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ओलावृष्टि से प्रभावित बागवानों को उद्यान विकास अधिकारी ने दिए सुझाव, कही ये बात - ओलावृष्टि से प्रभावित बागवान

बारिश और ओलावृष्टि से सेब की फसल व गुटलीदार फलों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने किसानों और बागवानों को सुझाव दिया है कि अपने फसलों को कैसे बीमारी से बचा सकते हैं.

rampur rain affect apple crops
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Published : May 11, 2020, 7:26 PM IST

शिमला/रामपुरः राजधानी शिमला के ऊपरी क्षेत्र में आए दिन भारी बारिश व ओलावृष्टि हो रही है. बारिश और ओलावृष्टि से सेब की फसल व गुटलीदार फलों को भारी नुकसान हो रहा है. इसको देखते हुए उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा ओलावृष्टि से प्रभावित बागवानों को सुझाव दिया है कि किस तरह से सेब के बगीचों में छिड़काव का प्रयोग करना चाहिए.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान का कहना है कि सेब के पेड़ों पर बागवानों को ओलावृष्टि होने के अगले दिन पांच सौ निनको जैड या सौ ग्राम कार्बन डेटिंग दवाइयों को दो सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. फिर चार-पांच दिन बाद दो सौ ग्राम बोरी कैसेड, पांच सौ ग्राम जिंक सल्फेट और दो सौ पचास ग्राम चूना को दो सौ लीटर पानी में मिलाकर इसका छीड़काव करें. पांच सौ ग्राम एग्रोमीन या एक किलोग्रम यूरीया दो सौ लिटर पानी में मिलाकर भी इसका छीड़काव कर सकते हैं.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि इन दवाइयों का छिड़काव करने से सेब के पेड़ों को अधिक नुकसान नहीं होता है और साथ ही पेड़ में किसी भी प्रकार की बीमारी लगने का खतरा नहीं होता है.

ये भी पढ़ें- LOCKDOWN 3.0: पेट्रोल पंप वीरान, 90 प्रतिशत घटी सेल

शिमला/रामपुरः राजधानी शिमला के ऊपरी क्षेत्र में आए दिन भारी बारिश व ओलावृष्टि हो रही है. बारिश और ओलावृष्टि से सेब की फसल व गुटलीदार फलों को भारी नुकसान हो रहा है. इसको देखते हुए उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा ओलावृष्टि से प्रभावित बागवानों को सुझाव दिया है कि किस तरह से सेब के बगीचों में छिड़काव का प्रयोग करना चाहिए.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान का कहना है कि सेब के पेड़ों पर बागवानों को ओलावृष्टि होने के अगले दिन पांच सौ निनको जैड या सौ ग्राम कार्बन डेटिंग दवाइयों को दो सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. फिर चार-पांच दिन बाद दो सौ ग्राम बोरी कैसेड, पांच सौ ग्राम जिंक सल्फेट और दो सौ पचास ग्राम चूना को दो सौ लीटर पानी में मिलाकर इसका छीड़काव करें. पांच सौ ग्राम एग्रोमीन या एक किलोग्रम यूरीया दो सौ लिटर पानी में मिलाकर भी इसका छीड़काव कर सकते हैं.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि इन दवाइयों का छिड़काव करने से सेब के पेड़ों को अधिक नुकसान नहीं होता है और साथ ही पेड़ में किसी भी प्रकार की बीमारी लगने का खतरा नहीं होता है.

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