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स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही! कैंसर की दवाइयां हो रही बर्बाद, आईजीएमसी में मेडिसिन के लिए भटक रहे मरीज

पीएचसीऔर सीएचसी से दवाइयां तभी भेजी जाती हैं जब दवाइयां एक्सपायर होने में केवल एक महीना या सिर्फ बीस दिन ही बचे होते हैं. आईजीएमसी में दवाइयों के लिए मरीज भटकते रहते हैं.

Expired medicines of Cancer
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Published : Oct 10, 2019, 2:32 PM IST

शिमला: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों में कैंसर की दवाई देता है जहां कैंसर के इलाज की सुवीधा ही नहीं है. वहीं, आईजीएमसी में कैंसर की दवाइयां एक्सपायर होकर पहुंचती है.

पीएचसी और सीएचसी से दवाइयां तभी भेजी जाती हैं जब दवाइयां एक्सपायर होने में केवल एक महीना या सिर्फ बीस दिन ही बचे होते हैं. जबकि बड़े अस्पताल जहां कैंसर का इलाज है वहां मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती है. कैंसर जैसे रोग की दवा मरीजों को नहीं मिलती और सरकार का पैसा भी बर्बाद हो जाता है. हैरानी की बात यह है कि विभाग के अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लग रही है.

Expired medicines of Cancer
ऑडर की कॉपी

बताया जा रहा है कि यह दवाइयां प्रदेश के जिला स्तर के अधिकारी अपने लेवल पर खरीद रहे हैं. कैंसर ही नहीं वहां कई ऐसी रोगों की दवाइयां है जिनका इलाज ऐसे अस्पतालों में संभव नहीं है. बता दें कि प्रदेश के बड़े अस्पतालों में हमेशा ही दवाइयों की कमी चली होती है. मरीज दवाइयों के लिए दर-दर भटकते हैं लेकिन विभाग दवाइयां पूरी मात्रा में उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं.

शिमला: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों में कैंसर की दवाई देता है जहां कैंसर के इलाज की सुवीधा ही नहीं है. वहीं, आईजीएमसी में कैंसर की दवाइयां एक्सपायर होकर पहुंचती है.

पीएचसी और सीएचसी से दवाइयां तभी भेजी जाती हैं जब दवाइयां एक्सपायर होने में केवल एक महीना या सिर्फ बीस दिन ही बचे होते हैं. जबकि बड़े अस्पताल जहां कैंसर का इलाज है वहां मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती है. कैंसर जैसे रोग की दवा मरीजों को नहीं मिलती और सरकार का पैसा भी बर्बाद हो जाता है. हैरानी की बात यह है कि विभाग के अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लग रही है.

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बताया जा रहा है कि यह दवाइयां प्रदेश के जिला स्तर के अधिकारी अपने लेवल पर खरीद रहे हैं. कैंसर ही नहीं वहां कई ऐसी रोगों की दवाइयां है जिनका इलाज ऐसे अस्पतालों में संभव नहीं है. बता दें कि प्रदेश के बड़े अस्पतालों में हमेशा ही दवाइयों की कमी चली होती है. मरीज दवाइयों के लिए दर-दर भटकते हैं लेकिन विभाग दवाइयां पूरी मात्रा में उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं.

Intro:नॉट कृपया खबर में नोटिफिकेश की कॉपी ना लगाए ये फ्रूफ के लिए है
खुलासा स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों में भेज रहा कैंसर की दवाई जहां ईलाज की सुविधा नही। आईजीएमसी में दवाई के लिए भटक रहे मरीज
शिमला।
स्वास्थ्य विभाग दावा करता आया है कि वह लोगो को बेहतर सुविधा प्रदान करेगा ।लेकिन अब इन्ही दावो की पोल खुलतीं जा रही है। विभाग द्वारा कैंसर की दवाई ऐसे अस्पतालों में भेजने का मामला सामने आया है जहाँ पर कैंसर का इलाज ही नही होता और यही नही आईजीएमसी मे यह दवाई तब पहुंचती है जब एक्सपायर डेट की हो जाती है।
Body:
पी.एच.सी. और सी.एच.सी. से दवाईयां तभी भेजी जाती है जब डेट एक्सपायर होने की अवधि सिर्फ एक माह या फिर 20 दिन बचते है। ऐसे में बड़े अस्पतालों में भी इन दवाईयों इस्तेमाल नहीं हो पाता है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि पी.एच.सी. ओर सी.एच.सी. में जब कैंसर का इलाज नहीं होता है तो इन दवाईयों को भेजने की क्या जरूरत है। जहां बड़े अस्पतालों में दवाईयों की जरूरत होती है वहां पर दवाईयां नहीं मिलती है। दवाईयां बर्वाद होने पर सरकार खजाने को लाखों रूपए की चपत लग रही है। हैरानी की बात है कि विभाग के अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लग रही है। अगर अधिकारी को पता भी है तो भी सरकार के ध्यान में यह बात नहीं लाई जा रही है। बताया जा रहा है कि यह दवाईयां प्रदेश के जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा अपने लेवल पर खरीदी जा रही है। यहां पर कैंसर की दवाईयां ही नहीं, बल्कि कई प्रकार की दवाईया जिला स्तर पर ऐसी खरीदी जाती है जिन बीमारियों का वहां पर इलाज ही नहीं होता है। प्रदेश के बड़े अस्पतालों में हमेशा ही दवाईयों की कमी चली होती है। मरीज दवाईयों के लिए दर-दर भटकते है। बावजूद इसके विभाग दवाईयां पूरी मात्रा में उपलबध नहीं करवा पाते है। यहां पर दवाईयां उपलबध न होने का मुखय कारण यही है कि जहां पर दवाईयों की मांग होती है वहां पर दवाईयां नहीं मिलती और जहां पर दवाईयां नहीं लगती है वहां पर दवाईयों को उपलबध करवाया जाता है।
Conclusion:विभाग भी दवाईयों की खरीद को लेकर विल्कुल भी गंभीर नहीं है। वैसे तो सरकार व विभाग दवाईयां देने को लेकर एक से बढ़कर एक दावे करता है, लेकिन प्रदेश में दवाईयों को लेकर दावों की पोल खूलती नजर आ रही है। यहां लोगों के इस बात को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए है कि दवाईयों को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की
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