी विश्लेषक हिमाचल को छोटा राज्य मानकर तर्क देते हैं कि मात्र चार सांसदों वाला प्रदेश हाईकमान के लिए इतनी अहमियत नहीं रखता, लेकिन ये याद रखना जरूरी है कि हिमाचल प्रदेश से भाजपा के बड़े नेताओं के सेंटीमेंट्स जुड़े हैं.

जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी अटल जी की तरह देवभूमि को अपना दूसरा घर कहते हैं. यही कारण है कि हिमाचल में मिशन रिपीट भाजपा की साख और नाक का सवाल बना है. जेपी नड्डा हिमाचल में हर हाल में जीतना चाहते हैं. कारण ये है कि यदि हिमाचल में भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई तो जेपी नड्डा के खाते में ये विफलता दर्ज होगी कि वे अपने ही राज्य में पार्टी को नहीं जिता पाए. वहीं, पीएम मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं और यहां की पराजय उनके लिए भी कष्टकारी होगी. वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी है. ऐसे में छोटा राज्य होने के बावजूद हिमाचल वीवीआईपी स्टेट की तरह है.

फिलहाल, इन्हीं कारणों से भाजपा हाईकमान मिशन रिपीट के (BJP Mission Repeat in Himachal) लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. हाईकमान एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है और एक-एक टिकट भी सोच-समझ कर दिया जाएगा. भाजपा के बड़े रणनीतिकार लंबे समय से हिमाचल में डटे हैं. सौदान सिंह को तो अब हिमाचल का चुनाव प्रभारी भी बना दिया गया है. वे प्रदेश भर में कई बैठकें कर चुके हैं. हाईकमान ने तय किया है कि टिकट वितरण के मापदंड कड़े किए जाएंगे. यही कारण है कि किसी भी मंत्री और विधायक का टिकट कन्फर्म नहीं है. सभी सीटों पर सर्वे हो रहा है और पार्टी हर सीट पर तीन विकल्प देख रही है. दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में रणनीति तैयार है.

उस के अनुरूप पार्टी हाईकमान सर्वे करवा रही है. लोगों से फोन के जरिए भी पूछा जा रहा है कि किस सीट पर उनकी पसंद कौन है. पार्टी सर्वे में तीन नाम दे रही है. साथ ही कांग्रेस के प्रत्याशियों की विनिंग कैपेस्टी व कैपेबिलिटी भी आंकी जा रही है. बड़ी बात है कि जिन चुनाव क्षेत्रों से कैबिनेट मंत्री जीतकर आए हैं, वहां पर भी हाईकमान तीन लोगों के बारे में पूछ रही है. शिमला में पार्टी की कोर ग्रुप की कई बैठकें हो चुकी हैं. उनमें भी टिकट को लेकर मंथन किया जा रहा है. उधर, सीएम जयराम ठाकुर भी कह चुके हैं कि किसी का भी टिकट पक्का नहीं कहा जा सकता.

टिकट का फैसला पार्टी हाईकमान ही अंतिम रूप से करती है. हिमाचल भाजपा के मुखिया सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी का काम करने का अपना तरीका है. यहां हर मंत्री व विधायक के काम का आकलन होता है. नियमित अंतराल पर रिपोर्ट बनती है. सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी में मंडल स्तर से लेकर पार्लियामेंट्री बोर्ड तक एक तय सिस्टम है. उन्होंने दावा किया कि इस बार हिमाचल में भाजपा इतिहास बनाएगी और मिशन रिपीट सफलता से पूरा किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: इस बार 1328 शतकवीर मतदाता करेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग, 122 वर्षीय दिने राम सबसे बुजुर्ग मतदाता

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लंबे अरसे से हिमाचल प्रदेश में सियासी रिवाज बदलने का दावा कर रहे हैं. हिमाचल में करीब चार दशक से कोई भी दल सत्ता में वापसी नहीं कर पाया है. हिमाचल भाजपा ये दावा कर (Himachal Pradesh Assembly Elections) रही है कि इस बार रिवाज बदलेगा. उधर, हाईकमान भी मिशन रिपीट के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. अमूमन राष्ट्रीय स्तर पर सियासी विश्लेषक हिमाचल को छोटा राज्य मानकर तर्क देते हैं कि मात्र चार सांसदों वाला प्रदेश हाईकमान के लिए इतनी अहमियत नहीं रखता, लेकिन ये याद रखना जरूरी है कि हिमाचल प्रदेश से भाजपा के बड़े नेताओं के सेंटीमेंट्स जुड़े हैं.

जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी अटल जी की तरह देवभूमि को अपना दूसरा घर कहते हैं. यही कारण है कि हिमाचल में मिशन रिपीट भाजपा की साख और नाक का सवाल बना है. जेपी नड्डा हिमाचल में हर हाल में जीतना चाहते हैं. कारण ये है कि यदि हिमाचल में भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई तो जेपी नड्डा के खाते में ये विफलता दर्ज होगी कि वे अपने ही राज्य में पार्टी को नहीं जिता पाए. वहीं, पीएम मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं और यहां की पराजय उनके लिए भी कष्टकारी होगी. वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी है. ऐसे में छोटा राज्य होने के बावजूद हिमाचल वीवीआईपी स्टेट की तरह है.

फिलहाल, इन्हीं कारणों से भाजपा हाईकमान मिशन रिपीट के (BJP Mission Repeat in Himachal) लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. हाईकमान एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है और एक-एक टिकट भी सोच-समझ कर दिया जाएगा. भाजपा के बड़े रणनीतिकार लंबे समय से हिमाचल में डटे हैं. सौदान सिंह को तो अब हिमाचल का चुनाव प्रभारी भी बना दिया गया है. वे प्रदेश भर में कई बैठकें कर चुके हैं. हाईकमान ने तय किया है कि टिकट वितरण के मापदंड कड़े किए जाएंगे. यही कारण है कि किसी भी मंत्री और विधायक का टिकट कन्फर्म नहीं है. सभी सीटों पर सर्वे हो रहा है और पार्टी हर सीट पर तीन विकल्प देख रही है. दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में रणनीति तैयार है.

उस के अनुरूप पार्टी हाईकमान सर्वे करवा रही है. लोगों से फोन के जरिए भी पूछा जा रहा है कि किस सीट पर उनकी पसंद कौन है. पार्टी सर्वे में तीन नाम दे रही है. साथ ही कांग्रेस के प्रत्याशियों की विनिंग कैपेस्टी व कैपेबिलिटी भी आंकी जा रही है. बड़ी बात है कि जिन चुनाव क्षेत्रों से कैबिनेट मंत्री जीतकर आए हैं, वहां पर भी हाईकमान तीन लोगों के बारे में पूछ रही है. शिमला में पार्टी की कोर ग्रुप की कई बैठकें हो चुकी हैं. उनमें भी टिकट को लेकर मंथन किया जा रहा है. उधर, सीएम जयराम ठाकुर भी कह चुके हैं कि किसी का भी टिकट पक्का नहीं कहा जा सकता.

टिकट का फैसला पार्टी हाईकमान ही अंतिम रूप से करती है. हिमाचल भाजपा के मुखिया सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी का काम करने का अपना तरीका है. यहां हर मंत्री व विधायक के काम का आकलन होता है. नियमित अंतराल पर रिपोर्ट बनती है. सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी में मंडल स्तर से लेकर पार्लियामेंट्री बोर्ड तक एक तय सिस्टम है. उन्होंने दावा किया कि इस बार हिमाचल में भाजपा इतिहास बनाएगी और मिशन रिपीट सफलता से पूरा किया जाएगा.

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