शिमला: देश और दुनिया में समय-समय पर भूख और कुपोषण के खिलाफ जंग की बात होती है. देवभूमि हिमाचल (Devbhoomi Himachal)बच्चों के पोषण के मामले में स्वर्ग साबित हुआ है. छोटे पहाड़ी राज्य ने पोषण, नवजात शिशु मृत्यु दर को थामने में देश भर में बेहतर काम किया. पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में भी हिमाचल ने शानदार काम किया है.
राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Health Minister Dr. Rajiv Saizal) का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में पोषण से जुड़े कार्यक्रमों की नियमित अंतराल पर मॉनिटरिंग होती है. आंगनवाड़ी केंद्रों और मिड -डे मील के अभियान भी सफलता से चल रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि हिमाचल के पास भूख और कुपोषण के खिलाफ अचूक हथियार है. इस मामले में बढ़िया कार्य के लिए केंद्र सरकार ने भी हिमाचल की इस उपलब्धि को सम्मान दिया है.
हिमाचल को पोषण अभियान के तहत अगस्त 2019 में तीन नेशनल पुरस्कार (National Award) भी मिले. यही नहीं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matri Vandana Yojana) में सफलता के नए मापदंड स्थापित कर हिमाचल देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बना है. इस सफलता के पीछे कई अन्य कारण भी हैं. संपन्न राज्य होने के कारण यहां अभाव अपेक्षाकृत कम है. प्रति व्यक्ति आय भी बेहतर और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी व्यापक प्रबंध है. डॉक्टर्स भी यहां प्रति व्यक्ति हिमाचल में देश में सबसे अधिक है. इसका परोक्ष प्रभाव पोषण के मामले में सफलता से जुड़ा है. ऐसे में भूख और कुपोषण के खिलाफ जंग में आधी लड़ाई तो इसी से जीत ली जाती है.
जहां तक सवाल है नवजात शिशु मृत्युदर को थामने का तो उसमें मिली सफलता में मजबूत स्वास्थ्य ढांचे का बड़ा योगदान है. उदाहरण के लिए के हिमाचल प्रदेश में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं के लिए प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना संजीवनी साबित हुई है. इस योजना में हिमाचल का प्रदर्शन देश भर में अव्वल रहा है. यहां लाभार्थी महिलाओं के खाते में 45 करोड़ रुपए से अधिक की राशि सीधी ट्रांसफर हुई है. हिमाचल की एक लाख से अधिक महिलाओं को योजना का लाभ मिला है. हिमाचल में जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसूता महिलाओं को 1100 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य के लिहाज से प्रति व्यक्ति 29 हजार रुपए खर्च कर रहा है. ये औसत देश में सर्वाधिक है. यही नहीं, हिमाचल में 2990 लोगों के लिए एक हेल्थ सब-सेंटर (Health Sub-Center)है. वहीं, नेशनव एवरेज 34641 लोगों की है. हिमाचल में एक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (community health center) 80 हजार की औसत जनसंख्या को लाभ देता है. देश में ये औसत 1.76 लाख व्यक्ति है.
हिमाचल में बिलासपुर के कोठीपुरा में एम्स (AIIMS)ओपीडी शुरू हो गई है. हिमाचल प्रदेश में छह मेडिकल कॉलेज अस्पताल है. इस तरह स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का जाल यहां बिछा है, जिसकी मदद से महिलाओं व नवजात शिशुओं सहित बच्चों की सेहत का पोषण के लिहाज से ख्याल रखा जाता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी (Health Secretary Amitabh Awasthi) का कहना है कि राज्य में आंगनवाड़ी के तहत शिशुओं को पोषण से भरपूर आहार मिलता है. हिमाचल में अब फोर्टिफाइड आटा व दलिया भी दिया जाता है. अगला चरण मिड -डे मील योजना का है.
इस योजना में हिमाचल के 15 हजार 516 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों (middle schools) के 4,97,774 छात्र-छात्राओं को फोर्टिफाइड आटा, नमक, एडिबल ऑयल आदि से पोषण मिलता है. फिर स्कूल हेल्थ प्रोग्राम (school health program) के तहत छात्रों की स्वास्थ्य जांच व इलाज की सुविधा है. यदि हिमाचल में नवजात शिशु मृत्यु दर व पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के संदर्भ में बात की जाए तो इस दर में गिरावट लाने वाला ये देश का अव्वल राज्य है.
हिमाचल में नवजात शिशु मृत्यु दर में 15.8 फीसदी व पांच साल की आयु के बच्चों की मृत्युदर में 18.2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो हिमाचल प्रदेश में इस समय 18386 आंगनवाड़ी केंद्र व 539 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र हैं. यहां चालीस हजार से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं बच्चों के पोषण का ख्याल रखती हैं. जिन जगहों पर समस्या है, वहां राज्य सरकार विशेष अभियान चलाती है.
राज्य के पिछड़े जिले में शुमार चंबा में मात्र तीन हजार बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए. वहां उनको विशेष केयर देकर स्थिति सुधारी जा रही है. हिमाचल से संबंध रखने वाले विश्वविख्यात बाल रोग विशेषज्ञ और नीति आयोग के सदस्य विनोद पॉल (NITI Aayog member Vinod Paul) के अनुसार हिमाचल की स्थिति कई मामलों में बेहतर है. राज्य सरकार के बढ़िया स्वास्थ्य ढांचे के कारण कुपोषण व नवजात शिशु मृत्यु दर थामने में सहायता मिली है. देश की महिलाओं और बच्चों में कमजोरी की समस्या 20 प्रतिशत है और हिमाचल प्रदेश में यह 14 प्रतिशत है. हिमाचल के पांच जिलों शिमला, सोलन, ऊना, हमीरपुर और चंबा में कुपोषण अधिक है. यहां पर 45 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे कुपोषण का शिकार है,लेकिन देश के मुकाबले ये स्थिति बहुत बेहतर है.
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