रामपुर: हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ (Himachal Milk Producers Association) द्वारा सोमवर को दत्तनगर दूध प्लांट (Dattanagar Milk Plant in Rampur) के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने दूध के दामों बढ़ाने की मांग उठाई. इसी तरह उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी एक ज्ञापन भेजा.
ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने बताया कि पशुपालकों और दूध उत्पादकों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. हिमाचल प्रदेश की 90 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है और कृषि बागवानी यहां का मुख्य पेशा है. जिसके साथ ग्रमीण अनुपूरक आजीविका के तौर पर पशुपालन भी करते हैं. परंतु कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां पशुपालन पूरी तरह से एक व्यवसाय और लोगों की आय का साधन बन चुका है.
उन्होंने कहा कि पशुपालन में भी दूध उत्पादन आजीविका का एक मुख्य साधन है. परंतु खेद का विषय है कि पशुपालन और पशुपालक आज भी हाशिए पर है और सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं आते हैं. यह एक उपेक्षित क्षेत्र है. इसके लिए सरकार द्वारा आधारभूत ढांचे की कमी है. पिछले काफी समय से बाजार में मिलने वाले पशु आहार की कीमतों में भी काफी वृद्धि हो चुकी है. जिसके चलते दुग्ध उत्पादन की लागत बढ़ गई है.
दुग्ध सोसाइटी के जरिए दिए जाने वाले दूध की बुनियादी कीमतें भी बहुत कम है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 3 प्रतिशत फैट और 7.3 प्रतिशत एनएसएफ पर 21 रुपये प्रति लीटर व 5.5 प्रतिशत फैट और 8.5 प्रतिशत एनएसएफ पर 32.97 रुपये प्रति लीटर है, जो की बहुत ही कम है. यह मानक दरअसल मैदानी इलाकों के हैं. पहाड़ों पर यह मानक प्राप्त कर पाना मुश्किल है, क्योंकि यहां पर अधिकतर समय पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पाता है.
अगर हरा चारा उगाना भी चाहें, तो अच्छी घास या चारा उगाने के लिए सिंचाई की जरूरत होती है, जो यहां उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों को पेमेंट का भुगतान भी समय पर नहीं हो रहा है. दूध एकत्रीकरण के लिए कलेक्शन सेंटर का अभाव है. ऐसे में दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपये प्रति लीटर किया जाए. वहीं, दूध की पेमेंट हर महीने 10 तारीख से पहले दी जाए. इसके अलावा किसानों को पशुपालन (Milk Producers Association protest in rampur) के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पशु आहार को अनुदान पर देने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उपलब्ध करवाया जाए.
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