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राजीव सैजल के मंदिर में न जाने वाले बयान पर राज्यपाल ने जताई चिंता, बोले: घटना से हुए आहत - मंदिर में प्रवेश का मामला

जयराम सरकार के मंत्री डॉ. राजीव सैजल के बयान पर सूबे के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने चिंता जताई है. राज्यपाल ने कहा कि समाज में जाति के आधार पर भेदभाव संविधान की मूल भावना के अुनकूल नहीं है. संविधान में नीहित इन अधिकारों के कारण ही अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा होती है.

Bandaru Dattatreya, Governor
बंडारू दत्तात्रेय, राज्यपाल
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Published : Jan 8, 2020, 8:23 PM IST

शिमला: विधानसभा में चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने अपना अनुभव साझा किया. राजीव सैजल अपनी ही पार्टी के विधायक विनोद कुमार के साथ नाचन विधानसभा के दौरे पर थे. वहां इलाके के एक मंदिर में प्रवेश करने के लिए कैबिनेट मंत्री राजीव सैजल झिझक गए. ऐसा नहीं था कि उन्हें किसी ने रोका था, लेकिन राजीव सैजल ने कहा कि मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि स्थानीय जनता बुरा मान सकती है.

राजीव सैजल ने कहा कि ऐसा महसूस होने पर उन्होंने खुद ही मंदिर में प्रवेश नहीं किया. मंत्री ये कहना चाह रहे थे कि बेशक किसी ने रोका न हो, परंतु मन में झिझक तो थी ही. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दुख जताया है. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं. भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णतः रक्षा करता है.

राजीव सैजल के बयान पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने चिंता जताई है. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं. भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णतः रक्षा करता है.

राज्यपाल ने कहा कि समाज में जाति के आधार पर भेदभाव संविधान की मूल भावना के अुनकूल नहीं है. संविधान में नीहित इन अधिकारों के कारण ही अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा होती है.दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल देवभूमि है और यहां इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए दिशा निर्देश दें ताकि देवभूमि की सार्थकता बनी रहे.

ये भी पढ़ें: देवभूमि में अभी भी मौजूद है जातिवाद का दंश, मंदिर जाने से झिझके थे जयराम सरकार के मंत्री

शिमला: विधानसभा में चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने अपना अनुभव साझा किया. राजीव सैजल अपनी ही पार्टी के विधायक विनोद कुमार के साथ नाचन विधानसभा के दौरे पर थे. वहां इलाके के एक मंदिर में प्रवेश करने के लिए कैबिनेट मंत्री राजीव सैजल झिझक गए. ऐसा नहीं था कि उन्हें किसी ने रोका था, लेकिन राजीव सैजल ने कहा कि मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि स्थानीय जनता बुरा मान सकती है.

राजीव सैजल ने कहा कि ऐसा महसूस होने पर उन्होंने खुद ही मंदिर में प्रवेश नहीं किया. मंत्री ये कहना चाह रहे थे कि बेशक किसी ने रोका न हो, परंतु मन में झिझक तो थी ही. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दुख जताया है. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं. भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णतः रक्षा करता है.

राजीव सैजल के बयान पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने चिंता जताई है. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं. भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णतः रक्षा करता है.

राज्यपाल ने कहा कि समाज में जाति के आधार पर भेदभाव संविधान की मूल भावना के अुनकूल नहीं है. संविधान में नीहित इन अधिकारों के कारण ही अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा होती है.दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल देवभूमि है और यहां इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए दिशा निर्देश दें ताकि देवभूमि की सार्थकता बनी रहे.

ये भी पढ़ें: देवभूमि में अभी भी मौजूद है जातिवाद का दंश, मंदिर जाने से झिझके थे जयराम सरकार के मंत्री

Intro:मंन्दिर में प्रवेश न करने देने की घटना पर राज्यपाल ने दुःख जताया

मीडिया में जारी प्रदेश सरकार के एक मंत्री और एक विधायक को लेकर खबर जिसमें एक मंत्री और विधायक को मन्दिर में प्रवेश करने से रोका गया है। इस पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं।


Body:उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णतः रक्षा करता है। समाज मेें जाति के आधार पर भेदभाव संविधान की मूल भावना के अुनकूल नहीं है। संविधान में नीहित इन अधिकारों के कारण ही अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा होती है।Conclusion:दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल देवभूमि है और यहां इस तरह की घटनाएं चिंताजनक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए दिशा निर्देश दें ताकि देवभूमि की सार्थकता बनी रहे।
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