शिमला: शिमला के (Shimla) डाउन डेल में 5 साल के बच्चे को तेंदुए द्वारा उठा ले जाने के 14 दिन बाद भी तेंदुआ पकड़ में नहीं आ रहा है. वन विभाग द्वारा तेंदुए की पकड़ के लिए काफी जगह पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन इन पिंजरों में तेंदुआ (leopard in shimla) नहीं फंस रहा है. पिछली रात चार बार तेंदुआ विभाग के लगाए गए पिजरों के पास आया और वहां से लौट गया. रोजाना ऐसी ही तस्वीरें सीसीटीवी (Leopard captured in CCTV camera) कैमरों में कैद हो रही है.
विभाग द्वारा लगाए गए कैमरों से तेंदुए पर नजर रखी जा रही है, लेकिन 14 दिन बीत जाने के बाद भी वन विभाग के हाथ खाली है. वन विभाग के अधिकारियों (Forest department shimla) का दावा है कि जल्द तेंदुए को पकड़ लिया जाएगा. तेंदुए को पकड़ने के लिए विभाग की टीम ने देहरादून से विशेषज्ञों की टीम भी बुलाई है. वीरवार को भी तीसरे दिन लगातार (Experts from Dehradun) देहरादून की टीम जंगल में तेंदुए को तलाशती रही, लेकिन अभी तक टीम को कोई भी सफलता नहीं मिली है.
हालांकि तेंदुए ने पिंजरे में (Leopard in cage) रखे मांस को नजदीक से देखा और वापस चला गया. डाउन डेल (Downdale Shimla) में तेंदुए पर नजर रखने के लिए विभाग ने कैमरा लगा दिया है. झाड़ियों को काटने का काम भी शुरू कर दिया गया है. हालत यह है कि यहां पर न ही रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइट (Street lights) लगी हैं और न ही यहां पर तारें लगाकर फेंसिंग की गई है. इसको लेकर आम लोगों में भी काफी रोष है. वहीं, अभी भी बच्चों के परिजनों में डर लगा रहता है की कहीं तेंदुआ उनके बच्चों को न उठा ले जाए.
परिजनों का कहना है कि तेंदुए के खौफ (Leopard Horror in shimla) के चलते बच्चें घरों से बाहर अकेले नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं, विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरे तो लगाए हैं, लेकिन उन में तेंदुआ नहीं फंस रहा है. बच्चों के परिजनों का कहना है कि यहां आपसपस अभी तक स्ट्रीट लाइट तक नहीं लगी है, जिससे शाम को बाहर निकलना काफी मुश्किल हो रहा है.
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