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ऊपरी क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू, मजदूरों की कमी के चलते बागवान हरे सेब तोड़ने को मजबूर

जिला में बागवानों को इस बार मजदूरों की कमी अधिक खल रही हैं. कोरोना काल में बागवानों की आर्थिकी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी सेब पर ही निर्भर करती है.

Gardeners troubled by labor shortage in Rampur during apple season
फोटो फाइल
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Published : Aug 3, 2020, 8:28 PM IST

रामपुर/शिमलाः हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू हो चुका है. मजदूर ना मिलने से बागवान हरे सेब तोड़ने पर ही मजबूर हो रहे हैं. मजदूर ना होने के कारण सेब तुड़ान सहित पैकिंग का काम भी प्रभावित होने लगा है.

मौजूदा समय में हालात इस कदर है कि मजदूर ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे है. बागवानों ने खुद बगीचों में मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन मजदूर न मिलने से बागवानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जहां सेब सीजन शुरू हो चुका है वहां पर अब अधिकतर बागवानों ने हरे सेब ही तोड़ने शुरू कर दिए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बागवानों का कहना है कि रामपुर, ननखरी, कोटगढ़ के अधिकतर क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में यहां पर नेपाली मजदूर बहुत कम है. हिमाचल के बिलासपुर और सिरमौर से कुछ मजदूर काम करने के लिए यहां पर आए हैं. जो नेपाली मजदूर का काम कर रहे हैं.

बागवानों ने बताया कि उन्हें भी दूसरे क्षेत्रों में बागवान बुला रहे हैं, जिसको लेकर अधिकतर बागवान आए दिन कच्चा व हरा सेब ही तोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. क्योंकि यह मजदूर भी चले गए तो फिर सेब तोड़ने के लिए मजदूर की कमी हो जाएगी और बागवानों का सीजन भी प्रभावित हो जाएगा.

वहीं, बागवानों ने बताया कि इसके साथ-साथ क्षेत्र में पंछियों व जंगली जानवर भी सेब को नष्ट कर रहें है. जिसको देखते हुए वे समय रहते सेब का तुड़ान कर रहे हैं. वहीं, बागवानों ने बताया कि मंडी में इन सेबों के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण वह हरे सेब ही ले जाने पर मजबूर हो रहे हैं.

बता दें कि इस बार बागवानों को मजदूरों की कमी अधिक खल रही हैं. कोरोना काल में बागवानों की आर्थिकी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी सेब पर ही निर्भर करती है.

कोरोना काल के चलते बागवानों को इसकी मार अधिक झेलनी पड़ रही है. ऐसे में अब आने वाले समय में बागवानों को विदेशी तर्ज पर मशीन की तकनीकी से खेती और बागवानी के लिए तैयार होने की आवश्यकता पड़ सकती है.

ये भी पढ़ेंः करसोग में रक्षाबंधन के लिए महिलाओं की अनूठी पहल, चीड़ की पत्तियों से बनाई राखी

रामपुर/शिमलाः हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू हो चुका है. मजदूर ना मिलने से बागवान हरे सेब तोड़ने पर ही मजबूर हो रहे हैं. मजदूर ना होने के कारण सेब तुड़ान सहित पैकिंग का काम भी प्रभावित होने लगा है.

मौजूदा समय में हालात इस कदर है कि मजदूर ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे है. बागवानों ने खुद बगीचों में मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन मजदूर न मिलने से बागवानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जहां सेब सीजन शुरू हो चुका है वहां पर अब अधिकतर बागवानों ने हरे सेब ही तोड़ने शुरू कर दिए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बागवानों का कहना है कि रामपुर, ननखरी, कोटगढ़ के अधिकतर क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में यहां पर नेपाली मजदूर बहुत कम है. हिमाचल के बिलासपुर और सिरमौर से कुछ मजदूर काम करने के लिए यहां पर आए हैं. जो नेपाली मजदूर का काम कर रहे हैं.

बागवानों ने बताया कि उन्हें भी दूसरे क्षेत्रों में बागवान बुला रहे हैं, जिसको लेकर अधिकतर बागवान आए दिन कच्चा व हरा सेब ही तोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. क्योंकि यह मजदूर भी चले गए तो फिर सेब तोड़ने के लिए मजदूर की कमी हो जाएगी और बागवानों का सीजन भी प्रभावित हो जाएगा.

वहीं, बागवानों ने बताया कि इसके साथ-साथ क्षेत्र में पंछियों व जंगली जानवर भी सेब को नष्ट कर रहें है. जिसको देखते हुए वे समय रहते सेब का तुड़ान कर रहे हैं. वहीं, बागवानों ने बताया कि मंडी में इन सेबों के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण वह हरे सेब ही ले जाने पर मजबूर हो रहे हैं.

बता दें कि इस बार बागवानों को मजदूरों की कमी अधिक खल रही हैं. कोरोना काल में बागवानों की आर्थिकी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी सेब पर ही निर्भर करती है.

कोरोना काल के चलते बागवानों को इसकी मार अधिक झेलनी पड़ रही है. ऐसे में अब आने वाले समय में बागवानों को विदेशी तर्ज पर मशीन की तकनीकी से खेती और बागवानी के लिए तैयार होने की आवश्यकता पड़ सकती है.

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