शिमला: राजधानी के उपनगर टुटू में एक घर से रेस्क्यू की गई नाबालिग को आज मसिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा. रविवार को गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने टुटू में एक घर से 15 साल की बड़की का रेस्क्यू किया था. इस मामले में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
पुलिस के मुताबिक नाबालिग को जबरन घर मे बंधक बना कर काम कराया जाता था और उसे मारा पीटा भी गया. अभी टुटू बालिका आश्रम में रखा गया है. शिमला में न केवल बच्ची को दासी की तरह रखा गया, बल्कि उसका सिर तक मुंडवा दिया गया. यहां तक कि नाबालिग के दोनों हाथों में छाले पड़े हुए थे. इसके अलावा उसे पहनने के लिए अच्छे कपड़े तक नहीं दिए जाते थे. उसे घर पर अंडरग्राउंड रूम में रखा जाता था.
शिमला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने जब मासूम बच्ची की काउंसिलिंग की, तो उसने बताया कि एक साल से उसे बाहर घूमने भी नहीं जाने दिया गया. इस बच्ची को वेतन भी नहीं दिया गया. नाबालिग मध्य प्रदेश के मंडला जिले की घुघरी इलाके की रहने वाली बताई जा रही है. शिमला से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने जब उसके घर वालों से बात करनी चाही, तो उन्होंने कहा कि वे गरीब हैं और अपनी बेटी को वापस ले जाने में सक्षम नहीं हैं. बताया जा रहा है कि चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी को मध्य प्रदेश पुलिस का भी साथ इस मामले में जांच के लिए नहीं मिल रहा है.
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव का कहना है कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. बल्कि इसके पीछे मानव तस्करी का बड़ा रैकेट हो सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि इस समूचे मामले को मानव तस्करी के दृष्टिकोण से देखा जाए ताकि असली अपराधियों का पता चल सके.
पहले भी हिमाचल में नाबालिग लड़कियां मानव तस्करी के जरिए लाई जाती रही हैं, लेकिन आम तौर पर पुलिस उन्हें साधारण अपराध मानकर कार्रवाई करती है. वहीं इस संबंध में एसपी शिमला मोहित चावला का कहना है कि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. मामले में जांच की जा रही है.