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हिमाचल सरकार को HC का आदेश, विवाहित बेटियां भी करुणामूलक आधार पर नौकरी की पात्र - हिमाचल न्यूज

हिमाचल हाईकोर्ट ने मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति करने के आदेश प्रदेश सरकार को दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि अगर प्रार्थी अनुकंपा आधार पर नौकरी पाने के लिए अन्य मापदण्ड पूरा करती है तो उसके आवेदन को मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री होने के आधार पर खारिज न किया जाए.

High Court orders verdict on giving job to daughter of deceased employee
हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Oct 29, 2020, 7:21 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि वह मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करे. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने प्रार्थी ममता देवी की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि अगर प्रार्थी अनुकंपा आधार पर नौकरी पाने के लिए अन्य मापदण्ड पूरा करती है तो उसके आवेदन को मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री होने के आधार पर खारिज न किया जाए.

बता दें कि प्रार्थी के अनुसार 8 मई 2019 को उसके पिता का देहांत हो गया था. वह जिला आयुर्वेदिक कार्यालय कुल्लू चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे. प्रार्थी के अनुसार उसके अलावा उसकी माता और बहन मृतक पिता पर आश्रित थे. उनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है जो उसकी माता की देखभाल कर सके. उसकी माता व बहन नौकरी करने में असमर्थ होने के कारण प्रार्थी ने अनुकम्पा आधार पर नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसका आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की नीति के तहत विवाहित बेटियां पात्रता नहीं रखती.

प्रार्थी ने सरकार की इस नीति को लैंगिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थी का कहना था कि जैसे मृतक कर्मचारी का पुत्र पूरा जीवन पुत्र ही रहता है उसी तरह बेटी भी बेटी ही रहती है चाहे वह शादीशुदा हो या अविवाहित हो. इसलिए केवल इस आधार पर उसे अनुकंपा आधार पर नौकरी के लिए अयोग्य कहना कि वह विवाहित है. भारतीय संविधान के तहत भेदभाव पूर्ण ठहराया जाना चाहिए.

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सरकार लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती. कोर्ट की खंडपीठ ने इसे भेदभावपूर्ण ठहराते हुए विवाहित महिलाओं को भी अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्र माना जाना चाहिए. विशेषतया तब जब आश्रित परिवार में कोई पुरूष सदस्य नौकरी के काबिल न हो.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि वह मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करे. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने प्रार्थी ममता देवी की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि अगर प्रार्थी अनुकंपा आधार पर नौकरी पाने के लिए अन्य मापदण्ड पूरा करती है तो उसके आवेदन को मृतक कर्मचारी की विवाहित पुत्री होने के आधार पर खारिज न किया जाए.

बता दें कि प्रार्थी के अनुसार 8 मई 2019 को उसके पिता का देहांत हो गया था. वह जिला आयुर्वेदिक कार्यालय कुल्लू चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे. प्रार्थी के अनुसार उसके अलावा उसकी माता और बहन मृतक पिता पर आश्रित थे. उनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है जो उसकी माता की देखभाल कर सके. उसकी माता व बहन नौकरी करने में असमर्थ होने के कारण प्रार्थी ने अनुकम्पा आधार पर नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसका आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की नीति के तहत विवाहित बेटियां पात्रता नहीं रखती.

प्रार्थी ने सरकार की इस नीति को लैंगिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थी का कहना था कि जैसे मृतक कर्मचारी का पुत्र पूरा जीवन पुत्र ही रहता है उसी तरह बेटी भी बेटी ही रहती है चाहे वह शादीशुदा हो या अविवाहित हो. इसलिए केवल इस आधार पर उसे अनुकंपा आधार पर नौकरी के लिए अयोग्य कहना कि वह विवाहित है. भारतीय संविधान के तहत भेदभाव पूर्ण ठहराया जाना चाहिए.

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सरकार लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती. कोर्ट की खंडपीठ ने इसे भेदभावपूर्ण ठहराते हुए विवाहित महिलाओं को भी अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्र माना जाना चाहिए. विशेषतया तब जब आश्रित परिवार में कोई पुरूष सदस्य नौकरी के काबिल न हो.

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