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हिमाचल सरकार सड़क हादसों पर करेगी फोकस, Black Spot और क्रैश बैरियर की सुधरेगी दशा - क्रैश बैरियर की सुधरेगी दशा

हिमाचल प्रदेश में हर साल सड़क हादसों में एक हजार से अधिक लोगों को जान (road accident in himachal)गंवानी पड़ती है. हादसों का एक प्रमुख कारण ब्लैक स्पॉट (black spot in himachal)और टूटे हुए क्रैश बैरियर( broken crash barrier in Himachal) माने जाते हैं.राज्य सरकार अब इन पर फोकस (Himachal government focus on accidents)करेगी. वहीं, क्रैश बैरियर लगाते समय आईआरसी. यानी इंडियन रोड कांग्रेस(Indian Road Congress) के मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया.

हिमाचल सरकार सड़क हादसों पर करेगी फोकस,
Himachal government will focus on stopping road accidents
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Published : Dec 14, 2021, 5:02 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में हर साल सड़क हादसों में एक हजार से अधिक लोगों को जान (road accident in himachal)गंवानी पड़ती है. हादसों का एक प्रमुख कारण ब्लैक स्पॉट (black spot in himachal)और टूटे हुए क्रैश बैरियर( broken crash barrier in Himachal) माने जाते हैं. राज्य सरकार अब इन पर फोकस (Himachal government focus on accidents)करेगी. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हिमाचल में इस संदर्भ में पॉलिसी बनाई गई है.अब क्रैश बैरियर लगाने और उनकी मरम्मत करने की जवाबदेही संबंधित ठेकेदार की होगी.

क्रैश बैरियर लगाते समय आईआरसी. यानी इंडियन रोड कांग्रेस(Indian Road Congress) के मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया है.अब नए नियमों के तहत हिमाचल में क्रैश बैरियर व पैरापिट लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग के हर डिवीजन को तीन से पांच कॉन्ट्रैक्ट ऑनलाइन बिडिंग के माध्यम से किए जा रहे. आंशिक क्षति वाले पैरापिट व क्रैश बैरियर की मरम्मत तय समय में करनी होगी. यदि कोई क्रैश बैरियर क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे एक पखवाड़े के भीतर ठीक करना होगा.

पॉलिसी के तहत दूसरा फोकस ब्लैक स्पॉट पर किया गया. हिमाचल में आंकड़ों के अनुसार 520 से अधिक ब्लैक स्पॉट हैं. लोक निर्माण विभाग ने इनमें से 40 फीसदी को सुधार दिया .वहीं ,जीवीके कंपनी के सर्वे में ब्लैक स्पॉट की संख्या 697 बताई गई है. ब्लैक स्पॉट को डैथ पॉइंट भी बोलते हैं. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे या अन्य किसी सड़क के 500 मीटर के दायरे में तीन सालों में कम से कम दो एक्सीडेंट हुए हों और जिसमें 10 से अधिक लोगों को मौत हुई हो, उन्हें ब्लैक स्पॉट बोला जाता है. हिमाचल में कुछ साल पूर्व नूरपुर हादसे में 24 बच्चों की मौत सहित साल 2015 में जिला किन्नौर में नेशनल हाइवे-5 पर भयावह सडक़ दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई थी और 11 लोग गंभीर तौर पर जख्मी हुए थे.

वर्ष 2016 में जून महीने में दो दिन के भीतर तीन सडक़ हादसों में 41 लोग काल का शिकार हो गए थे. ऐसे कई हादसे हैं, जिन्होंने हिमाचल को गहरे और कभी न भरने वाले जख्म दिए. यह सभी हादसे ब्लैक स्पॉट पर ही घटित हुए. यह तथ्य सामने आया था कि सबसे अधिक हादसे वीकेंड के दौरान होते. दिन ढलने पर और रात 9 बजे के बीच में बहुत एक्सीडेंट होते हैं. मई से अगस्त तक के महीनों में अधिक हादसे घटित हुए.

