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कर्मचारियों को मिलेगा चार हजार करोड़ का लाभ, लेकिन... हिमाचल सरकार पर बढ़ेगा कर्ज का बोझ

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Published : Dec 21, 2021, 6:51 PM IST

जयराम सरकार ने कर्मचारियों के लिए चुनावी साल में वेतन आयोग का तोहफा (new pay commission in Himachal) तो दे दिया है लेकिन खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को लेकर सरकार के पास कोई ठोस विजन नहीं है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन नहीं है कैग की रिपोर्ट में (CAG Report on Himachal Debt) पिछले एक दशक से निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि हिमाचल को आय के संसाधन तलाशने होंगे वर्ना कर्ज के जाल में प्रदेश बुरी (Debt on Himachal government) तरह उलझ जाएगा.

new pay commission in Himachal
हिमाचल में नया वेतन आयोग

शिमला: चुनावी साल की दस्तक सुनते ही हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों पर मेहरबानी दिखाई है. जयराम सरकार ने कर्मचारियों को वेतन आयोग के अनुसार संशोधित वेतनमान देने का फैसला किया है. इससे कर्मचारियों को चार हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा, लेकिन सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा. हिमाचल सरकार पहले से ही 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में डूबी है.

सरकारी कर्मचारी निरंतर नए वेतन आयोग को लागू करने की मांग उठा रहे थे. अब हिमाचल में करीब 2 लाख सरकारी कर्मचारियों को जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान मिलेगा. ऐसे में अगले साल यानी जनवरी 2022 का वेतन बढ़े हुए संशोधित वेतनमान के रूप में होगा. फिलहाल जनवरी 2016 से दिसंबर 2021 तक के एरियर को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. यदि एरियर भी देना हो तो खजाने पर कम से कम एक हजार करोड़ का और बोझ पड़ेगा. बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार इससे पूर्व एरियर के रूप में कर्मचारियों को 5 हजार करोड़ रुपए आईआर यानी अंतरिम राहत दे चुकी है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल में नया वेतन आयोग पहली जनवरी 2016 से लागू होना है. इस वेतन आयोग के (new pay commission in Himachal) मुताबिक औसत रूप में कर्मचारियों को साढ़े सोलह हजार के करीब वेतन वृद्धि मिलेगी. जयराम सरकार ने कर्मचारियों के लिए चुनावी साल में वेतन आयोग का तोहफा तो दे दिया है, लेकिन खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को लेकर सरकार के पास कोई ठोस विजन नहीं है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन नहीं है कैग की रिपोर्ट में पिछले एक दशक से निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि हिमाचल को आय के संसाधन तलाशने होंगे वर्ना कर्ज के जाल में प्रदेश बुरी तरह उलझ (Debt on Himachal government) जाएगा. अब सरकार ने नए संशोधित वेतनमान का ऐलान कर दिया है. इस तरह हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर कुल बजट का 50 फीसदी खर्च होगा. विकास के लिए अब बजट में और भी कम राशि रह जाएगा.

हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर का कहना है कि सरकारी कर्मचारी अपना हक मांगते हैं और राज्य के विकास में सरकारी कर्मचारियों का अहम योगदान है. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है (CM Jairam on Himachal Debt) कि प्रदेश के भारी भरकम कर्ज का कारण पूर्व की कांग्रेस सरकार रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर रहकर ही कर्ज लिया है. यही नहीं कांग्रेस सरकार के समय लिए गए कर्ज का ब्याज भी वर्तमान सरकार चुका रही है.



उल्लेखनीय है कि 2012 यानी नौ साल पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय यह कर्ज बढक़र 47906 करोड़ रुपए हो गया. अब हिमाचल पर 62 हजार करोड़ रुपए से (Loan on Jairam government) अधिक का कर्ज है. वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह ने हिमाचल सरकार को सलाह दी है कि पर्यटन के क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाकर सरकार राजस्व जुटा सकती है. हिमाचल में अभी भी कई अनछुए पर्यटन स्थल हैं जिनका विकास किया जाए तो सैलानी आकर्षित होंगे. पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रिलीजियस टूरिज्म सर्किट को बढ़ावा देने की बात कही थी. हिमाचल में शक्तिपीठ हैं और वहां बेहतर सुविधाएं जुटाकर साल भर धार्मिक सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है.


खैर, फिर से कर्ज के मर्ज पर लौटें तो आंकड़ों पर गौर करना जरूरी है. हिमाचल की भाजपा सरकार ने सदन में बताया था कि सरकार 2018-19 में 5737 करोड़ रुपए मार्केट लोन ले सकती थी, लेकिन कुल 4120 करोड़ रुपए ही लोन लिया. वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार की मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और लोन केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिया गया. भाजपा का कहना है कि जयराम सरकार ने तीन साल में पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ रुपए के कर्ज में से 19486 करोड़ रुपए वापिस भी लौटाए हैं.

