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निर्वाचन विभाग का मिशन 277, जिन मतदान केंद्रों में साठ फीसदी से कम वोटिंग, वहां खास फोकस - हिमाचल प्रदेश में मतदान प्रतिशत

himachal pradesh assembly elections 2022: हिमाचल प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन विभाग ने कई कार्यक्रम चलाए हैं. हिमाचल में वर्ष 2017 के चुनाव में 75 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. इससे पहले वर्ष 2012 में 72 फीसदी मतदान प्रतिशत था. पूर्व में वर्ष 2017 में प्रदेश के 277 मतदान केंद्रों में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी से कम था. यहां निर्वाचन विभाग ने खास फोकस रखा और कम वोटिंग के कारणों की विवेचना की. यहां मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

himachal pradesh assembly elections 2022
सांकेतिक तस्वीर.
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Published : Oct 15, 2022, 8:23 AM IST

शिमला: हिमाचल में राजनीतिक चेतना और मतदान के प्रति उत्साह देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है. हिमाचल प्रदेश में मतदान प्रतिशत (Voting percentage in Himachal Pradesh) बढ़ाने के लिए निर्वाचन विभाग ने कई कार्यक्रम चलाए हैं. हिमाचल में वर्ष 2017 के चुनाव में 75 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. इससे पहले वर्ष 2012 में 72 फीसदी मतदान प्रतिशत था. पूर्व में वर्ष 2017 में प्रदेश के 277 मतदान केंद्रों में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी से कम था. यहां निर्वाचन विभाग ने खास फोकस रखा और कम वोटिंग के कारणों की विवेचना की. वहीं, इस बार निर्वाचन विभाग ने 80 फीसदी मतदान प्रतिशत को छूने का लक्ष्य रखा है.

यहां मतदान प्रतिशत बढ़ाने के (himachal pradesh assembly elections 2022) लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. इन केंद्रों पर जनता को प्रेरित किया जा रहा है कि वे अधिक से अधिक मतदान के लिए आएं. इस बार चुनाव विभाग ने एक और पहल की है. प्रदेश में कई संस्थान ऐसे हैं, जहां काफी संख्या में कर्मचारी हैं. मतदान के दिन उन्हें अवकाश दिया जाता है. लेकिन पाया गया है कि कई कर्मचारी अवकाश के बावजूद वोट डालने के लिए नहीं जाते. इस बार निर्वाचन विभाग ऐसे संस्थानों के मालिकों से संपर्क कर पता लगाएगा कि उनके वहां कितने कर्मचारी थे और कितनों ने वोटिंग में हिस्सा लिया. यदि कोई कर्मचारी अवकाश के बाद भी वोटिंग करने नहीं जाता है तो उससे कारण जाना जाएगा.

बर्फ से रास्ते बाधित हुए तो चॉपर से जाएगी चुनाव सामग्री: वैसे तो मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल में अक्टूबर व नवंबर महीने को करीब-करीब ड्राई माना जाता है. नवंबर के पहले पखवाड़े तक मौसम अनुकूल रहता है. यदि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो तो चॉपर का इस्तेमाल किया जा सकता है. निर्वाचन विभाग ने पहले ही लाहौल-स्पीति व किन्नौर में जिला मुख्यालयों पर चुनाव सामग्री पहुंचा दी है, लेकिन यदि किसी मतदान केंद्र पर सामग्री पहुंचाने में मौसम बाधा बने तो चॉपर की सहायता ली जाएगी.

378 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र: हिमाचल में 378 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं. इसके अलावा 902 संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. साथ ही 6601 सामान्य मतदान केंद्र हैं. निर्वाचन विभाग ने केंद्र से 67 कंपनियां केंद्रीय सुरक्षा बलों की मांगी है. पिछली बार ये संख्या 65 थी. प्रति विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी अधिकतम 40 लाख रुपए खर्च कर सकेगा. पहले ये 28 लाख रुपए थी. हिमाचल में 142 मतदान केंद्र केवल महिलाएं संचालित करेंगी. इसके अलावा 37 केंद्रों को दिव्यांग कर्मचारी संचालित करेंगे. चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. सरकार की प्रचार सामग्री व होर्डिंग आदि हटाने शुरू हो गए हैं. आचार संहिता के लागू होते ही 24 घंटे के भीतर ये कसरत शुरू हो जाती है.

