शिमला: प्रदेश में उप-निर्वाचन के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई. नामांकन-पत्र वापस लेने के अंतिम दिन किसी भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया. मंडी संसदीय क्षेत्र से 6 उम्मीदवारों में भाजपा के ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर, कांग्रेस की प्रतिभा सिंह, राष्ट्रीय लोकनीति पार्टी की अंबिका श्याम, हिमाचल जनक्रांति पार्टी के मुन्शी राम ठाकुर और निर्दलीय उम्मीदवार अनिल कुमार व सुभाष मोहन स्नेही शामिल हैं.
अर्की विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रत्न सिंह पाल, कांग्रेस पार्टी के संजय और निर्दलीय जीत राम प्रत्याशी हैं. फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच प्रत्याशियों में भाजपा के बलदेव ठाकुर, कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया, हिमाचल जनक्रांति पार्टी के पंकज कुमार दर्शी और निर्दलीय प्रत्याशी डाॅ. अशोक कुमार सोमल व डाॅ. राजन सुशांत शामिल हैं. जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से चार उम्मीदवारों में भाजपा की नीलम सरैईक, कांग्रेस के रोहित ठाकुर, निर्दलीय प्रत्याशी चेतन सिंह बरागटा और सुमन कदम शामिल हैं.
उपचुनावों को लेकर अब चुनाव मैदान में स्थिति स्पष्ट हो गई है.जुब्बल-कोटखाई में चेतन बरागटा भाजपा से बागी और फतेहपुर में भी डॉ. राजन सुशांत इससे पहले भाजपा की तरफ से सांसद रह चुके हैं. कांग्रेस का कोई बागी निर्दलीय के रूप में चुनाव नहीं लड़ रहा. इसके अलावा अर्की विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो भाजपाइयों के अनुसार अनुराग ठाकुर ने ही अर्की भाजपा में सुलग रही विद्रोह की आग को शांत किया. और एक विद्रोही सुर अलाप रहे भाजपा नेता तो नामांकन के बाद आयोजित की गई जनसभा में भी शामिल हो गए.
हालांकि ,दो बार यहां से भाजपा विधायक रहे गोविंद राम शर्मा और उनकी टीम नामांकन भरने व उसके बाद हुई जनसभा से नदारद रहे, लेकिन गोविंद राम शर्मा ने बतौर आजाद प्रत्याशी नामांकन नहीं भरा, जबकि नामांकन से एक दिन पहले उनकी टोली ने एलान किया था कि वह नामांकन भरेंगे. अगले दिन अनुराग ठाकुर अर्की पहुंच गए. उसके बाद अर्की हलके के प्रभारी राजीव बिंदल ने इन बागियों को मनाया. हालांकि, अब भी भितरघात होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
अर्की में कांग्रेस व भाजपा में कड़ा मुकाबला होने के आसार हो गए. बागी न तो कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं और न ही भाजपा से .अब भितरघात का ही खतरा है,लेकिन खुल कर कोई ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं है.अर्की विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस से पार्टी के महासचिव संजय अवस्थी को टिकट मिलने के बाद पूरे अर्की ब्लॉक कांग्रेस ने अपने पद से सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अर्की कांग्रेस से भाजपा की तरह ही कोई भी नेता बागी नहीं हुआ.
जुब्बल-कोटखाई में भाजपा को लिए चुनौती भरी स्थिति है. जुब्बल कोटखाई में भाजपा के बागी चेतन बरागटा ने निर्दलीय के रूप उतर कर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया. चेतन बरागटा के समर्थन में जुब्बल कोटखाई में उनके समर्थकों ने विशाल रैली निकाली और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. चेतन बरागटा के बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय व दिलचस्प हो गया. बरागटा पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के पुत्र और वह भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक भी रहे. भाजपा ने चेतन बरागटा को निर्दलीय चुनाव लड़ने पर पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया.
फतेहपुर विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो यहां दोनों ही दलों को भितरघात का सामना करना पड़ सकता है. कांग्रेस ने भवानी सिंह पठानिया ने चुनाव मैदान में उतारा है. इनके विरोध में कांग्रेस मंडल काफी पहले ही मुखर हो गया था. फतेहपुर के पुराने कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी. परिवारवाद को खत्म कर किसी अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता को टिकट देने की बात कही थी.
अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फैले असंतोष की यह चिंगारी समय रहते शांत नहीं की गई तो फतेहपुर में कांग्रेस को भितरघात का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा भाजपा में भी टिकट के चाहवानों की लिस्ट लंबी थी. भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी और पूर्व में सांसद रहे कृपाल परमार का टिकट काटकर बलदेव ठाकुर को दिया .बलदेव ठाकुर 2017 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े थे.
पार्टी हाईकमान के टिकट घोषणा होते ही फतेहपुर भाजपा मंडल ने कृपाल परमार के समर्थन में अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया. हालांकि, उन्होंने त्यागपत्र कृपाल परमार के पास दिया था पार्टी नेतृत्व के पास नहीं इसलिए अभी तक उनपर किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया. भाजपा हालांकि ,कृपाल परमार को निर्दलीय लड़ने से रोकने में सफल हुई, लेकिन यहां भितरघात की आशंका बनी हुई है. इसके अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजन सुशांत भी भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी बन गए. राजन सुशांत पूर्व में भाजपा से सांसद रहे हैं. क्षेत्र में अपनी पहचान रखते और भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचा सकते इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता.
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