हिमाचल प्रदेश को पंद्रहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता मिली है. महीने में 952 करोड़ रुपए वित्तायोग की तरफ से मिल रहे हैं. इसके अलावा रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट से भी काफी मदद मिल रही है. वित्तायोग ने अस्सी हजार करोड़ रुपए से अधिक मंजूर किए हैं. उसमें से एक हजार करोड़ रुपए मंडी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (Mandi Green Field Airport) के लिए है. मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट के अनुसार यदि एक रुपए को मानक रखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च होंगे. इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च होंगे. इसके अलावा हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने होंगे. इसके बाद सरकार के पास विकास के लिए महज 43.94 रुपए ही बच रहे थे. अब नए संशोधित वेतनमान के लागू हो जाने पर विकास के लिए और भी कम पैसा बचेगा.

हिमाचल का राजकोषीय घाटा 7789 करोड़ रुपए अनुमानित है. यह घाटा हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद का 4.52 प्रतिशत है. अप्रैल 2021 में हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ 60544 करोड़ रुपए था. पिछले साल यानी 2020 में मार्च महीने तक ये आंकड़ा 56107 करोड़ रुपए था. यदि 2013-14 की बात करें तो कर्ज का ये बोझ 31442 करोड़ रुपए था यानी आठ साल में ही ये दुगना हो गया है. इस समय कर्ज 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक है. हिमाचल सरकार ने दिसंबर 2020 में एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था फिर जनवरी 2021 में और एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया. अभी सरकार द्वारा फिर से दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज (loan on jairam government) लिया जा रहा है. हालांकि ये कर्ज सरकार की तय लिमिट के भीतर ही है. पिछले वित्तीय वर्ष में हिमाचल सरकार की लोन लिमिट एक साल के लिए 6500 करोड़ रुपए थी.

इस बार जयराम सरकार ने 50192 करोड़ रुपए का बजट पेश (jairam government budget) किया है. अपने कार्यकाल के आखिरी बजट में मार्च 2022 में मौजूदा सरकार के आर्थिक विजन की असली परीक्षा होगी. सरकार यदि 50 फीसदी बजट सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स पर खर्च करेगी तो जाहिर सी बात है कि विकास के लिए बहुत कम पैसा बचेगा. फिर सरकार को पूर्व में लिए गए कर्ज का ब्याज भी चुकाना है. कोरोना के कारण हिमाचल में पर्यटन सेक्टर को धक्का लगा था. इसका असर अब तक महसूस किया जा रहा है.

आर्थिक विशेषज्ञ प्रदीप चौहान का मानना है कि हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय तो निरंतर बढ़ रही है, लेकिन कर्ज के मर्ज का इलाज नहीं (debt burden increase on himachal) सूझ रहा है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का मानना है कि हिमाचल सरकार को सरकारी खर्च पर लगाम लगानी चाहिए. मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं और हर विभाग की एकाधिक गाड़ियां हैं. वीवीआईपी काफिले की गाड़ियों को कम किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें : पद से हटाने की अटकलों पर सीएम जयराम का बयान, अटकलें भी चलती रहेंगी और जयराम भी चलता रहेगा

शिमला: चुनावी साल की दस्तक सुनते ही हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों पर मेहरबानी दिखाई है. जयराम सरकार ने कर्मचारियों को वेतन आयोग के अनुसार संशोधित वेतनमान देने का फैसला किया है. इससे कर्मचारियों को चार हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा, लेकिन सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा. हिमाचल सरकार पहले से ही 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में डूबी है.

सरकारी कर्मचारी निरंतर नए वेतन आयोग को लागू करने की मांग उठा रहे थे. अब हिमाचल में करीब 2 लाख सरकारी कर्मचारियों को जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान मिलेगा. ऐसे में अगले साल यानी जनवरी 2022 का वेतन बढ़े हुए संशोधित वेतनमान के रूप में होगा. फिलहाल जनवरी 2016 से दिसंबर 2021 तक के एरियर को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. यदि एरियर भी देना हो तो खजाने पर कम से कम एक हजार करोड़ का और बोझ पड़ेगा. बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार इससे पूर्व एरियर के रूप में कर्मचारियों को 5 हजार करोड़ रुपए आईआर यानी अंतरिम राहत दे चुकी है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल में नया वेतन आयोग पहली जनवरी 2016 से लागू होना है. इस वेतन आयोग के (new pay commission in Himachal) मुताबिक औसत रूप में कर्मचारियों को साढ़े सोलह हजार के करीब वेतन वृद्धि मिलेगी. जयराम सरकार ने कर्मचारियों के लिए चुनावी साल में वेतन आयोग का तोहफा तो दे दिया है, लेकिन खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को लेकर सरकार के पास कोई ठोस विजन नहीं है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन नहीं है कैग की रिपोर्ट में पिछले एक दशक से निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि हिमाचल को आय के संसाधन तलाशने होंगे वर्ना कर्ज के जाल में प्रदेश बुरी तरह उलझ (Debt on Himachal government) जाएगा. अब सरकार ने नए संशोधित वेतनमान का ऐलान कर दिया है. इस तरह हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर कुल बजट का 50 फीसदी खर्च होगा. विकास के लिए अब बजट में और भी कम राशि रह जाएगा.

हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर का कहना है कि सरकारी कर्मचारी अपना हक मांगते हैं और राज्य के विकास में सरकारी कर्मचारियों का अहम योगदान है. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है (CM Jairam on Himachal Debt) कि प्रदेश के भारी भरकम कर्ज का कारण पूर्व की कांग्रेस सरकार रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर रहकर ही कर्ज लिया है. यही नहीं कांग्रेस सरकार के समय लिए गए कर्ज का ब्याज भी वर्तमान सरकार चुका रही है.



उल्लेखनीय है कि 2012 यानी नौ साल पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय यह कर्ज बढक़र 47906 करोड़ रुपए हो गया. अब हिमाचल पर 62 हजार करोड़ रुपए से (Loan on Jairam government) अधिक का कर्ज है. वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह ने हिमाचल सरकार को सलाह दी है कि पर्यटन के क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाकर सरकार राजस्व जुटा सकती है. हिमाचल में अभी भी कई अनछुए पर्यटन स्थल हैं जिनका विकास किया जाए तो सैलानी आकर्षित होंगे. पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रिलीजियस टूरिज्म सर्किट को बढ़ावा देने की बात कही थी. हिमाचल में शक्तिपीठ हैं और वहां बेहतर सुविधाएं जुटाकर साल भर धार्मिक सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है.


खैर, फिर से कर्ज के मर्ज पर लौटें तो आंकड़ों पर गौर करना जरूरी है. हिमाचल की भाजपा सरकार ने सदन में बताया था कि सरकार 2018-19 में 5737 करोड़ रुपए मार्केट लोन ले सकती थी, लेकिन कुल 4120 करोड़ रुपए ही लोन लिया. वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार की मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और लोन केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिया गया. भाजपा का कहना है कि जयराम सरकार ने तीन साल में पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ रुपए के कर्ज में से 19486 करोड़ रुपए वापिस भी लौटाए हैं.

हिमाचल प्रदेश को पंद्रहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता मिली है. महीने में 952 करोड़ रुपए वित्तायोग की तरफ से मिल रहे हैं. इसके अलावा रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट से भी काफी मदद मिल रही है. वित्तायोग ने अस्सी हजार करोड़ रुपए से अधिक मंजूर किए हैं. उसमें से एक हजार करोड़ रुपए मंडी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (Mandi Green Field Airport) के लिए है. मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट के अनुसार यदि एक रुपए को मानक रखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च होंगे. इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च होंगे. इसके अलावा हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने होंगे. इसके बाद सरकार के पास विकास के लिए महज 43.94 रुपए ही बच रहे थे. अब नए संशोधित वेतनमान के लागू हो जाने पर विकास के लिए और भी कम पैसा बचेगा.

हिमाचल का राजकोषीय घाटा 7789 करोड़ रुपए अनुमानित है. यह घाटा हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद का 4.52 प्रतिशत है. अप्रैल 2021 में हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ 60544 करोड़ रुपए था. पिछले साल यानी 2020 में मार्च महीने तक ये आंकड़ा 56107 करोड़ रुपए था. यदि 2013-14 की बात करें तो कर्ज का ये बोझ 31442 करोड़ रुपए था यानी आठ साल में ही ये दुगना हो गया है. इस समय कर्ज 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक है. हिमाचल सरकार ने दिसंबर 2020 में एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था फिर जनवरी 2021 में और एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया. अभी सरकार द्वारा फिर से दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज (loan on jairam government) लिया जा रहा है. हालांकि ये कर्ज सरकार की तय लिमिट के भीतर ही है. पिछले वित्तीय वर्ष में हिमाचल सरकार की लोन लिमिट एक साल के लिए 6500 करोड़ रुपए थी.

इस बार जयराम सरकार ने 50192 करोड़ रुपए का बजट पेश (jairam government budget) किया है. अपने कार्यकाल के आखिरी बजट में मार्च 2022 में मौजूदा सरकार के आर्थिक विजन की असली परीक्षा होगी. सरकार यदि 50 फीसदी बजट सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स पर खर्च करेगी तो जाहिर सी बात है कि विकास के लिए बहुत कम पैसा बचेगा. फिर सरकार को पूर्व में लिए गए कर्ज का ब्याज भी चुकाना है. कोरोना के कारण हिमाचल में पर्यटन सेक्टर को धक्का लगा था. इसका असर अब तक महसूस किया जा रहा है.

आर्थिक विशेषज्ञ प्रदीप चौहान का मानना है कि हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय तो निरंतर बढ़ रही है, लेकिन कर्ज के मर्ज का इलाज नहीं (debt burden increase on himachal) सूझ रहा है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का मानना है कि हिमाचल सरकार को सरकारी खर्च पर लगाम लगानी चाहिए. मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं और हर विभाग की एकाधिक गाड़ियां हैं. वीवीआईपी काफिले की गाड़ियों को कम किया जा सकता है.

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