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2 साल बाद कोरोना फ्री हुआ IGMC का ई ब्लॉक, वार्ड भी हुए शिफ्ट

आईजीएमसी में अब मरीजों का इलाज और अच्छे से होगा. दो साल से कोरोना संक्रमण के बीच अस्पताल आने वाले मरीजों में भय का माहौल रहता था. आईजीएमसी का ई- बलॉक 2 साल बाद कोरोना फ्री हो गया है. अब यहां पर कोरोना के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा. इस ब्लॉक में अब आइज़ वार्ड शिफ्ट हो गया है. पहले आइज़ वार्ड पांचवीं मंजिल में चल रहा था, क्योंकि ई-बलॉक सारा कोरोना के मरीजों के लिए रखा गया था. इसमें अब आइज़ के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.

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2 साल बाद कोरोना फ्री हुआ IGMC का ई ब्लॉक
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Published : Mar 19, 2022, 6:34 PM IST

शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में अब मरीजों का इलाज और अच्छे से होगा. दो साल से कोरोना संक्रमण के बीच अस्पताल आने वाले मरीजों में भय का माहौल रहता था. यहां ई ब्लॉक को कोरोना बिल्डिंग बनाई गई थी. वहां लोग जाने से भी डरते थे, लेकिन अब मरीजों के लिए राहत भरी खबर है.

आईजीएमसी का ई- बलॉक 2 साल बाद कोरोना फ्री हो गया है. अब यहां पर कोरोना के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा. इस ब्लॉक में अब आइज़ वार्ड शिफ्ट हो गया है. पहले आइज़ वार्ड पांचवीं मंजिल में चल रहा था, क्योंकि ई-बलॉक सारा कोरोना के मरीजों के लिए रखा गया था. इसमें अब आइज़ के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.

आईजीएमसी में अब सिर्फ 5 ही मरीज कोरोना के भर्ती हैं. इन मरीजों को मेक शिफ्ट में भर्ती किया गया है. अब जो भी मरीज कोरोना के आएंगे उन्हें मेक शिफ्ट में ही भर्ती किया जाएगा. आईजीएमसी में सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं. ऐसे में यहां पर बेड की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है.

कोरोना काल में प्रशासन 300 से अधिक बेड कोरोना मरीजों के लिए तैयार किए थे. ई-बलॉक सहित मेक शिफ्ट व न्यू ओपीडी में बेड लगाए गए थे. अब लगातार कोरोना के मामलों में गिरावट आ रही है. शिमला की अगर बात की जाए तो काफी सारे मरीज कोरोना संक्रमित हुए हैं. जिला शिमला में अभी तक 35647 मरीज कोरोना की चपेट में आए थे जो कि अब स्वस्थ हो गए हैं. अभी तक 716 मरीजों की मौत हो चुकी है.

प्रशासन का दावा है कि अभी कोरोना मरीजों के लिए ज्यादा बेड की जरूरत नहीं है. आगामी दिनों में अगर मामलों में बढ़ोतरी होती है तो स्थिति के अनुसार बेड बढ़ाए जाएंगे. इस अस्पताल में कोरोना के गंभीर मरीज ही आते हैं. ऐसे में भी यहां पर बेड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. वहीं, दूसरी ओर नॉन कोविड मरीजों को भी कई बार बेड नहीं मिल पाते हैं, जिसके चलते मरीजों को स्ट्रेचर पर लिटाए जाते हैं.

अभी नए भवन में ओपीडी नहीं होगी शिफ्ट: आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने कहा कि अभी ओपीडी नए भवन में शिफ्ट की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस भवन पर एनजीटी का पेंच फंस गया है. अभी तक एनजीटी ने भवन को पास नहीं किया है. वहीं, दूसरी ओर इसमें एक कोर्ट केस भी चला हुआ है. ऐसे में नए ओपीडी के लिए मरीजों को इंतजार करना होगा.

अब लोगों के यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि अगर ओपीडी को शिफ्ट नहीं करना था तो उद्घाटन क्यों करवाया. अगर कोई अड़चनें आ रही हैं तो सरकार व विभाग को समय से इससे दूर किया जाना चाहिए. आईजीएमसी में एक दिन में 3 हजार से 3500 के बीच ओपीडी रहती है. नए ओपीडी भवन में मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो, कार्डियोलोजी, रेडियोथैरेपी, डर्मेटोलॉजी, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, आई ओपीडी, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी, ईएनटी, सीटीवीएस और पैथेटिक सर्जरी ओपीडी. ब्लॉक तैयार किए हैं, इसमें नई आधुनिक सुविधाएं भी मिलेंगी.

