शिमला: प्रदेश सरकार के साढ़े तीन साल पूरे होने के बाद अब भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं. पार्टी में असंतुष्ट और सरकार बनने से अब तक हाशिये पर रहे भाजपा नेताओं को जल्द ही बोर्डों और निगमों में नियुक्तियां दी जा सकती है. जानकारी के अनुसार विधानसभा सत्र खत्म होते ही यानी 13 अगस्त के बाद बोर्डों और निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नियुक्त किए जा सकते हैं. पार्टी हाईकमान की तरफ से इसकी मंजूरी मिल चुकी है.
जानकारी के अनुसार हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने इस विषय को हाईकमान के समक्ष रखा था, जिस पर हाईकमान की तरफ से भी सहमति जताई गई है. दरअसल सितंबर में संभावित उपचुनाव को लेकर भी अधिकांश भाजपा नेताओं ने खुलेआम तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं.
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गोविंद शर्मा से पहले जुब्बल कोटखाई से भाजपा की नेत्री नीलम सरकेक भी टिकट की मांग कर चुकी हैं और विद्रोह की धमकी दे चुकी है. मंडी संसदीय सीट पर कुल्लू से भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह को भी अगर टिकट नहीं मिला तो वह भी संभवत: पार्टी विरोधी कोई कदम उठा सकते हैं.
प्रदेश के मलाइदार निगमों व बोर्डों में पर्यटन विकास निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शीर्ष पर है. इसके अलावा राज्य कामगार बोर्ड के अलावा कई ऐसे पद हैं, जहां पर सरकार अपने चहेतों को बिठा सकती है. राज्य कामगार बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भारतीय मजदूर संघ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर की ताजपोशी जयराम सरकार ने सत्ता में आने के कुछ दिन बाद ही कर दी थी, लेकिन वह इस पद पर विराजमान नहीं हो सके. सुरेंद्र ठाकुर अर्की विधानसभा हलके से ही हैं व पिछले दिनों जिस संस्था के मंच से गोविंद राम शर्मा ने विद्रोह का झंडा उठाया था, वह उन्हीं की संस्था थी.
इसके अलावा राज्य महिला कल्याण बोर्ड के लिए प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष रश्मिधर सूद व दो अन्य महिला नेत्रियों के नाम आलाकमान को भेजे गए थे, लेकिन इन पर भी कुछ नहीं हुआ. राज्य महिला कल्याण बोर्ड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कुछ बदलाव भी किए गए थे. राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय महिला कल्याण बोर्ड का भी गठन नहीं हो पाया है. प्रदेश में पर्यटन विकास निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही ऐसे दो पद हैं, जहां पर मुख्यमंत्री अपने सबसे भरोसेमंद लोगों की ताजपोशी करते हैं. इन दोनों ही पदों पर कमाई भी खूब होती है. हालांकि कोविड के कारण पर्यटन निगम के होटलों से ज्यादा कमाई नहीं हो पाई है, लेकिन साढ़े तीन सालों में इन दो पदों पर किसी की ताजपोशी भी नहीं हो पाई है.
ऐसे में अब साढ़े तीन साल बाद इन पदों पर ताजपोयाी करने की अटकलें एक बार फिर से चल पडी है. दो नगर निगम चुनाव में मिली हार के बाद इस सरकार में आए दिन कुछ न कुछ फेरबदल की अटकलें लग जाती हैं. अब बोर्डों व निगमों के ताजपोशी को लेकर बातें की जा रही हैं.
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