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ST एरिया से बाहर रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए धन आवंटित करेगी सरकार, विधानसभा में दी गई जानकारी - नीति आयोग का गठन

हिमाचल सरकार गैर जनजातीय इलाकों में निवास कर रहे जनजातीय लोगों के लिए आबादी व क्षेत्रफल के धन का आवंटन करेगी. यह जानकारी सुरेश भारद्वाज ने विधानसभा में नियम 130 के तहत मुख्य सचेतक विक्रम जरियाल की तरफ से शुरू की गई चर्चा का जवाब देते हुए दी.

सुरेश भारद्वाज
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Published : Aug 3, 2021, 10:36 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार गैर जनजातीय इलाकों में रह रहे ट्राइबल लोगों के लिए आबादी व क्षेत्रफल के हिसाब से धन का आवंटन करेगी. जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के लिए आवंटित किए जाने वाले बजट में 2.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी का मामला वित्त विभाग को भेजा जाएगा. इस संदर्भ में सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद राज्य सरकार बजट में बढ़ोतरी करेगी. यह बात सुरेश भारद्वाज ने विधानसभा में नियम 130 के तहत मुख्य सचेतक विक्रम जरियाल की तरफ से शुरू की गई चर्चा का जवाब देते हुए कही.

चर्चा का जवाब देते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि योजना आयोग के खत्म होने के बाद नीति आयोग का गठन किया गया. इसमें जनजातीय क्षेत्र उप-योजना के स्थान पर जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के रूप में धन का आवंटन किया जाता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 42.49 फीसदी जनजातीय क्षेत्र है. जनजातीय उप योजना की परिकल्पना प्रदेश में पूर्व में शांता कुमार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में की गई. इसी बीच, 15 दिसंबर 1992 को शांता सरकार की बर्खास्तगी के बाद राष्ट्रपति शासन के उपरांत इसे लागू किया गया.

उन्होंने कहा कि जनजातीय इलाकों में अधोसरंचना विकास पर भारी भरकम राशि खर्च होती है. मगर प्राकृतिक आपदा के समय विकास परियोजनाओं को भारी क्षति होती है. गैर जनजातीय इलाकों में रह रहे जनजातीय लोगों को विशेष केंद्रीय सहायता व संवैधानिक व्यवस्था के तहत ही धन का आवंटन किया जा सकता है. प्रदेश में जनजातीय लोगों की आबादी 5.71 फीसदी बढ़ी है.

चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्य सचेतक विक्रम जरियाल ने कहा कि प्रदेश के गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए विशेष धन का प्रावधान बजट में किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुल्लू, शिमला, धर्मशाला, शाहपुर, चौरा, पालमपुर, सोलन सहित कई इलाकों में जनजातीय लोग रहते हैं. इन क्षेत्रों में कई गांव की 100 फीसदी आबादी जनजातीय लोगों की है. गैर जनजातीय इलाकों में रहने की वजह से इन्हें मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिलता. उन्होंने जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए प्रदेश में संयुक्त एससी, एसटी आयोग के गठन की बात भी सदन में रखी.

भाजपा विधायक विशाल नेहरिया ने कहा कि कांगड़ा जिले का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां जनजातीय इलाकों के लोग निवास न कर रहे हों. नेहरिया ने कहा कि जनजातीय इलाकों से पलायन करके गैर जनजातीय क्षेत्रों में आए लोगों ने अपनी संस्कृति को जीवित रखा है. ट्राइबल कल्चर रिच कल्चर है. भरमौर ,चंबा के लोग भी कांगड़ा जिले के गैर जनजातीय क्षेत्रों में बसे हुए हैं.

