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चकौता धारक किसानों ने विधानसभा का किया घेराव, जमीन के मालिकाना हक देने की उठाई मांग - हिमाचल न्यूज

चकौता धारक किसानों ने शिमला विधानसभा के बाहर मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि चकौता धारक किसान 1992 से जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. 1970 से जमीन पर काम कर रहे हैं और अब सरकार कह रही थी यह जमीन आपकी नहीं है.

Farmers protest against government regarding demands in himachal assembly shimla
चकौता धारक किसान
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Published : Mar 15, 2021, 5:37 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश के चकौता धारक किसानों ने सोमवार को विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया और सरकार से जमीन के मालिकाना हक देने की मांग की. चकौता धारक किसानों का आरोप है कि प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारों के समय वह मालिकाना हक देने की मांग कई वर्षों से करते रहें. लेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है.

किसानों का कहना है कि चकौता धारक किसान 1992 से जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. 1970 से जमीन पर काम कर रहे हैं और अब सरकार कह रही थी यह जमीन आपकी नहीं है.

वीडियो रिपोर्ट.

छोटे किसानों मालिकाना हक नहीं

लघु किसान मंच के हिमाचल प्रभारी प्रकाश का कहना है कि पिछले 25 वर्षों से वे जमीन के मालिकाना हक को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार छोटे किसानों को मालिकाना हक नहीं दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री को कई बार सौंपा ज्ञापन

हालांकि, 2015 में सरकार ने पांच बीघा जमीन का मालिकाना हक दिलाने को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन इस सरकार ने उस पर कोई अमल नहीं कर रही है. कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए हैं. उनका कहना है कि मालिकाना हक ना मिलने से कई सरकारी योजनाओं से भी किसानों को महरूम रहना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: पहले मोदी को शिव बताया, अब जयराम को कृष्ण, राठौर बोले: भाजपा कर रही हिन्दू धर्म का अपमान

बता दें पंजाब से हिमाचल अलग राज्य बनने पर उस समय सीमावर्ती और भूमिहीन किसानों को सरकार ने चकौता आधार पर कुछ बीघा जमीन दी थी, लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं दिया था और मालिकाना हक के लिए पिछले लंबे अरसे से यह किसान संघर्ष कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सोमवार से शुरू होंगी एचपीयू की पीजी कोर्स की परीक्षाएं, एग्जाम देने से पहले जान लें ये शर्तें

शिमलाः हिमाचल प्रदेश के चकौता धारक किसानों ने सोमवार को विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया और सरकार से जमीन के मालिकाना हक देने की मांग की. चकौता धारक किसानों का आरोप है कि प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारों के समय वह मालिकाना हक देने की मांग कई वर्षों से करते रहें. लेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है.

किसानों का कहना है कि चकौता धारक किसान 1992 से जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. 1970 से जमीन पर काम कर रहे हैं और अब सरकार कह रही थी यह जमीन आपकी नहीं है.

वीडियो रिपोर्ट.

छोटे किसानों मालिकाना हक नहीं

लघु किसान मंच के हिमाचल प्रभारी प्रकाश का कहना है कि पिछले 25 वर्षों से वे जमीन के मालिकाना हक को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार छोटे किसानों को मालिकाना हक नहीं दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री को कई बार सौंपा ज्ञापन

हालांकि, 2015 में सरकार ने पांच बीघा जमीन का मालिकाना हक दिलाने को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन इस सरकार ने उस पर कोई अमल नहीं कर रही है. कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए हैं. उनका कहना है कि मालिकाना हक ना मिलने से कई सरकारी योजनाओं से भी किसानों को महरूम रहना पड़ रहा है.

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बता दें पंजाब से हिमाचल अलग राज्य बनने पर उस समय सीमावर्ती और भूमिहीन किसानों को सरकार ने चकौता आधार पर कुछ बीघा जमीन दी थी, लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं दिया था और मालिकाना हक के लिए पिछले लंबे अरसे से यह किसान संघर्ष कर रहे हैं.

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