शिमला: राजनीतिक दखल के चलते जारी किए वरिष्ठ सहायक के तबादला आदेश को प्रदेश उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्रार्थी प्रदीप कुमार का स्थानांतरण केवल राजनीतिक आधार पर किया गया है, वह भी एक ऐसे व्यक्ति के कहने पर, जिसका प्रतिवादी विभाग के प्रशासन या कामकाज से कोई सरोकार नहीं है. प्रार्थी ने आंध्रा पावर हाउस चिड़गांव से अपने तबादला आदेश को चुनौती दी थी. प्रार्थी को ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड की अध्यक्ष शशि बाला की सिफारिश पर स्थानांतरित कर दिया था.
सुनवाई के दौरान मामले के रिकॉर्ड से पता चला कि शशि बाला ने एक पत्र मुख्यमंत्री को भेजा था जिसमे 6 कर्मचारियों के तबादले की सिफारिश की गई थी. प्रार्थी को चंबा जिले में किसी भी स्थान पर स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई थी. याचिकाकर्ता और अन्य कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए जिस विशिष्ट आधार पर सिफारिश की गई है, वह यह था कि वे दलगत राजनीति में लिप्त हैं और उनके संगठन/संस्थान में कार्य संस्कृति को दूषित करने का आरोप लगाया गया था.
न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री को सिफारिशें करने के लिए पत्र के लेखक की शक्ति और अधिकार के स्रोत के रूप में समझने के लिए पूरी तरह से विफल हैं, जबकि सभी कानून के शासन द्वारा शासित होते हैं. इसके अलावा, तबादले को असहमति की आवाज को दबाने या दबाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यदि याचिकाकर्ता सहित स्थानांतरित किए जाने के लिए प्रस्तावित व्यक्तियों के कार्य और आचरण के संबंध में कोई शिकायत थी, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करके अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का एकमात्र वैध कानूनी रास्ता खुला था. प्रशासनिक मनमानी से असहमति की आवाज को दबाया नहीं जा सकता.
यह उचित समय है कि नियोक्ता, चाहे वह राज्य, बोर्ड या निगम हो, राजनेताओं के मशीनीकरण के खिलाफ अपने कर्मचारियों के हितों की दृढ़ता से रक्षा करें, ताकि कर्मचारी बिना किसी डर और पक्षपात के अपने कार्यों का निर्वहन कर सकें.
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