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मक्की उत्पादक हुए मायूस, बंपर फसल के बावजूद मिल रहे आधे दाम

प्रदेश में इस बार मक्की की फसल के किसानों दाम काफी कम मिल रहें है. जिसके चलते लोग काफी परेशान है. इसी के चलते र्व कृषि मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक रमेश धावाला ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब किसानों को 10 से 12 रुपये प्रति किलो मक्की बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है, तो प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए और खुद स्टॉल लगाकर मक्की की खरीद करनी चाहिए.

Farmers in Himachal are getting low prices for maize crop
वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला
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Published : Oct 24, 2020, 4:03 PM IST

शिमलाः पूर्व कृषि मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब किसानों को 10 से 12 रुपये प्रति किलो मक्की बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है, तो प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए और खुद स्टॉल लगाकर मक्की की खरीद करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि मक्की से कई प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं जो कि बाजार में काफी ऊंची कीमत पर बिकते हैं. ऐसे में कृषि विभाग और उद्योग विभाग मिलकर फसल की खरीद कर सकते हैं और किसानों को भी राहत प्रदान करने के साथ भारी मुनाफा भी कमा सकते हैं.

इस बार प्रदेश में मक्की की फसल बहुत अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को उसकी सही कीमत नहीं मिल रही है. प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से मक्खी के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 35 से 40 फीसदी कम कीमत मिल रही है. किसानों को बाजार में अपनी फसल बेचनी पड़ती है. किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

प्रदेश में मक्की की कीमत 1000 से 13000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है. जबकि पिछले साल यह1800 से 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी थी. कई जगह में तो यह 2500 प्रति क्विंटल भी दिखी थी, लेकिन वर्तमान समय प्रदेश में यह 1000 से 1200 क्विंटल रुपये बेची जा रही है. जबकि पिछले साल 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल बेची गई थी, लेकिन इस बार किसानों को पिछले साल के मुकाबले आधे दाम भी नहीं मिल रहे हैं.

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह पहली बार है कि जब मक्की की कीमत केंद्र सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है. केंद्र सरकार ने इस बार मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य साढ़े अठारह सौ रुपये घोषित किया है. लेकिन सरकार की ओर से मक्की की खरीद नहीं की जा रही है. ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है.

किसानों को अपनी फसल की कीमत घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 35 से 40 फीसदी कम मिल रही है. नालागढ़ से किसान दलबीर सिंह ने कहा कि पिछले साल जो मक्की 2200 प्रति क्विंटल बिकी थी इस बार बाजार में उसके 1000 से 1100 मिल रहे हैं.

वहीं, किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि मक्की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खरीद में शामिल नहीं है. ऐसे में सरकार इसे किसानों से नहीं खरीद रही है. अगर जयराम सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लोगों को दो 4 किलो मक्की वितरित करती हैं और अपने स्तर पर खरीद करें तो इससे प्रदेश के किसानों को लाभ होगा और आगे के लिए व्यवस्थाएं भी ठीक हो जाएंगी.

बता दें कि इस बार प्रदेश में मक्की की पैदावार 7 लाख 60 हजार मीट्रिक टन के करीब हुई है. जो पिछले साल से कहीं ज्यादा है. जिला सोलन में ही साढ़े बारह मीट्रिक टन ज्यादा मक्की हुई है.

जिला में 60 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार हुई. अतिरिक्त निर्देशक कृषि नरेश कुमार मदान ने कहा कि इस बार सरप्लस पैदावार है. इस बार कम कीमत का मामला सरकार के ध्यान में है और किसानों को क्या मदद की जा रही है, इस बारे में विचार किया जा रहा है.

शिमलाः पूर्व कृषि मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब किसानों को 10 से 12 रुपये प्रति किलो मक्की बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है, तो प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए और खुद स्टॉल लगाकर मक्की की खरीद करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि मक्की से कई प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं जो कि बाजार में काफी ऊंची कीमत पर बिकते हैं. ऐसे में कृषि विभाग और उद्योग विभाग मिलकर फसल की खरीद कर सकते हैं और किसानों को भी राहत प्रदान करने के साथ भारी मुनाफा भी कमा सकते हैं.

इस बार प्रदेश में मक्की की फसल बहुत अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को उसकी सही कीमत नहीं मिल रही है. प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से मक्खी के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 35 से 40 फीसदी कम कीमत मिल रही है. किसानों को बाजार में अपनी फसल बेचनी पड़ती है. किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

प्रदेश में मक्की की कीमत 1000 से 13000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है. जबकि पिछले साल यह1800 से 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी थी. कई जगह में तो यह 2500 प्रति क्विंटल भी दिखी थी, लेकिन वर्तमान समय प्रदेश में यह 1000 से 1200 क्विंटल रुपये बेची जा रही है. जबकि पिछले साल 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल बेची गई थी, लेकिन इस बार किसानों को पिछले साल के मुकाबले आधे दाम भी नहीं मिल रहे हैं.

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह पहली बार है कि जब मक्की की कीमत केंद्र सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है. केंद्र सरकार ने इस बार मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य साढ़े अठारह सौ रुपये घोषित किया है. लेकिन सरकार की ओर से मक्की की खरीद नहीं की जा रही है. ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है.

किसानों को अपनी फसल की कीमत घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 35 से 40 फीसदी कम मिल रही है. नालागढ़ से किसान दलबीर सिंह ने कहा कि पिछले साल जो मक्की 2200 प्रति क्विंटल बिकी थी इस बार बाजार में उसके 1000 से 1100 मिल रहे हैं.

वहीं, किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि मक्की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खरीद में शामिल नहीं है. ऐसे में सरकार इसे किसानों से नहीं खरीद रही है. अगर जयराम सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लोगों को दो 4 किलो मक्की वितरित करती हैं और अपने स्तर पर खरीद करें तो इससे प्रदेश के किसानों को लाभ होगा और आगे के लिए व्यवस्थाएं भी ठीक हो जाएंगी.

बता दें कि इस बार प्रदेश में मक्की की पैदावार 7 लाख 60 हजार मीट्रिक टन के करीब हुई है. जो पिछले साल से कहीं ज्यादा है. जिला सोलन में ही साढ़े बारह मीट्रिक टन ज्यादा मक्की हुई है.

जिला में 60 हजार मीट्रिक टन मक्की की पैदावार हुई. अतिरिक्त निर्देशक कृषि नरेश कुमार मदान ने कहा कि इस बार सरप्लस पैदावार है. इस बार कम कीमत का मामला सरकार के ध्यान में है और किसानों को क्या मदद की जा रही है, इस बारे में विचार किया जा रहा है.

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