ये भी पढ़ें- Transfers in Himachal: हिमाचल सरकार ने एक IAS अधिकारी को दिया अतिरिक्त कार्यभार, 4 को एचएएस पदोन्नत किया

शिमला: हिमाचल में राजनीतिक चेतना और मतदान के प्रति उत्साह देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है. हिमाचल प्रदेश में मतदान प्रतिशत (Voting percentage in Himachal Pradesh) बढ़ाने के लिए निर्वाचन विभाग ने कई कार्यक्रम चलाए हैं. हिमाचल में वर्ष 2017 के चुनाव में 75 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. इससे पहले वर्ष 2012 में 72 फीसदी मतदान प्रतिशत था. पूर्व में वर्ष 2017 में प्रदेश के 277 मतदान केंद्रों में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी से कम था. यहां निर्वाचन विभाग ने खास फोकस रखा और कम वोटिंग के कारणों की विवेचना की. वहीं, इस बार निर्वाचन विभाग ने 80 फीसदी मतदान प्रतिशत को छूने का लक्ष्य रखा है.

यहां मतदान प्रतिशत बढ़ाने के (himachal pradesh assembly elections 2022) लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. इन केंद्रों पर जनता को प्रेरित किया जा रहा है कि वे अधिक से अधिक मतदान के लिए आएं. इस बार चुनाव विभाग ने एक और पहल की है. प्रदेश में कई संस्थान ऐसे हैं, जहां काफी संख्या में कर्मचारी हैं. मतदान के दिन उन्हें अवकाश दिया जाता है. लेकिन पाया गया है कि कई कर्मचारी अवकाश के बावजूद वोट डालने के लिए नहीं जाते. इस बार निर्वाचन विभाग ऐसे संस्थानों के मालिकों से संपर्क कर पता लगाएगा कि उनके वहां कितने कर्मचारी थे और कितनों ने वोटिंग में हिस्सा लिया. यदि कोई कर्मचारी अवकाश के बाद भी वोटिंग करने नहीं जाता है तो उससे कारण जाना जाएगा.

बर्फ से रास्ते बाधित हुए तो चॉपर से जाएगी चुनाव सामग्री: वैसे तो मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल में अक्टूबर व नवंबर महीने को करीब-करीब ड्राई माना जाता है. नवंबर के पहले पखवाड़े तक मौसम अनुकूल रहता है. यदि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो तो चॉपर का इस्तेमाल किया जा सकता है. निर्वाचन विभाग ने पहले ही लाहौल-स्पीति व किन्नौर में जिला मुख्यालयों पर चुनाव सामग्री पहुंचा दी है, लेकिन यदि किसी मतदान केंद्र पर सामग्री पहुंचाने में मौसम बाधा बने तो चॉपर की सहायता ली जाएगी.

378 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र: हिमाचल में 378 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं. इसके अलावा 902 संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. साथ ही 6601 सामान्य मतदान केंद्र हैं. निर्वाचन विभाग ने केंद्र से 67 कंपनियां केंद्रीय सुरक्षा बलों की मांगी है. पिछली बार ये संख्या 65 थी. प्रति विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी अधिकतम 40 लाख रुपए खर्च कर सकेगा. पहले ये 28 लाख रुपए थी. हिमाचल में 142 मतदान केंद्र केवल महिलाएं संचालित करेंगी. इसके अलावा 37 केंद्रों को दिव्यांग कर्मचारी संचालित करेंगे. चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. सरकार की प्रचार सामग्री व होर्डिंग आदि हटाने शुरू हो गए हैं. आचार संहिता के लागू होते ही 24 घंटे के भीतर ये कसरत शुरू हो जाती है.

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