हिमाचल में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 तक 12475 सड़क हादसे हुए. पांच फीसदी हादसों का कारण सड़क की खराबी माना गया. हिमाचल में ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी मोड़ने पर 16 फीसदी से अधिक हादसे हुए हैं. हिमाचल में ताजा आंकड़ों के अनुसार 169 ब्लैक स्पॉट अधिक संवेदनशील हैं. परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह के अनुसार सरकार इस बात को गंभीरता से ले रही है. पिछले कुछ सालों से सरकार सड़क सुधार और ब्लैक स्पॉट पर तेजी से कार्य कर रही है. बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की कोशिश है कि आने वाले समय में सड़क की खराबी से होने वाले सड़क हादसों को खत्म किया जा सके.

ये भी पढ़ें : Himachal assembly winter session 2021: विधानसभा में गूंजा पर्यटन विभाग की संपत्तियों को बेचने का मामला, विपक्ष का सदन से वॉकआउट

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में हर साल सड़क हादसों में एक हजार से अधिक लोगों को जान (road accident in himachal)गंवानी पड़ती है. हादसों का एक प्रमुख कारण ब्लैक स्पॉट (black spot in himachal)और टूटे हुए क्रैश बैरियर( broken crash barrier in Himachal) माने जाते हैं. राज्य सरकार अब इन पर फोकस (Himachal government focus on accidents)करेगी. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हिमाचल में इस संदर्भ में पॉलिसी बनाई गई है.अब क्रैश बैरियर लगाने और उनकी मरम्मत करने की जवाबदेही संबंधित ठेकेदार की होगी.

क्रैश बैरियर लगाते समय आईआरसी. यानी इंडियन रोड कांग्रेस(Indian Road Congress) के मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया है.अब नए नियमों के तहत हिमाचल में क्रैश बैरियर व पैरापिट लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग के हर डिवीजन को तीन से पांच कॉन्ट्रैक्ट ऑनलाइन बिडिंग के माध्यम से किए जा रहे. आंशिक क्षति वाले पैरापिट व क्रैश बैरियर की मरम्मत तय समय में करनी होगी. यदि कोई क्रैश बैरियर क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे एक पखवाड़े के भीतर ठीक करना होगा.

पॉलिसी के तहत दूसरा फोकस ब्लैक स्पॉट पर किया गया. हिमाचल में आंकड़ों के अनुसार 520 से अधिक ब्लैक स्पॉट हैं. लोक निर्माण विभाग ने इनमें से 40 फीसदी को सुधार दिया .वहीं ,जीवीके कंपनी के सर्वे में ब्लैक स्पॉट की संख्या 697 बताई गई है. ब्लैक स्पॉट को डैथ पॉइंट भी बोलते हैं. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे या अन्य किसी सड़क के 500 मीटर के दायरे में तीन सालों में कम से कम दो एक्सीडेंट हुए हों और जिसमें 10 से अधिक लोगों को मौत हुई हो, उन्हें ब्लैक स्पॉट बोला जाता है. हिमाचल में कुछ साल पूर्व नूरपुर हादसे में 24 बच्चों की मौत सहित साल 2015 में जिला किन्नौर में नेशनल हाइवे-5 पर भयावह सडक़ दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई थी और 11 लोग गंभीर तौर पर जख्मी हुए थे.

वर्ष 2016 में जून महीने में दो दिन के भीतर तीन सडक़ हादसों में 41 लोग काल का शिकार हो गए थे. ऐसे कई हादसे हैं, जिन्होंने हिमाचल को गहरे और कभी न भरने वाले जख्म दिए. यह सभी हादसे ब्लैक स्पॉट पर ही घटित हुए. यह तथ्य सामने आया था कि सबसे अधिक हादसे वीकेंड के दौरान होते. दिन ढलने पर और रात 9 बजे के बीच में बहुत एक्सीडेंट होते हैं. मई से अगस्त तक के महीनों में अधिक हादसे घटित हुए.

हिमाचल में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 तक 12475 सड़क हादसे हुए. पांच फीसदी हादसों का कारण सड़क की खराबी माना गया. हिमाचल में ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी मोड़ने पर 16 फीसदी से अधिक हादसे हुए हैं. हिमाचल में ताजा आंकड़ों के अनुसार 169 ब्लैक स्पॉट अधिक संवेदनशील हैं. परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह के अनुसार सरकार इस बात को गंभीरता से ले रही है. पिछले कुछ सालों से सरकार सड़क सुधार और ब्लैक स्पॉट पर तेजी से कार्य कर रही है. बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की कोशिश है कि आने वाले समय में सड़क की खराबी से होने वाले सड़क हादसों को खत्म किया जा सके.

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