ETV Bharat / city

बेरोजगारों ने भरा पुलिस का खजाना, दो लाख आवेदनों से जमा हुई 6 करोड़ की रकम

बेरोजगारी की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश में पुलिस विभाग ने भर्ती आवेदन से करीब 6 करोड़ रुपए की रकम जमा की है. 1334 पदों के लिए 2 लाख से अधिक युवाओं ने आवेदन किए हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल भर में 18000 पदों पर भर्तियां होती हैं और शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपए की रकम जमा होती है. बड़ी बात यह है कि हर भर्ती किसी न किसी कारण विवाद में रहती है. प्रदेश में फिलहाल 8,27,712 युवा बेरोजगार हैं.

himachal-police-earns-rs-6-crore-from-applying-for-constable-recruitment
फोटो.
author img

By

Published : Nov 2, 2021, 8:03 PM IST

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश बेरोजगारी की मार झेल रहा है. आलम यह है कि पुलिस में कांस्टेबल के 1334 पदों की भर्ती के लिए दो लाख से अधिक आवेदन आए. इस तरह आवेदन शुल्क के तौर पर पुलिस विभाग के खजाने में 6 करोड़ रुपए की रकम जमा हुई. यह ठीक है कि इसी रकम से भर्ती प्रक्रिया में आने वाला खर्च किया जाएगा, लेकिन बेरोजगारी से जूझ रहे युवा सरकार से आवेदन शुल्क न्यूनतम रखने की मांग करते आए हैं.

इस बार जनरल कैटेगरी के लिए 300 रुपये आवेदन शुल्क था. अन्य वर्गों के लिए यह शुल्क अपेक्षाकृत कम था. ऐसे में जोर लगाया जाए तो आवेदन शुल्क के तौर पर पुलिस विभाग के खजाने में 6 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा हुई. 1334 पदों में से पुरुष कांस्टेबल के 932 पद, महिला कांस्टेबल के 311 पद, ड्राइवर के 91 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे.

हिमाचल में इसी दौरान पटवारी, परिवहन विभाग के अलावा लोकसेवा आयोग के पदों के तहत भी विभिन्न पदों की भर्तियां हुई है. जिनके आवेदन शुल्क 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल भर में 18000 पदों पर भर्तियां होती हैं और शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपए की रकम जमा होती है. बड़ी बात यह है कि हर भर्ती किसी न किसी कारण विवाद में रहती है. ऐसे में आवेदन शुल्क तो बहुत पहले ले लिया जाता है और परीक्षा साल दो साल बाद होती है. इस तरह आवेदन शुल्क के तौर पर आई रकम बैंक खातों में जमा होती है और उसपर अच्छा खासा पैसा ब्याज के तौर पर भी मिलता है.

बेरोजगारी के चिंताजनक आंकड़ों पर नजर डालें तो 8,27,712 युवा बेरोजगार हैं. प्रदेश में सर्वाधिक 1,77,404 बेरोजगार कांगड़ा जिले में है. इसके अलावा लाहौल स्पीति जिले में सबसे कम 5,028 पंजीकृत हैं. हैरानी की बात यह है कि बीते साल के मुकाबले रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या कम हुई है. बीते साल पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा 8,49,371 था. जो अब 8,27,712 तक पहुंच गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल में 96,026 नए युवाओं ने भी रोजगार कार्यालय में पंजीकरण करवाया है.

वहीं रोजगार देने की बात करें तो एक सर्वे के अनुसार हिमाचल रोजगार देने में पिछड़ा है. सर्वे में बताया गया है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर 16 फीसदी के करीब पहुंच गई है. जिस कारण बेरोजगारी में दिल्ली और हरियाणा के बाद हिमाचल का नाम तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. हिमाचल प्रदेश में जब भी सरकारी सेक्टर में भर्ती का अवसर आता है तो प्रक्रिया विवादों में घिर जाती है. फिर मामला पथ परिवहन निगम का हो, पटवारी भर्ती का या फिर पुलिस की भर्ती का. हिमाचल में पुलिस की भर्ती एक ऐसा रोजगार का माध्यम है जिसके लिए युवाओं में भी क्रेज रहता है. बेशक शुरुआत में सैलरी मामूली हो लेकिन सरकारी नौकरी में सुरक्षा का बोध रहता है.

हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार इस बार भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है. संबंधित जिला के एसपी खुद निगरानी करेंगे. साथ ही पुलिस मुख्यालय भी हर प्रक्रिया पर नजर रखेगा. भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर किसी को सवाल उठाने का मौका न मिले इसके लिए इस बार खास तैयारियां की गई हैं. अभी तक डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं. अभी 31 अक्टूबर तक का समय है. ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी का संकट अभी का है. एक दशक से भी अधिक समय से हिमाचल में सरकारी नौकरियों के लिए मारामारी होती आई है. यहां तक की सचिवालय में फ्राश यानी माली की नौकरी के लिए भी एमए पास युवाओं ने आवेदन किए हैं.

ये भी पढ़ें: उपचुनाव में हार के बाद सीएम जयराम का बड़ा बयान, बोले- महंगाई बनी हार की वजह

वर्ष 2016 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान भी पटवारियों की भर्ती के दौरान यह विकट आंकड़ा देखने में आया था. सिर्फ 1120 पदों के लिए 2 लाख से अधिक आवेदन आ गए थे. वर्ष 2016 में हालात यह थी कि जिस नौकरी के लिए शैक्षणिक योग्यता महज बारहवीं क्लास पास होना है, उसके लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे. यह कोई पहली बार नहीं है कि राजस्व विभाग में इतने आवेदन आए हैं. इससे पहले भी दो बार पटवारियों के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए थे.

तब वर्ष 2013-14 में 1 लाख से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसके बाद वर्ष 2014-15 में भी सरकार ने पटवारियों के पदों को भरने का फैसला लिया था. उस समय भी 1.70 लाख के करीब युवाओं ने फार्म भरे थे. इस बार तो आंकड़ा और भी बढ़ गया है. हालांकि पटवारी के पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं यानी प्लस टू कक्षा पास होना है, लेकिन इस नौकरी के लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे. इन पदों के लिए 1120 पदों के लिए दो लाख से अधिक बेरोजगारों ने आवेदन किए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल उपचुनाव: कांग्रेस की शानदार जीत से राजीव शुक्ला गदगद, बोले- जीत का देशव्यापी असर होगा

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश बेरोजगारी की मार झेल रहा है. आलम यह है कि पुलिस में कांस्टेबल के 1334 पदों की भर्ती के लिए दो लाख से अधिक आवेदन आए. इस तरह आवेदन शुल्क के तौर पर पुलिस विभाग के खजाने में 6 करोड़ रुपए की रकम जमा हुई. यह ठीक है कि इसी रकम से भर्ती प्रक्रिया में आने वाला खर्च किया जाएगा, लेकिन बेरोजगारी से जूझ रहे युवा सरकार से आवेदन शुल्क न्यूनतम रखने की मांग करते आए हैं.

इस बार जनरल कैटेगरी के लिए 300 रुपये आवेदन शुल्क था. अन्य वर्गों के लिए यह शुल्क अपेक्षाकृत कम था. ऐसे में जोर लगाया जाए तो आवेदन शुल्क के तौर पर पुलिस विभाग के खजाने में 6 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा हुई. 1334 पदों में से पुरुष कांस्टेबल के 932 पद, महिला कांस्टेबल के 311 पद, ड्राइवर के 91 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे.

हिमाचल में इसी दौरान पटवारी, परिवहन विभाग के अलावा लोकसेवा आयोग के पदों के तहत भी विभिन्न पदों की भर्तियां हुई है. जिनके आवेदन शुल्क 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल भर में 18000 पदों पर भर्तियां होती हैं और शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपए की रकम जमा होती है. बड़ी बात यह है कि हर भर्ती किसी न किसी कारण विवाद में रहती है. ऐसे में आवेदन शुल्क तो बहुत पहले ले लिया जाता है और परीक्षा साल दो साल बाद होती है. इस तरह आवेदन शुल्क के तौर पर आई रकम बैंक खातों में जमा होती है और उसपर अच्छा खासा पैसा ब्याज के तौर पर भी मिलता है.

