सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का 'खारा' अब टूरिस्टों का सहारा बनेगा. यहां ब्रिटिश शासन में बनाए गए फॉरेस्ट रेस्ट हाउस को पुनर्निर्मित कर दिया गया है. पांवटा साहिब घाटी के खारा के जंगलों में 1900 के दशक की शुरुआत में निर्मित यह ऐतिहासिक रेस्ट हाउस साल के घने जंगलों के बीच स्थित है, जिसका हाल ही में वन विभाग ने जीर्णोद्धार कार्य पूरा करवाया है.
अब इस रेस्ट हाउस को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. यानी इसकी बुकिंग को बहाल कर दिया गया है. लिहाजा यदि किसी को घने जंगलों और हरियाली के बीच समय बिताना है, तो वह दिशा खारा के इस रेस्ट हाउस में पहुंच जाए, जहां उसे प्रकृति की गोद और साल के घने पेड़ों के बीच आधुनिक सुविधाओं से लैस एक बेहतर रेस्ट हाउस की सुविधा मिल पाएगी.
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दरअसल उपमंडल पांवटा साहिब वन मंडल के खारा वन बीट में स्थित औपनिवेशिक काल के इस फॉरेस्ट रेस्ट हाउस को वन विभाग ने स्थानीय डीएफओ की सोच और मार्गदर्शन से अब पूरी तरह से पुनर्निर्मित कर लिया है. इस ऐतिहासिक संरचना का जीर्णोद्धार करने में क्षेत्रीय वन अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई है, जिन्होंने ना केवल इस रेस्ट हाउस का शानदार तरीके से पुनर्निर्माण कार्य करवाया है बल्कि अब यह रेस्ट हाउस पर्यटकों के स्वागत के लिए भी पूरी तरह से तैयार है. साथ ही पर्यटकों के लिए इसे आधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया गया है.
बता दें कि इस रेस्ट हाउस के पुनर्निर्माण की टीम में डिप्टी रेंजर अनवर चौहान, वन रक्षक अजय, डिप्टी रेंजर सुमंत, वन कर्मी हरिचंद, वन कर्मी तोताराम शामिल रहे, जिनके अथक प्रयासों से यह काम संभव हो पाया है.
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ब्रिटिश शासन में इनके लिए किया गया था तैयार
दरअसल ब्रिटिश शासन में निर्मित ये ऐतिहासिक रेस्ट हाउस खारा में घने साल के जंगल से घिरा है, जो समृद्ध वन धरोहर का प्रतीक है. साथ ही ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन स्थल साबित हो सकता है. इसे ब्रिटिश शासन के दौरान वन अधिकारियों और शोधकर्ताओं के विश्राम स्थल के रूप में बनाया गया था.
वर्षों तक उपेक्षा के कारण पहुंचा नुकसान
बता दें कि वर्षों तक यह ऐतिहासिक इमारत उपेक्षा का शिकार रही, लेकिन इसका संवेदनशील तरीके से जीर्णोद्धार करवाया गया, ताकि इसके ऐतिहासिक स्वरूप को बरकरार रखा जा सके. साथ ही इसमें आधुनिक सुविधाएं भी जोड़ी जा सकें.
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इस वजह से बन जाता है आदर्श स्थल
दरअसल इस रेस्ट हाउस के पास ट्रेकिंग मार्गों में दुर्लभ पक्षी प्रजातियों की बहुतायत है, जिससे यह ऑर्निथोलॉजिस्ट और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए एक आदर्श स्थल बन जाता है. इसके साथ-साथ यह क्षेत्र इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल के तहत भी शामिल किया गया है, जो इसकी पारिस्थितिकी महत्व को दर्शाता है. बता दें कि साल वन पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता का अनूठा मिश्रण है, जो इस क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
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ये दाम किए गए निर्धारित
रेस्ट हाउस खारा में रहने के लिए हिमाचल के निवासियों को मात्र 500 रुपये प्रति रात खर्च करने होंगे, जबकि अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए 1000 रुपये प्रति रात खर्च करने होंगे. बता दें कि पूरे हिमाचल प्रदेश में साल के जंगल केवल जिला सिरमौर के पांवटा साहिब घाटी में ही पाए जाते हैं. लिहाजा इस रेस्ट हाउस को साल के यह घने पेड़ और भी खास बनाते हैं.
क्या कहते हैं डीएफओ ऐश्वर्या राज?
पांवटा साहिब वन मंडल के डीएफओ ऐश्वर्या राज ने कहा "इस ऐतिहासिक इमारत को इसकी इसकी पुरानी सुंदरता के साथ ही बहाल किया गया है. जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद इसे अब आम जनता हेतु बुकिंग के लिए खोल दिया गया है. यहां लोगों को प्रकृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर मिलेगा. यदि कोई शख्स जंगलों की शांति और हरियाली के बीच कुछ समय बिताना चाहता है, तो उसके लिए यह स्थल आदर्श स्थान साबित हो सकता है."
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