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सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा को हाईकोर्ट ने माना प्लस टू के समकक्ष, कॉन्स्टेबल के लिए कसींडर करने के आदेश

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Published : Jul 28, 2022, 8:43 PM IST

हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले प्रार्थी को राहत प्रदान की है. प्रार्थी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मैट्रिक के बाद 3 वर्ष के सिविल इंजीनियर के डिप्लोमा कोर्स को 10+2 कला (वर्ग) के समकक्ष ( civil engineering diploma equivalent to plus two) मानते हुए प्रार्थी को कॉन्स्टेबल के पद के लिए कंसीडर करने के आदेश जारी किए.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

शिमला: मैट्रिक के बाद तीन साल का सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले प्रार्थी को हाईकोर्ट ने राहत दी है. हाईकोर्ट ने प्रार्थी को पुलिस कॉन्स्टेबल पद के लिए कंसीडर करने के आदेश ( civil engineering diploma equivalent to plus two) दिए हैं. प्रार्थी अमन शर्मा ने दसवीं के बाद पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल की अवधि का डिप्लोमा किया था. पुलिस कॉन्स्टेबल की भर्ती (police constable recruitment) के न्यूनतम दस जमा दो पास होना जरूरी है.

दरअसल अमन शर्मा के तीन साल के डिप्लोमा को दस जमा दो यानी प्लस टू के समकक्ष नहीं माना जा रहा था. इस पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने मैट्रिक के बाद 3 वर्ष के सिविल इंजीनियर के डिप्लोमा कोर्स को 10+2 कला (वर्ग) के समकक्ष मानते हुए प्रार्थी को कॉन्स्टेबल के पद के लिए कंसीडर करने के आदेश जारी किए. हाईकोर्ट की न्यायधीश सबीना व न्यायधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अमन शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने पुलिस विभाग ने 1243 पुलिस कॉन्स्टेबल के पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था.

प्रार्थी ने पुलिस कॉन्स्टेबल के लिए आवेदन किया था. पुलिस कॉन्स्टेबल के पद के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 रखी गई थी. प्रार्थी के अनुसार उसके 3 वर्ष के सिविल इंजीनियरिंग वाली डिप्लोमा को 10+2 के समकक्ष नहीं माना जा रहा था. प्रार्थी ने इस बाबत 22 जनवरी 2018 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना का हवाला देते हुए न्यायालय को बताया कि उसके मुताबिक 3 साल के सिविल इंजीनियरिंग कोर्स को 10+2 कला (वर्ग) के समकक्ष माने जाने के आदेश जारी किए गए हैं. प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए यह पाया कि प्रार्थी का सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा10+2 कला (वर्ग) के बराबर है और वह पुलिस कॉन्स्टेबल के पद के लिए पात्रता रखता है.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचिव की सिफारिश पर आवंटित किया था सरकारी आवास, हिमाचल हाईकोर्ट ने भाई भतीजावाद बताकर किया रद्द

शिमला: मैट्रिक के बाद तीन साल का सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले प्रार्थी को हाईकोर्ट ने राहत दी है. हाईकोर्ट ने प्रार्थी को पुलिस कॉन्स्टेबल पद के लिए कंसीडर करने के आदेश ( civil engineering diploma equivalent to plus two) दिए हैं. प्रार्थी अमन शर्मा ने दसवीं के बाद पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल की अवधि का डिप्लोमा किया था. पुलिस कॉन्स्टेबल की भर्ती (police constable recruitment) के न्यूनतम दस जमा दो पास होना जरूरी है.

दरअसल अमन शर्मा के तीन साल के डिप्लोमा को दस जमा दो यानी प्लस टू के समकक्ष नहीं माना जा रहा था. इस पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने मैट्रिक के बाद 3 वर्ष के सिविल इंजीनियर के डिप्लोमा कोर्स को 10+2 कला (वर्ग) के समकक्ष मानते हुए प्रार्थी को कॉन्स्टेबल के पद के लिए कंसीडर करने के आदेश जारी किए. हाईकोर्ट की न्यायधीश सबीना व न्यायधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अमन शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने पुलिस विभाग ने 1243 पुलिस कॉन्स्टेबल के पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था.

प्रार्थी ने पुलिस कॉन्स्टेबल के लिए आवेदन किया था. पुलिस कॉन्स्टेबल के पद के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 रखी गई थी. प्रार्थी के अनुसार उसके 3 वर्ष के सिविल इंजीनियरिंग वाली डिप्लोमा को 10+2 के समकक्ष नहीं माना जा रहा था. प्रार्थी ने इस बाबत 22 जनवरी 2018 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना का हवाला देते हुए न्यायालय को बताया कि उसके मुताबिक 3 साल के सिविल इंजीनियरिंग कोर्स को 10+2 कला (वर्ग) के समकक्ष माने जाने के आदेश जारी किए गए हैं. प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए यह पाया कि प्रार्थी का सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा10+2 कला (वर्ग) के बराबर है और वह पुलिस कॉन्स्टेबल के पद के लिए पात्रता रखता है.

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