शिमला: शास्त्री अध्यापकों की नियुक्तियों से जुड़े मामले में शिक्षा विभाग ने (High Court directive on Shastri teachers)प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया कि वर्ष 2012 से 23 सितंबर 2018 तक 544 शास्त्री अध्यापकों को बिना बीएड डिग्री के नियुक्त किया गया था.विभाग ने यह भी बताया कि वर्ष 2018 के बाद 423 शास्त्री अध्यापकों की नियुक्ति की गई ,लेकिन शिक्षा विभाग यह नहीं बता पाया कि यह 423 अध्यापक डीएलएड अथवा बीएड जैसी जरूरी योग्यता को पूरा करते हैं या नहीं.
विभाग यह भी बताने में असफल रहा कि प्रदेश में शास्त्री पदों से जुड़े भर्ती नियमों को एनसीटीई द्वारा 29 जुलाई 2011 को अधिसूचित नियमों के अनुसार कब तक संशोधित कर लिया. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आश्चर्य जताया कि एक दशक बीत जाने परभी 29 जुलाई 2011 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती नियमों में संशोधन नहीं किया गया.
कोर्ट ने मुख्य सचिव को शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को यह बताने के आदेश दिए कि राज्य सरकार कब तक भर्ती नियमों में एनसीटीई के नियमानुसार संशोधन करेगी. उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 28 दिसंबर 2021 को जारी आदेशों के तहत राज्य भविष्य में शास्त्री के पदों को चाहे बैचवाइज या हिमाचल प्रदेश सबोर्डिनेट स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के माध्यम से भरने पर एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ भरने पर रोक लगा थी. मामले पर सुनवाई 9 मई 2022 को होगी.
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