शिमलाः कोरोना महामारी के चलते इस बार भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद अपने घरों में ही मनाई. राजधानी शिमला में ईद उल फितर के अवसर पर विभिन्न मस्जिदों व ईदगाहों में मुस्लिम समुदाय के मौलानाओं ने नमाज अता की और एक-दूसरे को बधाई दी.
शिमला के जामा मस्जिद, बालूगंज, छोटा शिमला और संजौली मस्जिद में ईद उल फितर में मौलानाओं की ओर से विशेष नमाज अता की गई. ईदगाह शिमला में ईद उल फितर की नमाज अता करने के लिए जहां कोरोना से पहले सैकड़ों लोगों की भीड़ उमडती थी. वहीं, इस बार ईदगाहों में प्रशासन के दिशा- निर्देशों के अनुसार कोई भी इकट्ठा नहीं हुआ.
प्रदेश की खुशहाली की मांगी दुआ
ऐसा ही नजारा शिमला के लक्कड़ बाजार के ईदगाह में देखने को मिला. इस मौके पर लोगों ने अपने घरों में खास तौर पर देश में कोरोना महामारी के खात्मे, अमन शांति और प्रदेश की खुशहाली की दुआएं मांगी. लोगों ने नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी.
आपसी भाईचारे का प्रतीक
मौलाना मुमताज कासमी ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना खत्म होने पर ईद का त्योहार मनाया जाता है. ये त्योहार आपसी भाईचारे का प्रतीक है. उन्होंने कहा की ईद उल फितर के मौके पर देश में अमन शांति और खुशहाली के लिए खास तौर पर दुआएं मांगी. उन्होंने बताया की रमजान का महीना मुस्लिम के लिए काफी पवित्र महीना माना जाता है और इसे सही तरीके से खत्म होने की ही खुशी में ईद मनाई जाती है.
ईद पर बच्चों से मिलने जाते थे घर
शिमला में मजदूरी कर अपना काम करने वाले कश्मीरियों का कहना है कि ईद में जो खुशी पहले होती थी अब नहीं है. ईद पर बच्चों से मिलने वह घर जाया करते थे, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू के चलते घर नहीं जा पाए. गाड़ियां मिल नहीं रही हैं. जब से कर्फ्यू लगा है उसके बाद उनके पास काम भी नहीं बचा है. ऐसे में अंदर रहने के अलावा उनके पास दूसरा चारा नहीं बचा है.
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