शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने 250 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले से जुड़े मामले में सीबीआई की धीमी जांच पर नाराजगी जताते हुए सीबीआई को जांच में तेजी लाकर इसे पूरा करने और सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ा व्यक्त की कि छह महीने बीत जाने के बावजूद सीबीआई घोटाले में संलिप्त संस्थानों व दोषियों के खिलाफ एक भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी.
सीबीआई ने इस मामले में सातवीं स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की. स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार घोटाले में सीबीआई द्वारा की गई अब तक की जांच में 1176 संस्थानों की संलिप्तता का पता चला है. 266 निजी संस्थानों में से 28 संस्थानों को छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त पाया गया है. सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 28 में से 11 संस्थानों की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं. 17 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी जारी है. अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि 20 अक्टूबर, 2021 को जब इस मामले पर सुनवाई हुए थी तब भी यही स्थिति थी.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल (Scholarship scam in Himachal) दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी श्याम लाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता के अनुसार घोटाले की जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि छात्रवृत्ति की बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया था और राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के अलावा, भारत के अन्य राज्यों में स्थित अन्य शैक्षणिक संस्थान भी इस घोटाले में शामिल थे.
नतीजतन राज्य सरकार द्वारा उचित और गहन जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. याचिकाकर्ता ने सीबीआई जांच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई सभी दोषी संस्थानों की जांच नहीं कर रही है. कोर्ट ने सीबीआई को जांच तेजी से पूरा करने और सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करने का एक और मौका दिया. कोर्ट ने सीबीआई को 20.04.2022 को मामले पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया.
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