बेरोजगारी के चिंताजनक आंकड़ों पर नजर डालें तो 8,27,712 युवा बेरोजगार हैं. प्रदेश में सर्वाधिक 1,77,404 बेरोजगार कांगड़ा जिले में है. इसके अलावा लाहौल स्पीति जिले में सबसे कम 5,028 पंजीकृत हैं. हैरानी की बात यह है कि बीते साल के मुकाबले रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या कम हुई है. बीते साल पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा 8,49,371 था. जो अब 8,27,712 तक पहुंच गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल में 96,026 नए युवाओं ने भी रोजगार कार्यालय में पंजीकरण करवाया है.

वहीं रोजगार देने की बात करें तो एक सर्वे के अनुसार हिमाचल रोजगार देने में पिछड़ा है. सर्वे में बताया गया है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर 16 फीसदी के करीब पहुंच गई है. जिस कारण बेरोजगारी में दिल्ली और हरियाणा के बाद हिमाचल का नाम तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. हिमाचल प्रदेश में जब भी सरकारी सेक्टर में भर्ती का अवसर आता है तो प्रक्रिया विवादों में घिर जाती है. फिर मामला पथ परिवहन निगम का हो, पटवारी भर्ती का या फिर पुलिस की भर्ती का. हिमाचल में पुलिस की भर्ती एक ऐसा रोजगार का माध्यम है जिसके लिए युवाओं में भी क्रेज रहता है. बेशक शुरुआत में सैलरी मामूली हो लेकिन सरकारी नौकरी में सुरक्षा का बोध रहता है.

हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार इस बार भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है. संबंधित जिला के एसपी खुद निगरानी करेंगे. साथ ही पुलिस मुख्यालय भी हर प्रक्रिया पर नजर रखेगा. भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर किसी को सवाल उठाने का मौका न मिले इसके लिए इस बार खास तैयारियां की गई हैं. अभी तक डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं. अभी 31 अक्टूबर तक का समय है. ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी का संकट अभी का है. एक दशक से भी अधिक समय से हिमाचल में सरकारी नौकरियों के लिए मारामारी होती आई है. यहां तक की सचिवालय में फ्राश यानी माली की नौकरी के लिए भी एमए पास युवाओं ने आवेदन किए हैं.

ये भी पढ़ें: उपचुनाव में हार के बाद सीएम जयराम का बड़ा बयान, बोले- महंगाई बनी हार की वजह

वर्ष 2016 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान भी पटवारियों की भर्ती के दौरान यह विकट आंकड़ा देखने में आया था. सिर्फ 1120 पदों के लिए 2 लाख से अधिक आवेदन आ गए थे. वर्ष 2016 में हालात यह थी कि जिस नौकरी के लिए शैक्षणिक योग्यता महज बारहवीं क्लास पास होना है, उसके लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे. यह कोई पहली बार नहीं है कि राजस्व विभाग में इतने आवेदन आए हैं. इससे पहले भी दो बार पटवारियों के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए थे.

तब वर्ष 2013-14 में 1 लाख से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसके बाद वर्ष 2014-15 में भी सरकार ने पटवारियों के पदों को भरने का फैसला लिया था. उस समय भी 1.70 लाख के करीब युवाओं ने फार्म भरे थे. इस बार तो आंकड़ा और भी बढ़ गया है. हालांकि पटवारी के पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं यानी प्लस टू कक्षा पास होना है, लेकिन इस नौकरी के लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे. इन पदों के लिए 1120 पदों के लिए दो लाख से अधिक बेरोजगारों ने आवेदन किए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल उपचुनाव: कांग्रेस की शानदार जीत से राजीव शुक्ला गदगद, बोले- जीत का देशव्यापी असर होगा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.