अस्पताल में भी कम हुआ कोरोना का डर: अस्पताल में अब कोरोना का डर काफी ज्यादा कम हो गया है. जैसे ही मामलों में गिरावट आई है वैसे ही अब काफी संख्या में मरीज अस्पताल में आ रहे हैं. अब आधे लोग तो अस्पताल में मास्क नहीं पहन रहे हैं. अस्पताल में अब मरीजों का उपचार पहले की तरह बेहरीन चल रहा है. चिकित्सक भी मरीज का उपचार करवाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कहां सुरक्षित हैं बेटियां ? पिता, भाई और दादा ने किया बच्ची से दुष्कर्म

शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में अब मरीजों का इलाज और अच्छे से होगा. दो साल से कोरोना संक्रमण के बीच अस्पताल आने वाले मरीजों में भय का माहौल रहता था. यहां ई ब्लॉक को कोरोना बिल्डिंग बनाई गई थी. वहां लोग जाने से भी डरते थे, लेकिन अब मरीजों के लिए राहत भरी खबर है.

आईजीएमसी का ई- बलॉक 2 साल बाद कोरोना फ्री हो गया है. अब यहां पर कोरोना के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा. इस ब्लॉक में अब आइज़ वार्ड शिफ्ट हो गया है. पहले आइज़ वार्ड पांचवीं मंजिल में चल रहा था, क्योंकि ई-बलॉक सारा कोरोना के मरीजों के लिए रखा गया था. इसमें अब आइज़ के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.

आईजीएमसी में अब सिर्फ 5 ही मरीज कोरोना के भर्ती हैं. इन मरीजों को मेक शिफ्ट में भर्ती किया गया है. अब जो भी मरीज कोरोना के आएंगे उन्हें मेक शिफ्ट में ही भर्ती किया जाएगा. आईजीएमसी में सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं. ऐसे में यहां पर बेड की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है.

कोरोना काल में प्रशासन 300 से अधिक बेड कोरोना मरीजों के लिए तैयार किए थे. ई-बलॉक सहित मेक शिफ्ट व न्यू ओपीडी में बेड लगाए गए थे. अब लगातार कोरोना के मामलों में गिरावट आ रही है. शिमला की अगर बात की जाए तो काफी सारे मरीज कोरोना संक्रमित हुए हैं. जिला शिमला में अभी तक 35647 मरीज कोरोना की चपेट में आए थे जो कि अब स्वस्थ हो गए हैं. अभी तक 716 मरीजों की मौत हो चुकी है.

प्रशासन का दावा है कि अभी कोरोना मरीजों के लिए ज्यादा बेड की जरूरत नहीं है. आगामी दिनों में अगर मामलों में बढ़ोतरी होती है तो स्थिति के अनुसार बेड बढ़ाए जाएंगे. इस अस्पताल में कोरोना के गंभीर मरीज ही आते हैं. ऐसे में भी यहां पर बेड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. वहीं, दूसरी ओर नॉन कोविड मरीजों को भी कई बार बेड नहीं मिल पाते हैं, जिसके चलते मरीजों को स्ट्रेचर पर लिटाए जाते हैं.

अभी नए भवन में ओपीडी नहीं होगी शिफ्ट: आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने कहा कि अभी ओपीडी नए भवन में शिफ्ट की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस भवन पर एनजीटी का पेंच फंस गया है. अभी तक एनजीटी ने भवन को पास नहीं किया है. वहीं, दूसरी ओर इसमें एक कोर्ट केस भी चला हुआ है. ऐसे में नए ओपीडी के लिए मरीजों को इंतजार करना होगा.

अब लोगों के यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि अगर ओपीडी को शिफ्ट नहीं करना था तो उद्घाटन क्यों करवाया. अगर कोई अड़चनें आ रही हैं तो सरकार व विभाग को समय से इससे दूर किया जाना चाहिए. आईजीएमसी में एक दिन में 3 हजार से 3500 के बीच ओपीडी रहती है. नए ओपीडी भवन में मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो, कार्डियोलोजी, रेडियोथैरेपी, डर्मेटोलॉजी, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, आई ओपीडी, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी, ईएनटी, सीटीवीएस और पैथेटिक सर्जरी ओपीडी. ब्लॉक तैयार किए हैं, इसमें नई आधुनिक सुविधाएं भी मिलेंगी.

अस्पताल में भी कम हुआ कोरोना का डर: अस्पताल में अब कोरोना का डर काफी ज्यादा कम हो गया है. जैसे ही मामलों में गिरावट आई है वैसे ही अब काफी संख्या में मरीज अस्पताल में आ रहे हैं. अब आधे लोग तो अस्पताल में मास्क नहीं पहन रहे हैं. अस्पताल में अब मरीजों का उपचार पहले की तरह बेहरीन चल रहा है. चिकित्सक भी मरीज का उपचार करवाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं.

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