जनजातीय इलाकों के लिए जो पैसा स्वीकृत होता है, उसे गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले ट्राइबल लोगों पर खर्च किया जाना चाहिए. जनजातीय लोग आज भी भेड़ पालन जैसे व्यवसाय को अपनाए हुए हैं. प्राकृतिक आपदाओं में उनके पशुधन की हानि होती है. कई बार तो उनको उचित मुआवजा भी नहीं मिल पाता. ऐसे में ट्राइबल एरिया के लिए जारी धन में से जो अनस्पैंट रहता है, उसे गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले ट्राइबल लोगों पर खर्च किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में फिर बिगड़ेगा मौसम, भारी बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी

शिमला: हिमाचल सरकार गैर जनजातीय इलाकों में रह रहे ट्राइबल लोगों के लिए आबादी व क्षेत्रफल के हिसाब से धन का आवंटन करेगी. जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के लिए आवंटित किए जाने वाले बजट में 2.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी का मामला वित्त विभाग को भेजा जाएगा. इस संदर्भ में सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद राज्य सरकार बजट में बढ़ोतरी करेगी. यह बात सुरेश भारद्वाज ने विधानसभा में नियम 130 के तहत मुख्य सचेतक विक्रम जरियाल की तरफ से शुरू की गई चर्चा का जवाब देते हुए कही.

चर्चा का जवाब देते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि योजना आयोग के खत्म होने के बाद नीति आयोग का गठन किया गया. इसमें जनजातीय क्षेत्र उप-योजना के स्थान पर जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के रूप में धन का आवंटन किया जाता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 42.49 फीसदी जनजातीय क्षेत्र है. जनजातीय उप योजना की परिकल्पना प्रदेश में पूर्व में शांता कुमार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में की गई. इसी बीच, 15 दिसंबर 1992 को शांता सरकार की बर्खास्तगी के बाद राष्ट्रपति शासन के उपरांत इसे लागू किया गया.

उन्होंने कहा कि जनजातीय इलाकों में अधोसरंचना विकास पर भारी भरकम राशि खर्च होती है. मगर प्राकृतिक आपदा के समय विकास परियोजनाओं को भारी क्षति होती है. गैर जनजातीय इलाकों में रह रहे जनजातीय लोगों को विशेष केंद्रीय सहायता व संवैधानिक व्यवस्था के तहत ही धन का आवंटन किया जा सकता है. प्रदेश में जनजातीय लोगों की आबादी 5.71 फीसदी बढ़ी है.

चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्य सचेतक विक्रम जरियाल ने कहा कि प्रदेश के गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए विशेष धन का प्रावधान बजट में किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुल्लू, शिमला, धर्मशाला, शाहपुर, चौरा, पालमपुर, सोलन सहित कई इलाकों में जनजातीय लोग रहते हैं. इन क्षेत्रों में कई गांव की 100 फीसदी आबादी जनजातीय लोगों की है. गैर जनजातीय इलाकों में रहने की वजह से इन्हें मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिलता. उन्होंने जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए प्रदेश में संयुक्त एससी, एसटी आयोग के गठन की बात भी सदन में रखी.

भाजपा विधायक विशाल नेहरिया ने कहा कि कांगड़ा जिले का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां जनजातीय इलाकों के लोग निवास न कर रहे हों. नेहरिया ने कहा कि जनजातीय इलाकों से पलायन करके गैर जनजातीय क्षेत्रों में आए लोगों ने अपनी संस्कृति को जीवित रखा है. ट्राइबल कल्चर रिच कल्चर है. भरमौर ,चंबा के लोग भी कांगड़ा जिले के गैर जनजातीय क्षेत्रों में बसे हुए हैं.

जनजातीय इलाकों के लिए जो पैसा स्वीकृत होता है, उसे गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले ट्राइबल लोगों पर खर्च किया जाना चाहिए. जनजातीय लोग आज भी भेड़ पालन जैसे व्यवसाय को अपनाए हुए हैं. प्राकृतिक आपदाओं में उनके पशुधन की हानि होती है. कई बार तो उनको उचित मुआवजा भी नहीं मिल पाता. ऐसे में ट्राइबल एरिया के लिए जारी धन में से जो अनस्पैंट रहता है, उसे गैर जनजातीय इलाकों में रहने वाले ट्राइबल लोगों पर खर्च किया जाना चाहिए.

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