शिमला: हिमाचल सरकार ने महिलाओं को सरकारी बसों में किराए पर पचास फीसदी छूट दी है. इससे परिवहन निगम को सालाना साठ करोड़ रुपए का घाटा होगा. हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम को होने वाले इस घाटे की भरपाई राज्य सरकार करेगी. हाई कोर्ट में ये जानकारी परिवहन विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक ने उपलब्ध करवाई. परिवहन विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि महिलाओं को बस भाड़े में 50 फीसदी छूट देने के कारण परिवहन को सालाना लगभग 60 करोड़ रुपए का घाटा होगा.
प्रधान सचिव व निदेशक अदालत के समक्ष शपथ पत्र के माध्यम से यह जानकारी दी है. उन्होंने अपने शपथ पत्र में यह भी बताया कि इसकी भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. हाई कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई कि परिवहन निगम ने 31 मार्च तक 221 करोड़ रुपए का रोड टैक्स अदा नहीं किया है. न्यायालय को बताया गया कि महिलाओं को किराए में छूट देने का निर्णय कैबिनेट का है. पहले ये छूट 25 प्रतिशत थी, जिसे अब बढ़ाकर 50 फीसदी किया गया है. महिलाओं को बस किराए में छूट देने बारे प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था और उसे कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. हाई कोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अब मामले पर अगली सुनवाई 1 अगस्त के लिए निर्धारित की है.
वहीं, प्रदेश उच्च न्यायालय से हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ को कोई राहत नहीं मिली थी. निजी बस ऑपरेटर संघ ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की तरफ से 7 जून 2022 को जारी की गई अधिसूचना कानून के सिद्धांतों के विपरीत है. संघ का तर्क था कि महिलाओं व पुरुषों के लिए बराबर किराया होना चाहिए. पथ परिवहन निगम द्वारा ग्रीन कार्ड जारी करने को भी प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है . इस विषय में यह दलील दी गई है कि पथ परिवहन निगम द्वारा ग्रीन कार्ड जैसी सुविधाएं देने की वजह से निजी बस ऑपरेटर्स को नुकसान उठाना पड़ता है. इन सभी पहलुओं पर अब 1 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
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